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व्यवस्था को दूषित करती बाबाओं की धूर्तता!

केवल सनातन धर्म से जुड़े ढोंगी इसीलिए कुख्यात है क्योंकि उसे उजागर करने वाले अभियान चलाने वाले बहुसंख्यक धर्मनिष्ठ हिंदुजन हैं।

K Vikram Rao
Written By K Vikram Rao
Published on: 25 Feb 2023 8:21 PM IST
Baba cunningness corrupting system
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Baba cunningness corrupting system (Social Media)

संतजन ईश्वर के रत्न होते हैं, बताया था दो सदियों पूर्व लंदन में पादरी मैथ्यू हैनरी ने। मगर इसे अधिक स्पष्ट बताया अपने विपर्यात्मक उक्तियों के लिए प्रसिद्ध लेखक आस्कर वाइल्ड ने। वे बोले हर : “पापी का भविष्य होता है, तो हर साधुओं का भूतकाल।” भारत में आज लगता है ज्यादातर धार्मिक बाबाओं का दोनों ही नहीं है। केवल कृष्ण-जन्म स्थान है। अर्थात जेल। ऐसे धूर्त, इच्छाधारी, ढोंगी, पाखंडी, स्वयं भू-संतों का जाल इतना व्यापक है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था ही दूषित हो गई। इनका दबदबा इतना जबरदस्त रहा कि कुछ प्रधानमंत्री तक उनके असर से दबे रहते थे। अनीश्वरवादी जवाहरलाल नेहरू पर साध्वी श्रद्धा देवी का प्रभाव था। प्रधानमंत्री के निजी सचिव केरलवासी मुंडपल्ली ओम्मन मथाई ने अपनी पुस्तक “नेहरू युग की स्मृतियां” (इन्दिरा गांधी सरकार द्वारा प्रतिबंधित) में साध्वी श्रद्धा देवी का प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रभाव का विशिष्ट वर्णन है। इसी परिवेश में ताजा तरीन बहुचर्चित प्रकरण रहा स्वनाम धन्य चंदास्वामी का। इनका प्रभाव पीवी नरसिम्हा राव पर जबरदस्त रहा। इसी कारण से इस कांग्रेसी प्रधानमंत्री की जेल जाने की नौबत तक आ गई थी। मगर चंदास्वामी की अद्भुत सफलता का रहस्य यही था कि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बनेंगे। कोई ऐसा आसार नहीं था। वे बोरिया बिस्तरा बांध कर, दिल्ली तज कर, करीमनगर (तेलंगाना) जा रहे थे। अचानक एलटीटी ने भाग्य रेखा बदल दी। राजीव गांधी की हत्या हो गई। चंदास्वामी की बात सच हो गई। नरसिम्हा राव की सत्ता-प्रवेश की लॉटरी खुल गई।

एचडी देवगौड़ा पर वक्क्लिगा स्वामी (आदि चुनचुन गिरीवाले) का काफी प्रभाव रहा। गुलजारीलाल नंदन तो भारतीय साधु समाज के संस्थापक ही रहे। इंदिरा गांधी को मां आनंदमायी ने माला देकर आशीर्वाद दिया था। यह माला मार्च 1977 में अचानक टूट गई। रायबरेली लोकसभा मतदान में वे पराजित हो गई। मोरारजीभाई देसाई धर्मप्राण थे, पर बाबाओं के चक्कर में कभी नहीं पड़े थे।

मगर उत्तर प्रदेश के एक अत्यंत विरक्त और महान साधु हुये देवराहा बाबा। वे साक्षात ईश्वरतुल्य रहे। एक किस्सा है। प्रयागराज में कुंभ हो रहा था। अपने अखबार “टाइम ऑफ इंडिया” (लखनऊ) के संवाददाता के नाते मैं रिपोर्टिंग हेतु गया। मचान पर बैठे देवराहा बाबा का आस्थावान दर्शन कर रहे थे। तभी यूपी के कांग्रेसी मुख्यमंत्री पंडित श्रीपति मिश्र (सुल्तानपुर वाले) पधारे। बाबा का आशीर्वाद मांगा। बाबा ने उन्हें ग्यारह किलो के मखाने की पोटली थमाई। और कहा कि सिर पर रखे घंटे भर खड़े रहे। बस चंद मिनट बाद श्रीपति मिश्र ने पोटली धरती पर डाल दी। नाराज देवराहा बाबा ने कहा : “ग्यारह किलो मखाना नहीं संभाल पाये, प्रदेश की ग्यारह करोड़ जनता का बोझ कैसे संभाल पाओगे ?” बस चंद महीनों में श्रीपति मिश्र पद से हटा दिये गए।

इन सारे सियासतदां साधुओं में अग्रणी रहे जिन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा शातिर अपराधी घोषित किया गया था : बाबा आसाराम बापू। आजीवन कारावास की सजा हो गई। आसाराम बापू पर यौन शोषण से लेकर गबन तक के आरोप लगे। उनका भक्तों में श्रेष्ठतम नाम था पंडित अटल बिहारी बाजपेई का। दुख भरा अचरज इस बात से होता है कि इन अपराधियों के पक्षधर वकील बड़े नामी गिरामी लोग थे। कहा गया है कि इन लोगों के कोर्ट मे पेश होने मात्र से आधा मुकदमा यूं ही जीता माना जाता है। इनमें रहे स्व. राम जेठमलानी, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, पूर्व कांग्रेसी सांसद केटीएस तुलसी, मुकुल रोहतगी, सिद्धार्थ लूथरा, सोली सोरबजी, पूर्व कांग्रेसी मंत्री सलमान खुर्शीद, तथा सबके शीर्ष में थे, वकील यूयू ललित, पूर्व प्रधान न्यायाधीश। इक्यासी-वर्षीय इस हिंदू धर्मगुरु आसाराम पर नाबालिग से रेप का आरोप है। उनके राष्ट्रव्यापी अन्य प्रशंसकों में हैं : लालचंद किशिनचंद आडवाणी, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री इत्यादि।

