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Organization and Government: संगठन अब सरकार से बड़ा नहीं होता, ये सिर्फ सिद्धांत की बात है
Organization and Government: जब किसी भी दल के सभी नेताओं की ख्वाहिश सरकार में पद लेने की हो, तब ये कैसे कहा जा सकता है कि उसका संगठन सरकार से बड़ा होता है।
Organization and Government : संगठन सरकार से बड़ा होता है। बीते दिनों यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस बयान ने खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन, क्या ये बयान आज की राजनीति और सत्ता प्रणाली में खरा है। या फिर सिर्फ एक सिद्धांत की बात है जिसे संगठन की बैठकों में दोहराया जाता है। महज औपचारिकता निभाने के लिए या फिर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए। जब किसी पार्टी के सर्वोच्च नेता केंद्र या राज्य में सरकार में शामिल हों तब ये कैसे कहा जा सकता है कि संगठन सरकार से बड़ा होता है।
जब किसी भी दल के सभी नेताओं की ख्वाहिश सरकार में पद लेने की हो, तब ये कैसे कहा जा सकता है कि उसका संगठन सरकार से बड़ा होता है। और जब पार्टी संगठन के पदाधिकारी विधानसभा और सचिवालय में मंत्री के आगे पीछे काम कराने के लिए घूम रहे हों, तब ये कैसे संभव है कि संगठन सरकार से बड़ा हो।
इंदिरा-राजीव के दौर में कभी संगठन ऊपर नहीं था
राष्ट्रीय दलों की बात करें तो कांग्रेस में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते संगठन कभी भी सरकार से ऊपर नहीं रहा। वैसे भी कांग्रेस में गांधी परिवार ही सब कुछ है। हां, यदि गांधी परिवार सरकार में शामिल नहीं है तब वहां जरूर संगठन सरकार से बड़ा हो जाता है। उदाहरण के लिए 2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार में कांग्रेस का संगठन सरकार से ऊपर था। वह भी इसलिए कि सरकार में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल नहीं थे। इसी दौरान राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के दागियों के चुनाव लड़ने संबंधी अध्यादेश को प्रेस कांफ्रेंस में फाड़ कर फेंक दिया था। जहां तक क्षेत्रीय दलों की बात है तो वहां एक नेता या परिवार ही संगठन भी होता है और सरकार भी।
बसपा में मायावती ही संगठन हैं
उदाहरण के लिए बीएसपी में मायावती ही संगठन में सब कुछ हैं और जब सरकार बनती है तो सरकार में सब कुछ होती हैं। इसी तरह समाजवादी पार्टी में पहले मुलायम सिंह यादव संगठन और सरकार सबके मुखिया थे और अब अखिलेश यादव हैं।
क्षेत्रीय दलों में एक नेता-एक परिवार
इसी तरह बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, जद (यू), पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, महाराष्ट्र में शिवसेना और दक्षिण भारत के क्षेत्रीय दलों को भी इसी श्रेणी में रख सकते हैं। क्षेत्रीय दलों में तो कोई ये कह भी नहीं सकता कि संगठन सरकार से बड़ा है या छोटा। इनमें तो एक नेता और एक परिवार में ही सभी अधिकार सुरक्षित होते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी दल को सत्ता में लाने में संगठन की बड़ी भूमिका होती है। लेकिन सत्ता में आने के बाद जिस तरह से सरकार हावी हो जाती है उसके बाद संगठन सिर्फ सिद्धांत रूप में ही बड़ा रह जाता है। हाल फिलहाल क्या आपने किसी बड़े नेता को ये कहते सुना कि वे सरकार में नहीं जाएंगे और पार्टी संगठन में काम करेंगे। जिस दिन बड़े नेता संगठन में काम करने को सरकार में काम करने पर वरीयता देने लगें उस दिन संगठन सरकार से बड़ा होगा, तब तक नहीं।