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'मोदी जी' मीडिया के पास देश की खुफिया जानकारी से लेकर हर बात का है समाधान, इसे आगे करें

जब मीडिया कर्मी लड़ने जाएंगे तो मानवाधिकार अंतरराष्ट्रीय संधियों नियम कानूनों सब को साथ लेकर युद्ध लडेंगे। जनता भी तब मीडिया पर नाज करेगी, सरकार भी।

Shivakant Shukla
Published on: 2 March 2019 7:27 PM IST
मोदी जी मीडिया के पास देश की खुफिया जानकारी से लेकर हर बात का है समाधान, इसे आगे करें
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वरिष्ठ पत्रकार रामकृष्ण वाजपेयी

प्रजातंत्र और लोकतंत्र जनता के लिए जनता का शासन जनता के नुमाइंदों द्वारा सुनने में यह सब कितना अच्छा लगता है लेकिन क्या इसका मतलब यह होता है कि हमें बोलने की आजादी है तो हम कुछ भी बोलेंगे। हम अपनी सेना को गाली देंगे। हम अपने शासक को गाली देंगे। और तो और हम दुश्मन देश के पाले में खड़े होकर अपने सत्तारूढ़ दल को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करेंगे।

ऐसे लोग जो खाते यहां हैं लूटते यहां की जनता को हैं कारोबार यहां करते हैं वह किस मुंह से इस देश को गाली देते हैं। ऐसे लोग जिन्हें आतंकवादी की छवि में अपना बच्चा नजर आता है सेना जिन्हें दुश्मन नजर आती है। क्या आजादी की कीमत यही है इनके दिलों में। हाल के समाचार पत्रों, टीवी चैनलों, फेसबुक वाट्सएप यू ट्यूब सब जगह इस तरह के लोग छाए हुए हैं जिनके दिलों में न तो देश का सम्मान है, न देश की गरिमा का ख्याल है। न सेना पर भरोसा है और न ही उनके बलिदान को महसूस कर पा रहे हैं। पता नहीं क्यों ये लोग इस बात को नहीं समझ पा रहे कि हर सूचना न्यूज नहीं होती।

कई बार कई सूचनाएं तमाम लोगों के पास होती हैं लेकिन वह इसको किसी से नहीं कहते कहीं शेयर नहीं करते। क्योंकि उनके लिए देश ऊपर होता है। जरा सोचिए हमारे खुफिया विभाग यदि सारी सूचनाएं सार्वजनिक करने लगें। या देश की रक्षा के लिए जो उपकरण खरीदे जा रहे हैं उसकी एक एक जानकारी सबको दे दी जाए तो क्या दुश्मन उससे उन्नत उपकरण खरीद कर हम पर हावी नहीं हो जाएगा। विदेशी पैसे पर बिके हुए लोग बार बार रक्षा गोपनीयता भंग करने के लिए उकसाते हैं। अफसोस कि हमारा मीडिया भी सीमा पर तनाव के समय सेना का आपरेशन कैसा होना चाहिए और हमारे जवानों की पोजीशन क्या रहेगी यह सब मंच पर डेमो प्रदर्शन के जरिये बता रहा था।

हम अपने जासूसों के फोटो खींच कर दिखाते हैं और उनको किसी मिशन पर काम करने लायक नहीं छोड़ते हमारा पायलट जब पाकिस्तान में अपने बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं था तब मीडिया वाले बता रहे थे कि हम उसके घर में बैठे हैं उसके पिता माता पूरे खानदान का बखान कर रहा था। ये कैसी पत्रकारिता है। क्या सूचना देने की आजादी के नाम पर हम अपने गोपनीय मिशन उजागर करके देश का भला कर रहे हैं। सरकार क्या करने जा रही है। कहां से हमारी सेना हमला करेगी। सब कुछ तो हम पाकिस्तान को बताए जा रहे थे। निसंदेह सरकार की पाकिस्तान के साथ तनाव के इन क्षणों में मीडिया की भूमिका की जांच करनी चाहिए। साथ ही इस तरह की कोई भी रिपोर्टिंग, खुफिया कैमरे का प्रयोग दंडनीय कर दिया जाना चाहिए।

हम आधी रात में कार्रवाई करेंगे क्या तड़के चैनलों को इस तरह की खबरें क्यों चलानी चाहिए क्या इनके लिए देशहित ऊपर नहीं है। क्यों इमरान खान की क्लिप आलोचना के नाम पर बार बार दिखाते रहे। क्यों पाक सेना प्रमुख की प्रेस ब्रीफिंग दिखाते रहे। वास्तव में यदि इस देश का मीडिया इतना बहादुर और समझदार है। युद्ध की रणनीति और कौशल का जानकार है तो सेना की जगह हमारे देश के इन मीडिया वालों को मोर्चे पर भेज देना चाहिए ये लोग बेहतर ढंग से वहां हल्ला बोल करके लड़ सकेंगे। और फतह भी दिला देंगे। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को इस बात पर गौर करना चाहिए और भारतीय मीडिया को आगे करके इनके हिसाब से युद्ध रणनीति न सिर्फ तय करनी चाहिए बल्कि इन्हें सीमा पर भेज देना चाहिए जब यह अपनी लोकेशन देश को बताते हुए आगे आगे बढ़ेंगे तो बेहतर मुकाबला कर सकेंगे।

किसी आतंकवादी से मुठभेड़ के लिए भी आगे मीडिया कर्मियों के समूह को भेज देना चाहिए ताकि पहले ये उसकी बाइट ले सकें उसका पहला इंटरव्यू दिखा दें। उसके बाद ही सेना या पुलिस को कार्रवाई की इजाजत होनी चाहिए। भारतीय मीडिया के कुछ घरानों ने राष्ट्रीय सुरक्षा का जिस तरह से मखौल बना दिया है। निसंदेह ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। क्यों की कैबिनेट की गोपनीय मीटिंग से लेकर कुछ भी मीडिया की नजर से बचा नहीं है। फिर देश का दुश्मन क्यों इनसे बच पाएगा। और जब मीडिया कर्मी लड़ने जाएंगे तो मानवाधिकार अंतरराष्ट्रीय संधियों नियम कानूनों सब को साथ लेकर युद्ध लडेंगे। जनता भी तब मीडिया पर नाज करेगी, सरकार भी।

लेखक के विचार उसके निजी हैं।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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