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एक अंत, एक आरंभ

New Year: यह सर्दियों का मौसम नए साल और पुराने साल के संगम पर लाकर हमे खड़ा कर देता है।

Anshu Sarda Anvi
Published on: 31 Dec 2024 12:08 PM IST
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New Year: पौष माह में सर्दी अपने पूरे चरम पर है और सुबह-सुबह दरवाजे को खोलते ही कुछ समय बाद बाल सूर्य ऊपर चला आता है। यह सर्दियों का मौसम नए साल और पुराने साल के संगम पर लाकर हमे खड़ा कर देता है, जहां सर्दियों में अलाव जलना, मूंगफली, मक्का, सरसों साग, बाजरे की रोटी, गुड़ का खाना सुखदायी भाव लेकर आता है। अब जबकि यह साल खत्म होने के आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुका है और फिर नए साल का लाल कारपेट हम सब का स्वागत करने के लिए खडा मिलेगा। बीतते इस वर्ष के साथ बहुत कुछ भी बीत जाएगा। बहुत से लोग साथ छोड़ गए हैं हमेशा के लिए तो बहुत से नवजात शिशु साथ-साथ जीवन व्यतीत करने के लिए आ गए होंगे इस दुनिया में। हर दिन रंग बदलते चेहरे, एक मुखौटा हटा तो दूसरा पहनते चेहरे, नए-नए रूप धरते, नए-नए किरदार निभाते ये चेहरे।

यही तो है जिंदगी, कभी स्वाभाविक तो कभी बनावटी है यह जिंदगी। हमेशा हम दोहरी जिंदगी जी रहे होते हैं, जिसमें से कभी कभार हमारी असली भावनाएं भी झांककर बाहर को चली आती हैं। कारण कि मुखोटों वाली जिंदगी कभी भी स्वाभाविक नहीं होती। अपना दर्द, अपनी कुंठाएं, अपनी परेशानियां सब अपना ही तो होती है। और उसे झेलना भी हमें स्वयं को ही होता है।

बीतता वक्त यह जरूर याद दिलाता है कि उस समय में हमने जो गलतियां की थी उससे क्या सबक हासिल किया है। बीतता वक्त इतिहास बनता जा रहा होता है, उससे सिर्फ जानकारियां मिला करती हैं, सिर्फ तथ्य मिला करते हैं, अनुभव मिल सकते हैं , सीख मिल सकती है, इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। बीतते वक्त में यादें अगर मीठी हैं तो चेहरे पर मुस्कान दे जाती हैं और अगर दु:खद हैं, कड़वी हैं तो दिल को धोखा देती हैं। बीता रहा साल हमेशा इतिहास के पन्नों पर अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को याद दिलाएगा, बीत रहा साल डी मुकेश का विश्व चैंपियन बनना याद दिलाएगा तो बीतता साल कोलकाता के आजीकर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई नृशंसता को याद दिलाएगा, बीतता साल याद दिलाएगा लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करती परीक्षा नीट- यूजी का विवाद।

ऐसी कईं घटनाओं को याद दिलाता बीत रहा है यह साल। ऐसा नहीं है कि आने वाला साल अचानक कोई बड़ा परिवर्तन कर सब कुछ सही और सकारात्मक कर देगा। अब यह हम पर है कि हम अतीत को कैसे छोड़ पाएंगे, कैसे अपने दृष्टिकोण में बदलाव ला पाएंगे नहीं तो हमारा आने वाला भविष्य हमारे अतीत के बोझ से ही दब जाएगा। हम भविष्य के बारे में नहीं सोच पाएंगे, हम वर्तमान से नाता नहीं जोड़ पाएंगे। क्या हम जी पाते हैं इस तरह से? नहीं।

अतीत से जुड़े रहना जरूरी है पर उसको अपने साथ ‌ढोना अपने जीवन को स्थगित करने जैसा है। मुरझाया हुआ, सूखा फूल तो भगवान की पूजा में भी नहीं स्वीकार्य होता है, यह तो हमारी अपनी जिंदगी है। क्यों इसे यादों की पहाड़ के नीचे आने दे, बल्कि अपने भीतर से अतीत के सारे पन्नों के दुखों को विदा कर देना होगा। नहीं तो हम नए महीने , नए साल में भी मानसिक तौर पर पुराने सालों में ही चल रहे होंगे। माना कि बहुत कठिन है यह जिंदगी पर सरल बनाने का तरीका भी तो हमारे ही पास है। वर्तमान में रहना एक नदी के समान होता है जहां प्रवाह है जबकि अतीत में रहना उस तालाब में रहने जैसा होता है जहां सिर्फ ठहराव है। जहां हम अपनी शक्ति तो नहीं खोते लेकिन हम व्यक्तित्व भी नहीं बना पाते हैं। आज हम जिस दिन पर खड़े हैं, सामने नए साल का इंतजार है तो पीछे बीतता एक साल हमें हमारा अतीत याद दिला रहा है। इन दोनों का यह संगम हमें बहुत से मौके दे रहा है कि हम 'बीती ताहिं बिसार दें, आगे की सुध लें'।

सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से रचनात्मक सोच भी बढ़ती है और तनाव भी कम होता है , झल्लाहट और नकारात्मकता भी कम होती है। हो सकता है कि हर जगह हर परिस्थिति में हम जैसा सकारात्मक सोचें ,आशावादी सोचें वैसा न हो पाए। फिर भी सकारात्मक दृष्टिकोण हमारे रवैया को बदल कर हमें चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना करने योग्य बनाता है और हम अपने आसपास के बोझिल वातावरण को भी हल्का पाते हैं , उसे आसानी से स्वीकार कर पाते हैं। इसीलिए बीतते साल और नए साल के इस जोड़ पर खड़े होकर अपने विचारों में ,अपनी सोच में कुछ बदलाव लाएं और नए वर्ष को सहर्ष स्वीकार करें । सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ नए वर्ष में प्रवेश करें।

( लेखिका प्रख्यात स्तंभकार हैं।)



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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