TRENDING TAGS :
Mayawati: सुश्री मायावती बहन जी-एक थी वीरांगना
Mayawati: मायावती ने अपनी योग्यता एवं अथक प्रयासों से उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री बनने में सफलता प्राप्त की। उनका केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत का दलित समाज दिवाना था।
Mayawati: सुश्री मायावती जी के नाम का स्मरण होते ही एक ऐसी महिला का स्वरूप स्मृतिपटल पर आ जाता है, जिसको देश कभी प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने की प्रबल सम्भावना के रूप में देख रहा था। वह एक दलित समाज की बेटी हैं, जिनका प्रारम्भिक जीवन टूटी चप्पल और साईकिल पर गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर की गलियों में संघर्ष करते हुए व्यतीत हुआ। उन्होंने अपनी योग्यता एवं अथक प्रयासों से उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री बनने में सफलता प्राप्त की। उनका केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत का दलित समाज दिवाना था। उनकी एक पुकार पर लाखों जनमानस एकत्रित हो जाता था, जिसके अन्तर्गत ब्राह्मण और दलितों को एक छत्र के नीचे एकत्रित कर, अन्य सभी राजनीतिक पार्टी को हिला दिया।
यह आश्चर्य का विषय है कि कभी उत्तर प्रदेश की जनता के दिलों पर राज करने वाली, इतनी अधिक प्रतिभा की धनी, मायावती जी को ऐसे कौनसे सितारों का ग्रहण लगा कि वे एक नौसिखिया राजनीतिज्ञ की भांति इतिहास बनती जा रही है। स्थिति यह आ गई है कि देश में जो विपक्षी दलों का INDIA नाम से नवीन संगठन बना है, उसकी बैठक में सम्मिलित होने के लिए उन्हें निमन्त्रण तक नहीं दिया गया, इसी प्रकार सत्तारूढ़ एनडीए की बैठक में भी इनको आमंत्रित तक नहीं किया गया। जिनके बिना कभी उत्तर प्रदेश या केन्द्र में सरकार बनाना एक दुःस्वप्न के समान था, उनको वर्तमान में सत्तापक्ष तथा विपक्ष अपने साथ बिठाना भी श्रेयस्कर नहीं समझता। बहन जी को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कारणों पर गहन विचार करने की आवश्यकता है।
अपने वर्ग के लोगों की टिकट बिना धन लिए वितरित नहीं करती
उनके विषय में ऐसा कहा जाता है कि वो अपने वर्ग के लोगों की टिकट बिना धन लिए वितरित नहीं करती हैं। इसी प्रकार जब वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी तो उनके कार्यालय में प्रत्येक कार्य की पूर्ति हेतु अनावश्यक शुल्क निर्धारित था। उनके भाई आनन्द के भी अनेको किस्से प्रसिद्ध हैं, जिसके अन्तर्गत बहन मायावती जी के शासनकाल में आनन्द ने हजारों करोड़ की बेनामी सम्पत्तियाँ अर्जित की, उनकी लखनऊ और दिल्ली की विशाल कोठियों का स्रोत क्या है।
Also Read
इन सब कहानियों में कितनी सच्चाई अथवा यह मात्र एक अफवाह है, ये तो नहीं कहा जा सकता, परन्तु इतना अवश्य है कि सुश्री मायावती जी ने अथवा उनके सहयोगियों ने इन आरोपों का समय रहते कभी पुरजोर खंडन भी नहीं किया, इससे उनकी साख को अत्यधिक हानि उठानी पड़ी। उनकी पकड़ केवल ब्राह्मणों ही नहीं अपितु अपने समाज में भी दिन प्रतिदिन कम होती चली गई और वो अब नेपथ्य में चली गई है, जहाँ से अपनी साख पुनः स्थापित करना अब उनके लिए सम्भव प्रतीत नहीं होगा। उनके भारतीय राजनीति में सक्रिय रहने से जहाँ देश को एक दलित एवं महिला प्रधानमंत्री मिलने का सौभाग्य मिल सकता था, वो अब समाप्त हो गया है और ऐसी सम्भावना है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के पश्चात बहन जी और उनकी पार्टी बसपा देश की राजनीति से पूर्णतया अस्तित्वहीन हो जायेंगे और उन्हीं का शिष्य चन्द्र शेखर आजाद उर्फ रावण उनके स्थान पर दलित समाज के प्रमुख नेता के रूप में स्थापित हो जाएगा।
( लेखक शिक्षा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त हैं। ये लेखक के निजी विचार हैं।)