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मेरे राम

मेरे रामभारत की सांस्कृतिक चेतना राममय रही है। आजादी के आन्दोलन की चेतना का मूल मंत्र राम है। इसलिए रघुपति राघव राजाराम मूल अर्थाें में लोक मंत्र बना।

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Published on: 27 July 2020 6:53 PM GMT
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कैप्टन सुभाष ओझा

मेरे रामभारत की सांस्कृतिक चेतना राममय रही है। आजादी के आन्दोलन की चेतना का मूल मंत्र राम है। इसलिए रघुपति राघव राजाराम मूल अर्थाें में लोक मंत्र बना। स्वाधीनता संग्राम में वाहे गुरू श्री गुरूगोविन्द सिंह की सेना ने सन् 1858 में अयोध्या में धावा बोलकर ‘‘मस्जिदें’’ जन्मभूमि की दीवार पर राम राम लिखा था जिसे तत्कालीन कोतवाल शीतला प्रसाद दुबे ने थाना-रिपोर्ट में लिखा है।

कालखण्ड अपनी गति से बढ़ता रहा, प्रति सोपान राम हमारी आस्था है। यह मंत्र जाप अनवरत होता रहा है। मीरबाकी ने स्वयं लिखा ‘‘यह फरिष्ते के उतरने की जगह है’’।

30 दिसम्बर 1949 मूर्तियों का प्रकाट्य हुआ, राम की धुन धड़कन बन धड़कने लगी। राम आस्था है, राम मर्यादा है, राम सभ्यता है, राम संस्कृति है, राम भाषा है, राम जन्म में है, राम मृत्यु में, राम मोक्ष है, राम अध्यात्म है।

विवाद का जन्म

12 वर्ष में कुछ माह शेष थे- 19 दिसम्बर 1961 को विवाद का जन्म होता है, श्रीराम के जन्म के 7100 वर्ष बाद भूमि विवाद का मुस्लिम पक्ष द्वारा मुकदमा दायर होता है। इस समय भारतीय राजनीति में मुस्लिम तुष्टीकरण शुरू हो गया था।

अबुल कलाम आजाद को शिक्षा मन्त्री नेहरू ने बनाया था इसलिए अकबर महान मजबूरी में पढ़ना पड़ा। तेजोमय मन्दिर से ताजमहल और वाराह मिहिर की दूरबीन को कुतुबमीनार पढ़ाया जाने लगा। क्योंकि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण में लगी थी- सभी स्थानों में नामों की पट्टिका गांधी, नेहरू परिवार तक सिमटी रही। आजादी के शहीदों को भी याद नहीं किया जा रहा था।

आजादी के 25 वर्षों में ही जनता जनांदोलन के लिए तैयार हो रही थी। आपातकाल के दौरान जनान्दोलन हिन्दुत्व संगठनों और विपक्षी संगठनों को देषहित में एक साथ आने में स्वाभाविक सरलतापूर्वक संयुक्त संगठन बना।

शाहबानो

राजीव गांधी ने शाहबानो प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को वापस लेने के उपरान्त हिन्दुत्व संगठन ने समाज का आह्वान कर दिया। अब हिन्दुत्व राष्ट्रीय पटल पर स्थापित होने की ओर बढ़ने लगा। मनुष्यता में आम तत्व राम हैं।

ब्रहमा के पुत्र प्रचेता थे उनके दसवें पुत्र बाल्मिीकि जी जिनको नारद जी ने राम कथा सुनायी और राम के जीवन काल में रामायण लिखी गयी। बाल्मीकि जी सीता और लव कुश को लेकर अयोध्या आते हैं- राजाराम से कहते हैं ‘‘मैं प्रचेता पुत्र कहता हूं’’ सीता उतनी पवित्र है, जितना मेरे पुण्य और यदि ऐसा ना हो तो मेरे समस्त पुण्य क्षीण हो जाएं।

