TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Parliament: दो सुहृद ! सदन के बाद !!

K.Vikram Rao: वस्तुतः यह पेशबंदी सी लगी कि कहीं जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा 1962 में 43180 वर्ग किलोमीटर भूभाग को छः दशक बाद भी चीन के अवैध कब्जे से मुक्त नहीं कराये जाने वाला मसला न उठ जाए !

K Vikram Rao
Published on: 14 Dec 2022 5:28 PM IST
K.Vikram Rao
X

K.Vikram Rao (Newstrack)

Parliament: चीन से सीमा-भिड़ंत पर राज्यसभा में कल (13 दिसंबर 2022) नेता विपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार की खाट खड़ी करने का पुरजोर प्रयास किया था। वस्तुतः यह पेशबंदी सी लगी कि कहीं जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा 1962 में 43180 वर्ग किलोमीटर भूभाग को छः दशक बाद भी चीन के अवैध कब्जे से मुक्त नहीं कराये जाने वाला मसला न उठ जाए! अक्साई चिन तो चीन के अपने शिंजियांग प्रांत में काश्गर क्षेत्र के कार्गलिक जिले का हिस्सा बना ही दिया है। यहां पाकिस्तान की जानकारी में कम्युनिस्ट शासन ने मुसलमानों पर अकथ जुल्म ढाये। उनके मस्जिद तोड़े। उनको सूअर का गोश्त खिलाया और रमजान पर दिन में होटल खुले रखे, आदि है।

खड़गे की जद्दोजहद वाजिब है, सामयिक भी। कारण है कि लोकसभा में उन्ही की कांग्रेस पार्टी के केरल से दो सदस्यों वाले प्रश्न पटल पर थे। दोनों कांग्रेसी सांसद श्रीमती बेन्नी बेहनन और वीके श्रीकंठन जानना चाहते थे कि राजीव गांधी न्यास का पंजीकरण किस आधार पर निरस्त किया गया।

इसका उत्तर गृहमंत्री अमित शाह को देना भी था कि इस न्यास को चीन के दूतावास ने सवा करोड़ रुपयों का अनुदान दिया था। हालांकि संसद स्थगित हो जाने के बाद में गृहमंत्री ने सदन के बाहर (परिसर में ही) मीडिया को इसकी विस्तृत जानकारी दे दी थी। सदन स्थगित हो जाने से प्रश्नोत्तर भी टल गए।

यूं तो राज्य सभा में मलिकार्जुन खड़गे के तेवर बहुत तीखे थे। जीवन में ग्यारह चुनाव (नौ बार कर्नाटक विधानसभा का मिलाकर) के बाद पहली बार वे 2019 के लोकसभा मतदान मे पराजित हुये थे। उनका मुस्लिम-बहुल गुलबर्गा क्षेत्र से भाजपायी प्रतिद्वंदी उमेश जाधव से हारना दुखद रहा।

उस वक्त तक खड़गे "सोलिल्लादा सरदार" (कन्नड़ में अपराजित नेता) कहलाते थे। हालांकि वे हर्षित हैं कि "एक श्रमिकपुत्र कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ जिस पद पर कभी गांधीजी, नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, जगजीवन राम, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया और राहुल गांधी आदि रह चुके हैं।"

राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे ने तवांग पर झड़प और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए सभी विपक्षी दलों के साथ विचार भी किया था। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को पूरी जानकारी दे दी। उन्होने कहा : "चीन के सैनिकों ने 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में यथास्थिति बदलने का एक तरफा प्रयास किया, जिसका भारत के जवानों ने दृढ़ता से जवाब दिया।

इस झड़प में किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और ना ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है।" वे बोले कि : "हमारी सेनाएं सीमाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और इसके खिलाफ किसी भी प्रयास को रोकने के लिए सदैव तत्पर हैं। मुझे विश्वास है, कि यह सदन हमारी सेनाओं की वीरता और साहस को एक स्वर से समर्थन देगा।"

इस पूरे प्रकरण मे दिलचस्प वक्तव्य अरुणाचल प्रदेश (तवांग जिसका हिस्सा है) के भाजपाई मुख्यमंत्री पेमा खांडू का था। वे तथा उनके स्वर्गीय पिता और पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू तवांग में ही जन्मे। पेमा खांडू ने कहा : "यह 1962 नहीं है, 2022 का भारत है।

यहां ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, बल्कि भारतीय सैनिक अब ईंट का जवाब लोहे से देते हैं।" बिल्कुल करारा जवाब था। चीन को वर्ष 2020 के गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से भिड़ंत और अब तवांग में झड़प में खैर यह बात समझ भी आ गई होगी।

भारत के महज कुछ सैनिकों ने चीन के 300 से अधिक सैनिकों को बॉर्डर से खदेड़ दिया। जबकि चीनी सैनिक कटीली लाठियां लेकर यांग्त्सी घाटी पर एकतरफा कब्जा करने के लिए आए थे।

खांडू ने ट्वीट किया : "यांग्त्सी मेरे विधानसभा क्षेत्र (मुक्तो) के अंतर्गत आता है और हर साल मैं सेना के जवानों और क्षेत्र के ग्रामीणों से मिलता हूं। यह 1962 नहीं है। अगर कोई भी अतिक्रमण करने की कोशिश करेगा, तो हमारे बहादुर जवान करारा जवाब देंगे।'' उन्होने यांग्त्से में स्थिति को संभालने वाले भारतीय सैनिकों की सराहना की।

अब अपेक्षा यह है कि यदि संसद में बहस होगी तो कम से कम लोहियावादी सांसद तो यह मांग करें कि अरुणाचल (लोहिया का उर्वशीयम) की सुरक्षा अधिक दृढ की जाए। यह भारत का द्वार है जहां से सूर्य की किरणें प्रवेश करती है।



\
Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

Next Story