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एक और युद्ध की ओर दुनिया
Rahul lal
मिसाइल परीक्षणों, परमाणु कार्यक्रमों, आर्थिक प्रतिबंधों एवं धमकियों से परिपूर्ण उत्तर कोरिया संकट दिनोंदिन गहराता ही जा रहा है। संपूर्ण वैश्विक दबाव से बेपरवाह उत्तर कोरिया ने 3 सितंबर को अपना छठां परमाणु परीक्षण कर संपूर्ण विश्व को चौंका दिया। यह हाइड्रोजन बम है, जो परमाणु बम से कई गुना ज्यादा खतरनाक है। ऐसे स्थिति में कोरियाई संकट केवल कोरियाई प्रायद्वीप का संकट न रहकर वैश्विक संकट बन गया है। लंबी दूरी के मिसाइलों में लोड किए जा सकने वाले शक्तिशाली हाइड्रोजन बम के परीक्षण ने पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। भारत सहित अमेरिका, चीन, रूस, जापान जैसे देशों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है, वहीं दक्षिण कोरिया ने अपने सैनिकों को अलर्ट कर दिया है। कोरियाई संकट ऐसी गुत्थी बनता जा रहा है, जिसे जितना सुलझाने का प्रयत्न किया जा रहा है, मामला उतना ही उलझता जा रहा है। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। रविवार को उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण के बाद स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। इस समय युद्ध की आशंका पिछले कुछ दशकों में सर्वाधिक है। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यास के शक्ति प्रदर्शन को उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण कर जवाब दिया है।
उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनातनी लंबे समय से चल रही है, लेकिन पिछले कुछ सप्ताह से ऐसी आशंकाएं गहन हो गयी है कि उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच युद्ध हो सकता है, जिसमें परमाणु हथियारों का प्रयोग भी संभव है। उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों के बाद जब अमेरिका को धमकी दी, तो ट्रंप ने उत्तर कोरिया को भस्म करने की धमकी दी। इसके प्रत्युत्तर में उत्तर कोरिया ने अमरीकी द्वीप गुआम पर हमले की तैयारी कर ली। 1945 में जापान पर परमाणु बम गिरने के ७२ वर्ष बाद दुनिया पुन: परमाणु युद्ध के मुंहाने पर खड़ी है। हथियार परीक्षणों के खिलाफ पूरी दुनिया के एकजुट होने के बावजूद उत्तर कोरिया कोई दबाव मानने को तैयार नहीं है। उसने जुलाई मेंं मध्यम दूरी की दो मिसाइलों का परीक्षण किया था, जबकि एक परीक्षण 29 अगस्त को ही किया था। नई मिसाइल की मारक क्षमता 10 हजार किलोमीटर आंकी गई थी। अभी तो विश्व में इस मिसाइल की चर्चा शांत भी नहीं हुई थी कि उत्तर कोरिया ने छठां परमाणु परीक्षण कर डाला।
परमाणु बम नाभकीय विखंडन पर आधारित होता है, जबकि हाइड्रोजन बम परमाणु संलयन तकनीक पर आधारित होता है। परमाणु विखंडन में जहां परमाणु के नाभिक को तोड़ कर भारी ऊर्जा प्राप्त की जाती है, वहीं हाइड्रोजन बम की तकनीक परमाणु बम से भी काफी जटिल होती है। परमाणु विखंडन में यूरोनियम या प्लूटोनियम के परमाणुओं का हल्के तत्वों में विखंडित होने से भारी ऊर्जा प्राप्त की जाती है। वहीं हाइड्रोजन बम में दो हल्के परमाणुओं के मिलने से जब एक भारी तत्व बनता है तब बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकलती है। इस प्रक्रिया के तहत ही सूर्य की सतह पर ऊर्जा का उत्पादन होता है। नाभिकीय संलयन में उच्चतर ताप और दबाव की आवश्यकता होती है, इसलिए इसमें प्रथमत: नाभिकीय विखंडन का प्रयोग होता है, जबकि द्वितीय चरण में संलयन। इसमें हाइड्रोजन के दो समस्थानिक ट्राइटियम और ड्यूटेरियम में फ्यूजन (संलयन) होता है। इसी संलयन से अत्यधिक शक्तिशाली और विनाशकारी विस्फोट होता है। परमाणु बम एक तरह से हाइड्रोजन बम के लिए ट्रिगर का कार्य करता है। यही कारण है कि हाइड्रोजन बम, परमाणु बम से काफी ज्यादा संहारक होता है।