राम भारत के रोम रोम में हैं। भारत के लोक में राम हैं, भारत की सांस में राम हैं, भारत की मिट्टी, हवा, जल में राम हैं। राम भारत की सम्पदा, वैभव, यष, मर्यादा जीवन पद्वति हैं। मुस्लिम तुष्टीकरण का परिणाम संप्रदाय जनित वातावरण की गर्माहट से नये युग के प्रारम्भ होेने की दिषा में एक नये अध्याय की ओर हिन्दू संगठन बढ़ने लगा जिसकी परिणति राम रथ यात्रा ने भारत की राजनीति के नये आयाम गढ़ने लगे, भारत की मौलिक राष्ट्रीय चेतना को आगे नेतृत्व मिला।

रथयात्रा संस्मरण में-

आडवाणी जी के साथ रथयात्रा के संयोजक श्री के0एन0गोविन्दाचार्य जी रहे गोविन्द जी भारत परस्त संगठन और सज्जन शक्ति को संगठित कर रहे थे। देष में रथ अपनी यात्रा पर था एक दिन गोविन्दाचार्य जी से रात्रि भोजन के उपरान्त टहलते हुए आडवाणी जी ने एक प्रष्न किया - यह जनता जनार्दन रथ के आगे मिट्टी में लोट रही है और राथ के पीछे की मिट्टी को कागज पुड़िया में रख कर माथे चढ़ा रही है!

आडवाणी जी ने कहा मैं हतप्रभ और आष्चर्यचकित हूॅ! गोविन्द जी भी अनुत्तरित रहे। गोविन्द जी ने बताया अध्ययन अवकाष के समय बिन्दुवार ध्यान करने पर आया कि आडवाण्याी जी अंग्रेजी संस्कृति में पढ़े पले होने के कारण उनके मन मस्तिष्क में राम मय मिट्टी में लोट-पोट रही जनता जनार्दन के प्रति विस्मय रहा था।

भारत की तासीर-

तेवर, कलेवर समझने के लिए राममय होना पड़ेगा। राम की वेश-भूषा में आने मात्र से रावण का मन राममय हो गया था। राम की मर्यादा के आचरण, तपस्या, त्याग और परोपकार संत संस्कृति का जीवन जीने से रामराज्य जन्म लेता है।

छद्म सेकुलरवाद अब सेकुलरवाद की जगह पा चुका था। 6 दिसम्बर, 1992 दोपहर में श्री कलयाण सिंह मुख्यमन्त्री उ0प्र0 अपने आवास पर दो मन्त्री के साथ बैठे थे। अयोध्या में कार सेवा चल रही थी। कारसेवक बाबरी मस्जिद के गुंबद पर च्ढ़ गये और कुदालों से तोड़ने लगे वहाॅ पर्याप्त संख्या में अर्ध सैनिक बल था लेकिन कार सेवकों ने उनके और बाबरी मस्जिद के बीच एक घेरा बना दिया था।

उस समय कल्याण सिंह के आवास पर पुलिस महानिदेषक उ0प्र0 एल0एम0 त्रिपाठी, भागते हुए आये, मुख्यमंत्री से मिलना चाहा, अन्दर से सन्देष आया भोजन समाप्त होने तक प्रतीक्षा करें। कुछ देर बाद जब डी0जी0पी0 अन्दर गये तो ‘‘कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति माॅगी, ताकि बाबरी मस्जिद को गिरने से बचाया जा सके- कलयाण सिंह ने पूछा - अगर गोली चली तो कारसेवक मारे जायेंगे? डीजीपी ने जवाब दिया हां।

तब मुख्यमंत्री ने कहा मैं आपको गोली चलाने का आदेष नहीं दूॅगा। आप अन्य साधनों से नियंत्रण करें। शाम को बाबरी मस्जिद का ढाॅचा ढह गया। माननीय कल्याण सिंह ने अपना त्याग पत्र राज्यपाल को सौंप दिया। बाबरी मस्जिद की एक एक ईंट कार्यकर्ता उठा ले गये। सेकुलरवादियों के अन्यायपूर्ण जिद की प्रतिक्रिया में कारसेवकों ने ढांचा गिरा दिया।

