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‘ऑरेंज’, ‘लाइम’ समझते नहीं और बात मोदी, राहुल की!....

raghvendra
Published on: 14 Jan 2019 1:47 PM GMT
‘ऑरेंज’, ‘लाइम’ समझते नहीं और बात मोदी, राहुल की!....
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नवल कान्त सिन्हा

अमा ये उत्तर प्रदेश है कोई बिहार, गुजरात नहीं कि शराब पिलाने पर पाबंदी हो। जिसको देखो हरदोई की रैली में खाने के साथ शराब देने के मामले को तूल दे रहा है। अरे हुआ ये कि इस रविवार हरदोई के श्रवण देवी मंदिर परिसर में पासी समाज का सम्मेलन था। आयोजक थे हरदोई सदर विधायक नितिन अग्रवाल। अब बेटे का सम्मेलन तो पिता नरेश अग्रवाल भी मौजूद थे। खैर सम्मेलन में यहां आये लोगों को लंच पैकेट दिए गए। आरोप लगा कि लंच पैकेट में पूड़ी-सब्जी के साथ-साथ दारू का एक पव्वा भी था। बस क्या था हंगामा हो गया। भाई लोग उस खाने का वीडियो इधर से उधर करने लगे।

नरेश अग्रवाल की पार्टी यानी भाजपा के हरदोई से सांसद अंशुल वर्मा खफा हो गए। इतने खफा कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय को शिकायती पत्र लिख डाला। कहा कि हमारे नवआगंतुक सदस्य नरेश अग्रवाल भाजपा की संस्कृति नहीं जानते। नरेश अग्रवाल ने पासी समाज का उपहास उड़ाया है। उन्होंने शराब बांटने जैसा निंदनीय कार्य किया है। यदि इस गतिविधि को गंभीरता से नहीं लिया गया तो हम सडक़ पर भी उतरने को तैयार हैं।

अब मैं सांसदजी को ‘सियासत में नशे का महत्व’ विषय पर लेक्चर तो नहीं दे सकता लेकिन उन्हें इसके महत्व को समझना तो चाहिए ही... है न। अब सोचिये न कि बसपा शासनकाल में दुकानों में दारू पर छपे दाम से ज्यादा पैसा लिया जाता था, लोग इसे ‘माया टैक्स’ कहते थे। चुनाव हुए और मायावती सरकार विदा हो गयी। अखिलेश यादव ‘शाम की दवा सस्ती’ के नारे के साथ आये। फिर हुआ यूं कि दारू सस्ती के बजाय महंगी हो गयी। उनकी सरकार भी विदा हो गयी। अब इसे क्या समझें कि शराबियों की आह के चलते सरकार गयी या फिर शराबियों का वोटबैंक इतना बड़ा है कि वो सरकारों को बदलने की क्षमता रखते हैं।

वैसे योगीजी की सरकार बनी तो उन्होंने कहा कि बहुत से चीजों को बंद किया जाएगा, लेकिन कसम से दारू को उन्होंने कतई बंद नहीं की। बल्कि उन्होंने गाय कल्याण के लिए शराब पर सेस लगानी की घोषणा कर दी। यानी दारू पीजिये और गाय कल्याण में सहयोग कर पुण्य भी कमाइए। ऐसा सुविचार तो भाजपा के शासन में ही आ सकता था।

खैर, मुझे पता नहीं कि नितिन बाबू ने कौन सी दारू पिलावायी लेकिन अपने उत्तर प्रदेश में तो मस्तीह, कैटरीना, वाह ऑरेंज, बुलेट, कमांडो, विंडीज़ लाइम, मिस्टर इंडिया, लैला, मिस्टर लाइम, पावर हाउस जैसी देसी दारू लोकप्रिय हैं। इसमें 25 डिग्री की 45 रुपए, 36 डिग्री 65 रुपए और 42.5 डिग्री की 75 रुपए की बिकती हैं। आपकी जानकारी और बढ़ा दें कि अपने राहुल गांधीजी के क्षेत्र अमेठी में ‘वाह ऑरेंज’ दारू पॉपुलर है तो अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के क्षेत्र वाराणसी में ‘विन्डीज़ लाइम’ की छाई हुई है। अब 2019 में पब्लिक पर ‘लाइम’ हावी होता है या फिर ‘ऑरेंज’, इसका तो इंतजार करना पड़ेगा।

फिर शराब के नशे पर ही इतना बवाल क्यों, सियासत भी तो एक नशा है। देखते नहीं हैं कि कुछ लोग इस मुई सियासत के चक्कर में अपनी जमीन-जायदाद तक बेच डालते हैं। कुछ तो टिकट खरीदने में ही बिक जाते हैं। कोई सियासत के चक्कर में आकंठ भ्रष्टाचार में डूब जाता है तो कोई भडक़ाऊ भाषण दे दुकान चलता है तो कोई दंगे करवाने में नहीं हिचकता। यही नहीं, ये सियासत का ही नशा था कि देश आपातकाल भी देख चुका है। लेकिन हमसे क्या लेना-देना हम तो यहीं कहेंगे कि... अमा जाने दो।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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