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Nepal New PM: पड़ोस में कमल, वह भी प्रचंड, हार्दिक बधाई

Nepal New PM: प्रचंड आज शाम 4 बजे शपथ लेंगे। प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे। पहली बार वे 2008 से 2009 और दूसरी बार 2016 से 2017 में इस पद पर रह चुके हैं।

Sanjay Tiwari
Written By Sanjay Tiwari
Published on: 26 Dec 2022 2:46 PM IST
Nepal pm pushpa kamal dahal prachanda
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Nepal pm pushpa kamal dahal prachanda (photo: social media )

Nepal New PM: पड़ोस में कमल खिला है, वह भी प्रचंड। बधाई तो बनती है। भारत की मिट्टी और पानी मे उगा यह पुष्प चीनी भाव मे दहलाने की भी ताकत रखता है लेकिन अभी के लक्षण भारतीय ही दिख रहे। रजानीतिक पंडितों के लिए कुछ अन्य रहस्य भी हो सकते हैं लेकिन नेपाल मामलों के गहरे जानकर वरिष्ठ पत्रकार यशोदा श्रीवास्तव इस वैश्विक घटना को भारत के लिए शुभ संकेत मानते हैं। कारण, इधर प्रचंड को प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा होरही और उधर चीन भारत से अपने रिश्ते सुधारने की घोषणा करता है। पड़ोसी राष्ट्र के प्रधानमंत्री बनाये जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी गर्मजोशी से प्रचंड को बधाई दी है। अभी तक वास्तव में सब शुभ ही दिख रहा है।

अब यह तय है । पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड नेपाल के नए प्रधानमंत्री होंगे। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने रविवार शाम उनकी नियुक्ति की घोषणा की। प्रचंड आज शाम 4 बजे शपथ लेंगे। प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे। पहली बार वे 2008 से 2009 और दूसरी बार 2016 से 2017 में इस पद पर रह चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ समझौते के तहत शुरुआती ढाई साल तक प्रचंड प्रधानमंत्री रहेंगे। इसके बाद ओली की पार्टी सत्ता संभालेगी। इसके मायने ये हुए कि पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ढाई साल बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं। खास बात यह है कि ये दोनों ही नेता चीन समर्थक माने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचंड को नेपाल का प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी है।

प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री और चीन के करीबी माने जाने वाले केपी शर्मा ओली समेत 5 अन्य गठबंधन पार्टियों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया। प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री और चीन के करीबी माने जाने वाले केपी शर्मा ओली समेत 5 अन्य गठबंधन पार्टियों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया। दो साल पहले प्रचंड ओली सरकार का हिस्सा थे। भारत के साथ कालापानी और लिपुलेख सीमा विवाद के बाद उन्होंने अपने 7 मंत्रियों से इस्तीफे दिलाए और ओली को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद वे नेपाली कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शेर बहादूर देउबा के साथ हो गए। प्रचंड के समर्थन से देउबा प्रधानमंत्री बने।

नेपाली संसद में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं

हाल ही में हुए आम चुनाव के बाद नेपाली संसद में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी जरूर बनी, लेकिन इस बार प्रचंड ने सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस को समर्थन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों का दो साल पुराना गठबंधन टूट गया। देउबा की नेपाली कांग्रेस और प्रचंड की सीपीएन-माओवादी मिलकर सरकार तो बनाने के लिए तैयार थे, लेकिन बारी-बारी से प्रधानमंत्री का पद चाहते थे। प्रचंड की पार्टी चाहती थी कि दोनों ही पार्टियां ढाई-ढाई साल के लिए सरकार चलाएं। लेकिन इसमें सबसे बड़ी शर्त ये थी कि प्रचंड पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। इस पर देउबा राजी नहीं थे।

नेपाली कांग्रेस सीपीएन का रिकॉर्ड देखते हुए उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं थी। लिहाजा, आशंका ये थी कि कहीं ढाई साल सत्ता में रहने के बाद सीपीएन कोई बहाना बनाकर समर्थन वापस न ले ले। यहीं आकर पेंच फंसा। इसके बाद प्रचंड ने ओली की (सीपीएन-यूएमएल) तरफ हाथ बढ़ा दिया।

पुष्प कमल दहल प्रचंड और केपी शर्मा ओली दोनों कम्युनिस्ट पार्टी से हैं और चीन के बेहद करीब माने जाते हैं। दो साल पहले जब ओली प्रधानमंत्री थे तो वे चीन के साथ BRI करार पर ज्यादा उत्सुक नजर आते थे। ऐसे में अब नेपाल की सरकार भारत के लिए परेशानी बन सकती है। चीन, भारत को चौतरफा घेरने के लिए नेपाल की जमीन का इस्तेमाल करेगा।

ओली के प्रधानमंत्री रहते नेपाल में चीन की पूर्व राजदूत हाओ यांकी की करीबी भी कम्युनिस्ट सरकार से रही है। तब हाओ यांकी ने ओली को नेपाल का विवादित नक्शाक जारी करने के लिए तैयार किया था। इस नक्शे में नेपाल ने भारत के साथ लगे विवादित इलाकों- कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया था। नई सरकार में ओली की मौजूदगी इन मुद्दों पर फिर से सिर उठा सकती है।

ओली ने भारत सरकार के नए नक्शे पर जताई थी आपत्ति

2019 में नेपाली प्रधानमंत्री ओली ने भारत सरकार के नए नक्शे पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि नेपाल-भारत और तिब्बएत के ट्राई जंक्शिन पर स्थित कालापानी इलाका उसके क्षेत्र में आता है। बतौर प्रधानमंत्री ओली ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल में दर्शाता हुआ नया मैप जारी किया था। भारत इन्हें अपने उत्तराखंड प्रांत का हिस्सा मानता है। ओली ने इस नक्शे को नेपाली संसद में पास भी करा लिया था।

पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की माओइस्ट सेंटर पार्टी ने पांच दूसरे दलों के साथ गठबंधन का ऐलान किया। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी शामिल हैं।

पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की माओइस्ट सेंटर पार्टी ने पांच दूसरे दलों के साथ गठबंधन का ऐलान किया। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी शामिल हैं। यह जानकारी भी अहम है कि 90 के दशक में नेपाल से राजशाही को खत्म करने वाले चेहरों में सबसे बड़ा नाम प्रचंड का ही रहा है। 25 साल तक भूमिगत रहने वाले पेशे से शिक्षक 68 साल के प्रचंड के नेतृत्व में दस साल का सशस्त्र संघर्ष चलाया गया। और ये संघर्ष नेपाल में राजनीतिक परिवर्तन का एक बड़ा कारण रहा है। माओवादी इस संघर्ष को एक 'जनयुद्ध' के रूप में देखते हैं।

बीबीसी के मुताबिक, चितवन के नारायणी विद्या मंदिर में क्लास 10 में पढ़ते समय, प्रचंड ने अपना नाम छविलाल दाहाल से बदलकर पुष्प कमल दाहाल रख लिया। साल 1981 में पंचायत विरोधी आंदोलन में भूमिगत हुए प्रचंड 20 जुलाई 2006 को बालूवाटार में सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए। भूमिगत रहते हुए उन्होंने कल्याण, विश्वास, निर्माण और प्रचंड नाम लिया। इससे पहले वे छविलाल से पुष्प कमल बने थे। जब वह एक शिक्षक के रूप में काम कर रहे थे, तब वह कल्याण नाम से जाने जाते थे। इसके बाद मशाल के केंद्रीय सदस्य बनने पर वह विश्वास नाम से जाने गए।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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