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आंकड़ों की जादूगरी हुई, मध्यम वर्ग, नौकरी पेशा को राहत नहीं
आशीष त्रिपाठी
बजट में आंकड़ों की जादूगरी से मध्यम वर्ग और नौकरी पेशा वर्ग के साथ किसी प्रकार की कोई रियायत न देकर वित्त मंत्री जी ने जहां एक तरफ ये साफ कर दिया की सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने जैसे जो कठोर कदम उठाये हैं उसे आगे भी जारी रखा जायेगा। इसका असर बजट में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है।
मध्यम व नौकरी पेशा वर्ग कोई भी रियायत न मिलने से निराश हुआ है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 12.6 फीसदी बढ़ा है। इस बार सरकार का इनकम टैक्स कलेक्शन 90 हजार करोड़ रुपए बढ़ा है। अत: मध्यम वर्ग को टैक्स में छूट की उम्मीद थी लेकिन उसे तगड़ा झटका तो लगा ही साथ ही साथ 3 से 4 फीसदी सेस और लगा दिया गया। यही नहीं, शेयर बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी भी देना होगा। ये झटका देने वाला है।
आम बजट में टैक्स छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई है। हालांकि, वित्त मंत्री ने सैलरीड क्लास की मौजूदा टैक्सेबल इनकम में से 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन कर दिया। इसके साथ हाउस व ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर भी मामूली राहत का ऐलान किया गया।
देश में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है। इस बजट के जरिए लाखों लोगों को रोजगार देने की ठानी गई है। अगले वित्त वर्ष में 70 लाख लोगों को नौकरी देने का सरकार का संकल्प नौजवानों को आशावान करता हुआ दिखता है। साथ ही रोजगार में इजाफा देने के लिए अन्य कदम उठाए जाएंगे। इस बजट के माध्यम से सरकार की ओर से स्कॉलरशिप देने का वादा किया गया है, जिससे मेधावी छात्र बिना पैसे के बिना किसी टेंशन की पढ़ाई कर सकेंगे। इसके अलावा सरकार ने 3 लाख करोड़ लोगों को मुद्रा योजना में लाने का लक्ष्य रखा है, जिससे कई बेरोजगार अपना व्यापार शुरू कर सकेंगे। हर जिले में स्किल सेंटर खोले जाने की योजना है। बजट में ये भी कहा गया है कि नई नौकरियों में 12 फीसदी ईपीएफ सरकार की ओर से दिया जाएगा। से सब कदम नौजवानों को आशावान करते हैं लेकिन वास्तविक रूप में कितने सफल हो पाते हैं, ये भविष्य के गर्भ में है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी कई घोषणाएं की गई हैं। प्री नर्सरी से 12वीं तक की शिक्षा पर जोर दिए जाने व स्कूलों में ब्लैक बोर्ड की जगह डिजिटल बोर्ड लगाए जाने की बात की गई है। इसके साथ ही सरकार की एकलव्य योजना प्रशंसनीय है। मेडिकल सेक्टर की बात करें तो वित्त मंत्री ने कहा है कि देश की 40 फीसदी जनता के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। एक परिवार में यदि 5 सदस्य हैं तो 5 लाख तक का खर्च सरकार वहन करेगी जिससे 10 करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के लिए साल 2018-19 में 9975 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। साल 2022 तक शिक्षा में आधारभूत सुविधाओं और प्रणालियों को मजबूत बनाने के लिए अगले चार सालों में एक लाख करोड़ रुपए के निवेश का प्रावधान किया गया है। 13लाख से ज्यादा शिक्षकों को ट्रेनिंग दिए जाने का लक्ष्य है। शिक्षकों को डिजिटल माध्यम से ट्रेंड करेंगे। केंद्र सरकार स्कूली टीचरों के लिए एकीकृत बीएड कार्यक्रम शुरू करेगी। ये सभी कदम शिक्षा व्यवस्था में क्रांति लाने का काम करेंगे।
कृषि क्षेत्र में अब सभी फसलों का समर्थन मूल्य मिलने के साथ ही नया ग्रामीण बाजार ‘ई-नैम’ बनाने का ऐलान किया गया है। खरीफ की फसल का समर्थन मूल्य उत्पादन की लागत से डेढ़ गुना करना एक सराहनीय और अच्छा कदम है। सरकार किसानों की आमदनी को साल 2022 तक दोगुना करने की कोशिश कर रही है। आम बजट 2018 में सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालकों को देने का ऐलान किया है। सरकार का पूरा फोकस गांवों पर है। इस बजट के माध्यम से ईज ऑफ लिविंग पर जोर देना एक सकारात्मक पहल के तौर पर देखा जा सकता है।
बजट में कई चीजों पर कस्टम डयूटी को बढ़ाया गया है। इस फैसले का सीधा असर मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, फ्रिज के दामों पर पड़ेगा और ये वस्तुएं महंगी होंगी। कस्टम डयूटी बढऩे से अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम के दाम भी बढ़ सकते हैं, क्योंकि कंपनियां इन बढ़े हुए दामों को ग्राहकों से ही वसूलेगी। इसमें मोबाइल जैसे आवश्यक संचार उपकरणों के दामों में तेजी आने से आम आदमी मायूस हुआ है। दरअसल ये सामान अधिकांशत: विदेश से आयात किए जाते हैं। कस्टम ड्यूटी बढऩे से इन उत्पादों को आयात करने पर लगने वाला खर्च बढ़ता है। इसलिए कंपनियां इन उत्पादों के रेट में परिवर्तन कर देती हैं।
एमएसएमई यानी छोटे और मझोले उद्योगों के जरिए मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने की दिशा में प्रावधान हुआ है। ऐसे उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना के साथ ही साथ 250 करोड के टर्नओवर वाली कंपनियों को 30 प्रतिशत की जगह 25 प्रतिशत का कारपोरेट टैक्स देने की व्यवस्था की गई है। लेकिन ये छूट उत्पादन में कितनी वृद्धि कर पाती है, ये देखने वाली बात होगी।
बजट में वर्ष 2022 तक देश के हर एक गरीब के पास अपने घर के सपने के पूरा होने का विश्वास भी दिलाया गया है। खेती के बाजार को सुदृढ़ करने के लिए 2000 करोड़ रुपये खर्च किए जाना प्रस्तावित है। कृषि सिंचाई योजना के लिए 2600 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई है। ये सारे संकल्प अगर पूरे होते हैं तभी देश के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के साथ न्याय होगा।
सरकार में अति उत्साह भी दिखा है क्योंकि सरकार बजट तो 2018 का पेश कर रही थी किन्तु योजना 2022 तक की है जबकि सरकार का वर्तमान कार्यकाल 2019 तक के लिए ही है। ऐसे में यह योजना आश्चर्यचकित करती है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की भले ही वित्त मंत्री जी ने आम जनता को कोई रियायत न देकर एक बार फिर कड़वी दवाई पिला दी हो किन्तु अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दिशा में ये बजट एक सराहनीय कदम माना जा सकता है। आगामी 8 राज्यों व आम चुनाव को देखते हुए हम सभी को यह उम्मीद थी की मोदी सरकार का बजट अगर चुनावी बजट होगा। लेकिन ऐसा नहीं है और सरकार का यह साहसिक कदम है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है।
(मेंबर, टैक्स लायर्स एसोसिएशन एंड टैक्स लायर्स एसोसिएशन)