आसाराम से जुड़ी हुई एक निजी घटना भी मुझे याद आ गयी। अहमदाबाद संस्करण (टाइम्स ऑफ इंडिया) में तब मैं रिपोर्टर था। हवाई जहाज से दिल्ली होता हुआ लखनऊ घर जा रहा था। प्रथम पंक्ति में सीट मिली। बगल वाली सीट पर धवल परिधान धारण किये श्वेत दाढ़ी-केश वाले साधु आसाराम विराजे थे। देवतुल्य लगे। बड़ी प्रभावी शक्ल थी। मेरी प्रथम भेंट थी, पर नाम कई बार सुना था। उन्होंने मुझे अपने दिल्ली प्रवचन में आमंत्रित भी किया। तभी अचानक हमारा जहाज जोधपुर हवाई अड्डे पर उतरा, जबकि अहमदाबाद से दिल्ली की सीधी उड़ान थी। मुझे कौतूहल हुआ, पर पाइलेट ने बताया कि : “बापू” (आसाराम का उपनाम) को प्रतीक्षारत शिष्यों को दर्शन देना है।” एक रिपोर्टर की छठी इंद्रिय कौंधी। मैं उनके प्रवचन में नहीं गया। दिल को गवारा नहीं था। बल्कि उनके “धर्म” से ही मेरा कर्म तमाम हो जाता। इतना दिमागी उद्वेलन तो मुझे आपातकाल में भारत की पाँच जेलों मे बिताये वक्त भी नहीं हुआ था। मैं समझ गया कि दुनिया से भी ऊपर वालों तक “बापू” पहुंच रखता होगा। मैं ठहरा अदना रिपोर्टर, श्रमजीवी पत्रकार, और यूनियन कार्यकर्ता। क्या बिसात मेरी ?

इस संदर्भ में एक दिलचस्प रपट मिली जो इन ढोंगी मगर राजनीतिज्ञ बाबाओं की कैटेगरी उजागर करती है। हिंदुओं की बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने तमाम धूर्त, इच्छाधारी, पाखंडी, ढ़ोंगी, स्वयंभू संतों का पर्दाफाश कर दिया। पूरे हिंदुस्तान के फर्जी बाबाओं यानी इच्छाधारी संतों की एक लिस्ट जारी की। चैकाने वाली बात यह है राजनेताओं के आशीवार्द से ही इनका वर्चस्व खड़ा हुआ था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने कुल चैदह ढोंगी संतों की एक सूचि मीडिया में जारी की है। इसमें जेल की हवा खा रहे बाबा रामपाल, गुरमीत राम रहीम, आसाराम, नारायण साईं व असीमानंद के अलावा निर्मल बाबा, राधे मां व अन्य ऐसे इच्छाधारी बाबा शामिल हैं, जो पिछले कुछ सालों में अपनी करनी के चलते विवादों में रहे हैं। गोल-गप्पा खिलाकर लोगों की हर समस्या का समाधान करने वाले निर्मल बाबा जैसे ढोंगी भी इस लिस्ट में शामिल हैं। महिलाओं की अस्मिता से खिलवाड़ करना इन बाबाओं की दिनचर्याओं में शामिल था। लाज-शर्म की वजह से कुछ महिलाएं इन ढ़ोंगियों के खिलाफ अपना मुंह नहीं खोलती थी। इसी बात का फायदा ये बाबा उठाते थे।

प्रतिष्ठित अखाड़ा परिषद की लंबी सूची में उल्लेखित दो नामों का विशेषकर उल्लेख करना चाहिए। पहले हैं बाबा रामपाल। उनके पूरे देश में लाखों की संख्या में अनुयायी है। सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद से अपने करियर की शुरुआत करने वाले रामपाल का भविष्य किसी अपराधी की भाँति खत्म हो जायेगा इसकी उम्मीद शायद उनके घरवालों ने भी नहीं की होगी। हत्या, बलवा और अन्य अपराधों में दोष-सिद्धि के लिए इन्हे अदालत द्वारा उम्र कैद ही सजा सुनायी जा चुकी है।

दूसरे बाबा रहे 17 साल से साधु का वेश धारण कर चकमा दे रहे ब्रह्मगिरी। इन्हे यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। हापुड़ और मथुरा पुलिस ने इस फर्जी बाबा को लूट के मामले के तहत हिरासत में लिया है। यह फर्जी बाबा मथुरा के पिलखुवा गांव के सिखेड़ा के शिव हरि मंदिर में साधु बनकर रह रहा था। फर्जी बाबा का असली नाम अजय शर्मा उर्फ ब्रह्मगिरि है। वह बाबूगढ़ क्षेत्र का निवासी है। पुलिस के मुताबिक, उसने मथुरा जिले के हाईवे थाना क्षेत्रों में साल 2005 में लूट की वारदात को अंजाम दिया था।

यहां इतनी ध्यानार्थ एक बात और लिख दूं। ऐसा फर्जीवाड़ा, बल्कि अपराधी अंधविश्वास अन्य मजहबों में भी है। केवल सनातन धर्म से जुड़े ढोंगी इसीलिए कुख्यात है क्योंकि उसे उजागर करने वाले अभियान चलाने वाले बहुसंख्यक धर्मनिष्ठ हिंदुजन हैं। कठमुल्लों, पादरियों और अन्य आस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को भी कानून के कटघरे में खड़े करने की आज अत्यधिक आवश्यकता है।

के. विक्रम राव

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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