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Pakistan Crisis: तीन सौ में आटा और दस हजार का सिलेंडर, पाकिस्तान को भी एक मोदी चाहिए

Pakistan Crisis: पाकिस्तान के आजकल जैसे हालात हैं, मेरी याददाश्त में भारत या हमारे पड़ौसी देशों में ऐसे हाल न मैंने कभी देखे और न ही सुने।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 15 Jan 2023 8:16 AM GMT
PM Narendra Modi
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PM Narendra Modi (Pic: Social Media)

Pakistan needs a Modi: पाकिस्तान के आजकल जैसे हालात हैं, मेरी याददाश्त में भारत या हमारे पड़ौसी देशों में ऐसे हाल न मैंने कभी देखे और न ही सुने। हमारे अखबार पता नहीं क्यों, उनके बारे में न तो खबरें विस्तार से छाप रहे हैं और न ही उनमें उनके फोटो देखे जा रहे हैं। लेकिन हमारे टीवी चैनलों ने कमाल कर रखा है। वे जैसे-तैसे पाकिस्तानी चैनलों के दृश्य अपने चैनलों पर आजकल दिखा रहे हैं। उन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, क्योंकि पाकिस्तानी लोग हमारी भाषा बोलते हैं और हमारे जैसे ही कपड़े पहनते हैं। वे जो कुछ बोलते हैं, वह न तो अंग्रेजी है, न रूसी है, न यूक्रेनी। वह तो हिंदुस्तानी ही है। उनकी हर बात समझ में आती है। उनकी बातें, उनकी तकलीफें, उनकी चीख-चिल्लाहटें, उनकी भगदड़ और उनकी मारपीट दिल दहला देनेवाली होती है।

गेहूं का आटा वहां 250-300 रु. किलो बिक रहा है। वह भी आसानी से नहीं मिल रहा है। बूढ़े, मर्द, औरतें और बच्चे पूरी-पूरी रात लाइनों में लगे रहते हैं और ये लाइनें कई फर्लांग लंबी होती हैं। वहां ठंड शून्य से भी काफी नीचे होती है। आटे की कमी इतनी है कि जिसे उसकी थैली मिल जाती है, उससे भी छीनने के लिए कई लोग बेताब होते हैं। मार-पीट में कई लोग अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं। पाकिस्तान के पंजाब को गेहूं का भंडार कहा जाता है लेकिन सवाल यह है कि बलूचिस्तान और पख्तूनख्वाह के लोग आटे के लिए क्यों तरस रहे हैं? यहां सवाल सिर्फ आटे और बलूच या पख्तून लोगों का ही नहीं है, पूरे पाकिस्तान का है।

पूरे पाकिस्तान की जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है, क्योंकि खाने-पीने की हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं। गरीब लोगों के तो क्या, मध्यम वर्ग के भी पसीने छूट रहे हैं। बेचारे शाहबाज़ शरीफ प्रधानमंत्री क्या बने हैं, उनकी शामत आ गई है। वे सारी दुनिया में झोली फैलाए घूम रहे हैं। विदेशी मुद्रा का भंडार सिर्फ कुछ हफ्तों का ही बचा है। यदि विदेशी मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद हो जाएगा। अमेरिका, यूरोपीय राष्ट्र और सउदी अरब ने मदद जरुर की है। लेकिन पाकिस्तान को कर्जे से लाद दिया है। ऐसे में कई पाकिस्तानी मित्रों ने मुझसे पूछा कि भारत चुप क्यों बैठा है? भारत यदि अफगानिस्तान और यूक्रेन को हजारों टन अनाज और दवाइयां भेज सकता है । तो पाकिस्तान तो उसका एकदम पड़ौसी है। मैंने उनसे जवाब में पूछ लिया कि क्या पाकिस्तान ने कभी पड़ौसी का धर्म निभाया है? फिर भी, मैं मानता हूं कि नरेंद्र मोदी इस वक्त पाकिस्तान की जनता (उसकी फौज और शासकों के लिए नहीं) की मदद के लिए हाथ बढ़ा दें तो यह उनकी एतिहासिक और अपूर्व पहल मानी जाएगी। पाकिस्तान के कई लोगों को टीवी पर मैंने कहते सुना है कि 'इस वक्त पाकिस्तान को एक मोदी चाहिए।'

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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