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यात्री ध्यान दें! लखनऊ से वाराणसी के बीच कड़ाके की ठंड़, दो पहिए वाली बस से लीजिए सफर का मजा
दो पहिए वाली बस, लखनऊ से वाराणसी तक कीजिए अपने रिस्क पर सफर
Nitendra Verma ki Chikoti: भैया अगर यूपी की रोडवेज़ बस में न बैठे तो जीवन बेकार है । सफर या सफ़र का असली अंतर किताबों में नहीं बल्कि इन्ही बसों के सफर में छिपा है । एक बार बैठ के तो देखिये शरीर का पुर्जा पुर्जा न हिल जाये तो कहियेगा । मल्लब सफर का सफर और मुफ्त मसाज । सरकारें गरीब जनता का कितना ध्यान रखती हैं ये तो जग जाहिर है । बोली जनता को केवल सफर नहीं बल्कि एसी में सफर कराएंगे । तो बस चल गई । गरीब जनता की एसी बस जनरथ ।
लखनऊ से वाराणसी की एसी बस में कड़ाके की ठंड
आज की किस्सा है राजधानी लखनऊ का । हुआ यूं कि जनरथ बस आलमबाग टर्मिनल से वाराणसी को रवाना हुई । सवारी थीं मात्र आठ । एसी की Y से सवारी कड़कड़ाने लगीं । कुछ तो डायरेक्ट कम्बल निकाल लिए । जो सरकारी ठंडक से अंजान थे वो बेचारे सर्दिया गये । फिर सब मिल बैठ के मीटिंग किये औ डिसाइड किये कुछ सवारी और ली जाये । तो ड्राइवर साहब गाड़ी धीमी कर दिए । जिसको भी वाराणसी की तरफ जाना होता चुपचाप बैठ लेता । मल्लब लखनऊ की सड़कों पे टॉय ट्रेन का मजा जनरथ में ही मिल सकता है ।
बस के दोनों पहिए निकले बाहर
तो बस यूँ ही सफर का मजा लूटते चले जा रहे थे । कि अचानक पहले तो कुछ लड़खड़ाया फिर खड़खड़ाया । ड्राइवर साहब तत्काल इमरजेंसी ब्रेक लगाये । नीचे उतर के देखे तो पैरों तले जमीन खिसक गई । बस के पिछले दोनों पहिए दौड़ते दौड़ते बाहर निकल चुके थे । बस का पिछला हिस्सा सड़क के कंधों पर पसरा पड़ा था ।
वैसे सवारी सहित बस को कोई चोट नहीं पहुंची । लेकिन अपने रोहित शेट्टी ने अगर ये शो देख लिया तो अगली पिच्चर में पक्का ये वाला सीन मिलेगा । वैसे ये बस टर्मिनल से कुछ ही देर पहिले फिटनेस का सर्टिफिकेट ले के निकली थी । लेकिन भैया सर्टिफिकेट की कोई गलती नहीं है । पहिए ही बेवफा निकले तो भला सर्टिफिकेट भी क्या करे । ये तो पहियों की दरियादिली है कि सफर शुरू होते ही निकल पड़े । कहीं पूरी रफ़्तार के बीच निकल भागते तो क्या उखाड़ लेते ।
आज की चिकोटी कैसी लगी बताईयेगा । कल फिर मिलेंगे । चलते हैं...