मातृदिवस माँ को समर्पितमाँ छोड़कर "खुदा" को, तेरी "शरण"में आया;पावन "चरण" को छूके, सारे जहाँको पाया!संसार को मै "देखा", जाना, "समझ"गया पर!कमजोर थी समझ माँ,तुझको समझन पाया!रचनाकारआलोकशर्मा_महराजगंज