दक्षिण कोरिया की सरकारी समाचार सेवा योनहैप के अनुसार उत्तर कोरिया ने 3 सितंबर को जिस परमाणु बम का परीक्षण किया है वो जापान के नागासाकी पर गिराए गए बम से 4-5 गुना शक्तिशाली है। सितंबर 2016 के परमाणु परीक्षण से 10 किलोटन ऊर्जा उत्पन्न हुई थी, जबकि रविवार के परमाणु परीक्षण से 100 किलोटन ऊर्जा उत्पन्न हुई है। विश्व समुदाय के दबाव की लगातार अवहेलना कर उत्तर कोरिया जिस तरह लंबी दूरी के महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, उसके प्रत्युत्तर में अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा कठोर प्रतिबंध आरोपित कर दिए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध पूर्ण सहमति से लगा है। इस प्रतिबंध पर न तो रूस और न ही चीन ने वीटो का प्रयोग किया। लंबे अरसे बाद इसे ट्रंप के कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा सकता है। ट्रंप ने लंबे समय तक चीन से वार्ता करने के बाद यह सहमति प्राप्त की।
ज्ञात हो चीन और रूस ही उत्तर कोरिया के सबसे बड़े व्यापार साझीदार हैं। उत्तर कोरिया का 89 फीसदी व्यापार चीन के साथ है, जबकि रूस द्वितीय सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। ऐसे में चीन और रूस के बिना पूर्ण सहयोग के उत्तर कोरिया पर कोई भी प्रतिबंध अधूरी होगी। ये नए प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर वर्ष 2006 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने के बाद से लेकर अब तक ७वीं बार लगाए जाने वाले प्रतिबंध होंगे। नए प्रतिबंध के अंतर्गत उत्तर कोरिया के जो जहाज संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए पाए जाएंगे, उन्हें सभी बंदरगाहों में प्रवेश करने से वर्जित कर दिया गया। लेकिन इन प्रतिबंधों के बावजूद जिस तरह उत्तर कोरिया ने 28 अगस्त को मिसाइल परीक्षण तथा 3 सितंबर को परमाणु परीक्षण किया है, उससे स्पष्ट है कि उपरोक्त प्रतिबंध बिल्कुल प्रभावहीन ही दिख रहे हैं।
उत्तर कोरिया ने 9 अक्टूबर 2006 को प्रथम परमाणु परीक्षण किया था,जबकि 5वां परमाणु परीक्षण सितंबर 2016 में किया था। प्रथम परमाणु परीक्षण से 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जबकि 3 सितंबर के परमाणु परीक्षण से रिक्टर पैमाने पर 6.3 के भूकंप की तीव्रता मापी गई। इससे स्पष्ट है कि इन 11 वर्षों में उत्तर कोरिया ने परमाणु बम तकनीक में जबरदस्त सफलता प्राप्त की है।
उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण से दक्षिण कोरिया, रूस और जापान तक में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रविवार का धमाका इतना तीव्र था कि इसका कंपन रूस के पूर्वी शहर व्लादिवोस्टक तक महसूस किया गया। उत्तर कोरिया का दावा है कि हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है। जैसा मैंने पहले ही स्पष्ट किया है कि हाइड्रोजन बम परमाणु बम से बहुत अधिक शक्तिशाली होता है। 6.3 तीव्रतम के भूकंप से ही स्पष्ट है कि उत्तर कोरिया ने बेहद शक्तिशाली परमाणु बम का परीक्षण किया है। उत्तर कोरिया के परमाणु बम परीक्षण पर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अमेरिकी रक्षा मंत्री जैम्स मैटिस ने कहा है कि अमेरिका या उसके सहयोगियों पर उत्तर कोरिया की तरफ से किसी भी तरह के खतरे का जवाब कड़ी सैन्य कार्यवाही से दी जाएगी। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि वो ऐसे किसी भी देश के साथ व्यापारिक रिश्तों को खत्म कर देंगे, जो उत्तर कोरिया से व्यापार करेगा। ये परीक्षण उकसाने वाली कार्रवाई है और अमेरिका के लिए खतरनाक है।
अमेरिका को उम्मीद थी कि सर्वसहमति से लगाया गया आर्थिक प्रतिबंध से उत्तर कोरिया को वार्तालाप की मेज पर लाने में मदद मिलेगी। इससे कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने के प्रयासों को बल मिलेगा, परंतु हुआ बिल्कुल उल्टा। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया और भी भडक़ गया। उत्तर कोरिया ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र की ओर से नई पाबंदी लगाए जाने का जवाब देगा और अमेरिका को इसकी कीमत चुकानी होगी। उत्तर कोरिया ने इसे अपनी संप्रभुता का हिंसक हनन बताया है। उत्तर कोरिया की धमकियों के बाद ट्रंप का गुस्सा फूटा और उन्होंने उत्तर कोरिया को भस्म करने की धमकी दी। ट्रंप ने पिछले माह कहा था कि उत्तर कोरिया के लिए अच्छा होगा कि वह अमेरिका को बार-बार धमकी देना बंद करे। वह गुस्से की आग में जलकर भस्म हो जाएगा।
(कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ)