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Tourism Industry in India: टूरिज्म सेक्टर तेज रफ्तार की गारंटी, भारत के पास धार्मिक पर्यटन में असीम संभावनाएं
Tourism Industry in India: बड़े स्तर पर भारतीयों ने मालदीव की यात्राओं को रद्द किया और पर्यटन सेवा प्रदान करने वाली कई कंपनियों ने यहां के यात्रा सेवा ही बंद कर दी। दबाव इतना बढ़ गया कि मालदीव सरकार को माफी मांगनी पड़ी।
Tourism Industry in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों लक्षद्वीप का दौरा किया। वैसे तो इस दौरे का मुख्य उद्देश्य लक्षद्वीप में विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन था, लेकिन ये यात्रा पीएम मोदी की द्वीप से आयी मनमोहक तस्वीरों से ज्यादा चर्चा में आ गई। इसका लाभ ये हुआ कि देश में लक्षद्वीप के पर्यटन की चर्चा बढ़ गई। सोशल मीडिया पर लोगों ने पीएम मोदी को भारत के पर्यटन का आधिकारिक ब्रांड एंबेसडर बताना शुरू कर दिया। लेकिन इसके बाद जो हुआ वो वर्तमान का ज्यादा बड़ा मुद्दा बन गया। असल में पीएम मोदी की इस यात्रा के बाद मालदीव के तीन मंत्रियों ने भारत और पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की। इसका परिणाम यह हुआ कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
भारत में तो बड़े स्तर पर मालदीव के बॉयकॉट की मुहिम शुरू हो गई। खास से आम सभी वर्ग के लोगों ने मालदीव के बजाय लक्षद्वीप और भारत के अन्य आकर्षक द्वीपों पर जाने की अपील करने लगे। बड़े स्तर पर भारतीयों ने मालदीव की यात्राओं को रद्द किया और पर्यटन सेवा प्रदान करने वाली कई कंपनियों ने यहां के यात्रा सेवा ही बंद कर दी। दबाव इतना बढ़ गया कि मालदीव सरकार को माफी मांगनी पड़ी। लेकिन इस घटना ने पर्यटन अर्थव्यवस्था यानि टूरिज्म इकॉनमी के प्रभाव को लेकर नई बहस शुरू कर दी है। टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग से भरी दुनिया में आखिर टूरिज्म को इतना महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि क्यों माना जाता है? आज भारत अपनी टूरिज्म इकॉनमी को क्यों तेज रफ्तार देना चाहता है? क्यों पीएम मोदी सबको साल में एक यात्रा पर जाने की अपील कर रहे हैं? आखिर टूरिज्म इंडस्ट्री आज अर्थव्यस्था में रफ्तार के लिए इतना अहम क्यों है?
पर्यटन अर्थव्यवस्था का तेज पहिया
अर्थशास्त्र के नजरिए से देखें तो टूरिज्म इंडस्ट्री का मल्टीप्लायर इंपैक्ट ज्यादा है। ऐसे समझिए कि जब कोई पर्यटक किसी पर्यटन स्थल पर पैसा खर्च करता है, तो वह पैसा स्थानीय अर्थव्यवस्था में प्रसारित होता है, या कहे कई जगहों पर घूम जाता है। उदाहरण के लिए अगर आप कहीं पर्यटन के लिए जाते हैं, तो वहां रुकने के लिए होटल बुक करेंगे। इस तरह होटल कारोबारी और वहां काम करने वाले कर्मचारियों की आय होगी। जिस ऑटो या टैक्सी से आप शहर में घूमेंगे उसकी आय होगी। आप निश्चित रूप से खाने-पीने पर खर्च करेंगे, जिससे रेस्तरां मालिक और उसके कर्मचारियों की आय होगी। अंत में आप पाएंगे कि आपने एक लोकल इकोनॉमी में कई भागीदारों की आय सुनिश्चित की है। अब ये लोग भी कही खर्च करेंगे। जिसका परिणाम ये होगा कि बाजार में मांग बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा और रोजगार उत्त्पन्न होंगे। इससे अर्थव्यवस्था का पहिया तेजी से घूमने लगेगा।
आज दुनिया में ऐसे बहुत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था ही टूरिज्म इंडस्ट्री के सहारे चल रही है। उदाहरण के लिए, स्पेन में, पर्यटन उद्योग अकेले देश की कुल जीडीपी में लगभग 11% हिस्सेदारी रखता है। चर्चा में आए मालदीव में पर्यटन उद्योग की जीडीपी में कुल हिस्सेदारी 38% तो कुल रोजगार में 60% है। भारत में भी टूरिज्म इंडस्ट्री की बड़ी संभावनाएं हैं। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउन्सिल के अनुसार जीडीपी में इस सेक्टर के योगदान के मामले में भारत छठे स्थान पर है। 2021 में इस सेक्टर का कुल योगदान 5.8% रहा था। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक देश की जीडीपी में पर्यटन क्षेत्र का अनुमानित योगदान 2.07 लाख करोड़ रुपये होगा, जिससे 13.7 करोड़ रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। वर्तमान समय में सालाना आधार पर यह सेक्टर 44% की दर से वृद्धि कर रहा है। आज हर 13 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति टूरिज्म इंडस्ट्री में काम कर रहा है।
भारत में धार्मिक पर्यटन की असीम संभावनाएं
भारत में धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं। यदि देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों को विकसित किया जाए, तो इससे स्थानीय इकोनॉमी को बड़ा लाभ हो सकता है। उदाहरण के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद मात्र दो वर्षों में वहां लगभग 13 करोड़ लोगों ने दर्शन किए हैं। इससे काशी की स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ा विस्तार हुआ है। आज शहर में आटो चालकों, नाविकों, दुकानदारों और होटल इंडस्ट्री आदि सबके कारोबार में वृद्धि हुई है। ऐसे ही अयोध्या धाम का विकास भी आने वाले समय में बड़ा आर्थिक केंद्र बनेगा। श्री राम मन्दिर का निर्माण धार्मिक उत्थान के साथ-साथ आर्थिक विकास का भी एक उदाहरण होगा। ऐसा ही कुछ काम मथुरा में होने जा रहा है। विंध्य कॉरिडोर और उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर भी इसके कुछ प्रमुख उदाहरण है। हमारे देश में ब्लॉक और जिले स्तर पर ढेरों प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों और धरोहरों की मौजुदगी है। अगर इन्हें विकसित किया जाए तो हम धार्मिक पर्यटन के माध्यम से लोकल इकॉनॉमी में एक बड़ा परिवर्तन कर सकते हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के अवसर मिलेंगे।
मोदी सरकार में प्रयास बढ़े लेकिन अभी काम बाकी
मोदी सरकार ने पर्यटन को बढ़ाने के लिए कई ऐसे प्रयास किये हैं जिनका परिणाम दिखाई भी पड़ता है। उद्धरण के लिए 2025 तक 220 हवाई अड्डे विकसित करने का लक्ष्य, रेलवे को रिकॉर्ड 2.4 लाख करोड़ रुपये का आवंटन, देश की पूर्वी और पश्चिमी समुद्री रेखाओं का उपयोग करके तटीय नौवहन को बढ़ावा देने जैसी पहलें। इसके साथ ही स्वदेश दर्शन 2.0, देखो अपना देश, और वाइब्रेंट विलेज जैसी योजनाओं ने भी सकरात्मक प्रभाव डाला है। लेकिन अभी छोटे-छोटे इलाकों, ब्लॉकों और जिलों के स्तर पर केंद्रित किसी टूरिज्म पॉलिसी की दरकरार है। देश भर में वांछित पर्यटन स्थलों की पहचान कर और उनको मैप कर एक डिजिटल एकीकृत प्रणाली बनायीं जानी चाहिए। अगर हमने टूरिज्म इकॉनमी को सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व से संवार दिया तो, यह सेक्टर अकेले 1 से 2% की जीडीपी ग्रोथ दे सकता है।
(लेखक फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं)