TRENDING TAGS :
मिशन 2019 के तहत देश के करीब ढाई करोड़ कबीरपंथियों को साधने में जुटे मोदी
विनोद कपूर
लखनऊ: बीजेपी मिशन 2019 की तैयारी में जुट गई है और इसी के तहत पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरूवार 28 जून को यूपी के संत कबीर नगर के मगहर से अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया। उनका लक्ष्य देश भर में फैले करीब ढाई करोड़ कबीरपंथियों को बीजेपी के पक्ष में करने का है। कबीरपंथी दलित और पिछड़े वर्ग से आते हैं और यही तबका बीजेपी से आज ज्यादा नाराज नजर आता है। कबीर को दलितों, पिछड़ों, शोषितों, सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता का मसीहा माना जाता है।
यह भी पढ़ें: PM मोदी के नक्शेकदम पर CM योगी, मुस्लिम टोपी पहनने से किया इंकार
उन्होंने कबीर के आदर्श और उनके वचनों के साथ अपने विरोधियों को निशाने पर रखा। उन्होंने कांग्रेस पर संत कबीर की अनदेखी का आरोप लगाया तो मायावती और अखिलेश यादव पर इस समाज के आने वाले लोगों के प्रति झूठी हमदर्दी जताने की बात कही । नाराज इस तबके को साधने में यूपी में सपा और बसपा भी जुटी है।
इनके जरिए ही सपा और बसपा मिलकर मोदी को मात देने की जुगत में हैं। ऐसे में मोदी ने संत कबीर के दरवाजे पर दस्तक दे दी है। इसे कहीं न कहीं जाति संतुलन के साथ-साथ ढाई करोड़ कबीरपंथियों को साधने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
यह भी पढ़ें: कबीर बहाना, दलित वोट पर मोदी का निशाना
सोलहवीं सदी के महान संत कबीरदास का जन्म वाराणसी में मुस्लिम जुलाहा (बुनकर) समाज में हुआ था। उन्होंने लगभग अपना पूरा जीवन काशी में ही गुजारा, लेकिन आखिरी समय वो मगहर चले आए। मगहर वही जगह है, जहां तमाम सामाजिक मान्यताओं और रुढ़ीवादिता को तोड़ते हुए संत कबीर ने 1518 ई. में अंतिम सांस ली थी। मगहर के लिए कहा जाता है कि यहां जिसकी मौत होती है, उसे स्वर्ग नहीं मिलता। कबीर ने इस मिथ तो तोड़ने के लिए ही काशी छोड़ी और मगहर आए।
यूपी के लोकसभा उपचुनावों में अखिलेश और मायावती के साथ आते ही बीजेपी को शिकस्त खानी पड़ी ओर साथ ही केंद्र की सत्ता वाली पार्टी का जातिगत समीकरण भी बिगड़ा। ऐसे में बीजेपी फिर एक बार अपने सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले को मजबूत करने में जुट गई है।
पिछले दिनों यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में दलितों को आरक्षण न मिलने पर सवाल खड़ा किया और कहा कि कोई भी पार्टी इन दोनों विश्वविद्यालयों में दलितों के आरक्षण पर नहीं बोलती है।
संत कबीर दास 620 प्राकट्य दिवस पर उनके दर्शन को नजदीक से जानने-समझने के लिए उनके अनुयायी नेपाल, पूर्वोत्तर के सिक्किम से लेकर उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी प्रांत गुजरात, दिल्ली, जम्मू, छत्तीसगढ़, और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से मगहर पहुंचे हैं।
ऐसे में पीएम मोदी ने मगहर में कबीर के दर पर आए अनुयायियों को संबोधित किया। मुसलमानों में बड़ी आबादी कबीर को मानने वाली हैं खासकर जुलाहा समाज को भी कहीं न अपने पाले में लाने की कोशिश की है क्योंकि कबीर का जन्म भी एक जुलाहा परिवार में हुआ था।
कबीर के अनुयायी देश भर में हैं लेकिन गुजरात के ग्रामीण क्षेत्र में रामकबीर पंथ का खासा प्रभाव है। माना जाता है कि गुजरात के हर गांव में कम से कम एक परिवार कबीर पंथ से जरूर जुड़ा हुआ है। मोदी भी गुजरात से हैं और ग्रामीण इलाके से हैं। वो कबीर के दोहे के जरिए अपनी बात रखते रहे हैं। मोदी ने आज कबीरपंथियों के बीच कबीर की विचारधारा को रखा।
इस साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, उनमें भी कबीर के अनुयायी बडी संख्या में हैं। छत्तीसगढ़ में कबीर पंथ की कई शाखाएं और उप शाखाएं हैं। राजस्थान के नागौर में , बिद्दूपुर मठ, भगताही शाखा, छत्तीसगढ़ी या धर्मदासी शाखा, हरकेसर मठ, लक्ष्मीपुर मठ जैसे कई मठों, संस्थाओं पर कबीर पंथ के अनुयायी हैं।