दिग्दर्शन

दूरदर्षन पर रामायण और महाभारत का दिग्दर्षन ने भारतीय जनमानस का मानस बनाया। रामजन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण की माॅग और बाबरी मस्जिद की माॅग सार्वजनक गली नुक्कड, मोहल्लों, गांवों में बहस होने लगी।

आम चर्चा में राम का जीवन मर्यादा, मूल्यों, त्याग, करूणा, दया, वात्सल्य, प्रेम, स्नेह, बन्धुत्व, क्षमा, अपार धैर्य, साहस, वीरता, उधम, न्यायप्रियता, नैसर्गिक ईष्वरीय गुणों से सम्पूर्ण चरित्र चर्चा चल रही थी जिसे बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम की स्तुति कहते हैं। समस्त संसार रामनाम दीखने में भगवान के बामन रूप जैसा है दीखने में छोटा किन्तु वास्तविक स्वरूप में प्रकट कने पर अनन्त कोटि ब्रहमाण्डों को अपने में समा सकता है। सभी ब्रहमाण्डों के नायक श्रीराम जी हैं।

सूर्य के केन्द्र में जो सविता है वो साक्षात नारायण हैं इसिलए श्रीराम सूर्यवंषी हैं आस्था के प्राणतत्व का प्रतिफल मेरे राम हैं। भारत का जीवन दर्षन मेरे राम हैं। भारत की पहचान आन, मान, सम्मान मेरे राम हैं। हम राम जी के, रामजी हमारे हैं, तभी अन्तिम समय में राम नाम सत्य है सभी की यह गति है। सांस्कृतिक जागरण के कारण उस समय की खुदाई होने पर मन्दिर के प्रमाणिक साक्ष्य ने न्यायालय में जन्मभूमि की न्याय में सहायता दिलाया।

चेतना

राम जन्मभूमि विवाद उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचने में भारत की सांस्कृतिक चेतना पूर्ण रूप से एक मत होने लगी कि राम भारत के प्राण तत्व हैं। भारत के संविधान की मूल प्रति पर भगवान राम सपरिवार पुष्पक विमान सहित चित्र संयोजित है तो भारत के संविधान में मेरे राम हैं।

राम के प्राकट्य स्थल पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रापत निर्णय पर अन्य स्थापत्य के बिना भारत की अस्मिता पर प्रष्न चिह्न लगा रहेगा। राष्ट्रवादी चेतना ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सरकार बनायी दूसरी ओर स्वयं सेवक विद्वान अधिवक्ता, सन्तों, महन्तों, शंकराचार्यों, आचार्यों, विद्वानजन, जन शक्तियों के द्वारा तर्क, राज्य स्मृति चिह्न, प्राकट्य प्रमाण जुटाने में लगे रहे जिसे संवैधानिक अर्थाें में न्यायपूर्ण निर्णय द्वारा प्राप्त आदेश से श्री राम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से नये भारत का गौरवषाली इतिहास रचेगा।

इस पुर्न निर्माण से विशिष्ट शैली के मन्दिर का भूमि पूजन भारत स्वाभिमान को सुषोभित करेगा। यह सम्पूर्ण संसार के समक्ष एक आत्मतत्व राम की प्रतिमूर्ति विश्व को एक वैषिष्टय उदाहरण प्रस्तुत रहेगा। जिसमें हिन्दुत्व सनातन की सांस्कृतिक राष्ट्रीय चेतना का गौरव स्थापित होगा और यह सत्य कि मेरे राम अविनाषी कण-कण में है- घट-घट में हैं। मेरे राम।

कैप्टन सुभाष ओझा

संयोजक नदी संरक्षक

लोकभारती

9415217404

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