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K.Vikram Rao: इमरान का मंत्री या मसखरा !

मगर किसी भी भारतीय मुसलमान ने आजतक इन बीते तीन सप्ताह में कोई विरोध व्यक्त नहीं किया। पाकिस्तान की विजय के उल्लास में ?

K Vikram Rao
Written By K Vikram RaoPublished By Divyanshu Rao
Published on: 16 Nov 2021 6:46 PM IST
K.Vikram Rao: इमरान का मंत्री या मसखरा !
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K. Vikram Rao: पाकिस्तान (Pakistan) की पीड़ा डबल हो गयी है। उसे दुबई में सेमिफाइनल हराने वाला आस्ट्रेलिया अब टी—20 क्रिकेट का विश्वकप विजेता हो गया है। मगर प्रश्न है कि क्या इससे ईसाइयत की इस्लाम पर फतह हुयी है ? क्योकि जब पाकिस्तान ने भारत को उसी दुबई स्टेडियम में (24 अक्टूबर 2021) शिकस्त दी थी तो पाकिस्तान के गृहमंत्री मियां शेख राशिद उर्फ शीदा टल्ली ने ऐलान किया था : ''भारत की पराजय, इस्लाम की फतह है। आलमी इस्लाम को पाकिस्तान का यह तोहफा है।'' तो इसके पूर्व विश्वकप मुकाबलों में जो 12 मैच पाकिस्तान हारा था वह इस्लाम की हार थी? अर्थात भारत की आबादी के शेष तीस करोड़ मुसलमान इस मंत्री की नजर में इस्लामी नहीं हैं।

मगर किसी भी भारतीय मुसलमान ने आजतक इन बीते तीन सप्ताह में कोई विरोध व्यक्त नहीं किया। पाकिस्तान की विजय के उल्लास में ? अथवा सौ करोड़ गैर मुस्लिम हिन्दुस्तानियों से उन्हें कोई सरोकार नहीं है? तो क्या वे सब काफिर हो गये? सच या झूठ, जैसा भी हो, भारतीय मुसलमान ने इसे नागवार या भद्दा नहीं कहा। कारण पुराना होगा। खैर पाकिस्तानी गृहमंत्री की भारतीय मीडिया में एक जोकर वाली छवि है। खासकर मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार नायला इनायत ने इस शेख की हल्की टिप्पणियों पर, फुलझड़ियां पर, जो व्यंग करती हैं वे सब तीखे, चुटीले और रसीले होते हैं। मसलन सत्तर वर्षीय शेख राशिद अभी तक एक अकेले ही है। उनसे पूछा ''कोई मिली नहीं ?'' तो उनका उत्तर था, ''मेरा दिल कोई सुपर बाजार नहीं है।'' फिर उनसे पूछा गया क्यों नहीं जोड़ा बन पाया ? तो बोले, ''जब दूध बाजार में मिलता है तो भैस क्यों पाले?'' शेख राशिद पर तरस भी आई। उन्हें देखकर पेरिस के एक पत्रकार अधिवेशन में फ्रांस के एक काबीना मंत्री से मेरी भेंट हुयी थी।

इमरान खान की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

काफी तेज तर्रार थे। अचानक मैं पूछ बैठा ''अबतक अविवाहित रहने का कारण? जवाब मिला, ''मैं आदर्श पत्नी की खोज में था। मगर जब एक अधेड़ मिली तो वह ''आदर्श साथी की खोज में थी अधेड़ हो गयी। अबतक दोनों अधूरे ही रह गये।'' अटल बिहारी वाजपेयी की बात याद आयी। हमारी साथी महिला पत्रकार ने सवाल किया , ''अभी तक कुआरे क्यों हैं? अटल जी का सवाल पर सवाल था, ''आपका का प्रश्न है या प्रस्ताव ?''

शेख मियां बड़े हंसोड है, मजाकिया भी। अपने वजीरे आजम को ''मामूली कप्तान'' कहते हैं। आवामी लीग के ये नेता सतारुढ दल तहरीके इंसाफ को ''तांगा पार्टी'' कहते है। पत्रकार नायला बताती हैं कि राशिद किसी आला हुक्काम से मिलने गये। वह नहीं मिला था। चपरासी मात्र मिला था लेकिन दावा कर दिया कि, ''अफसर मिला था।'' राशिद मियां पाकिस्तान के फौजी कमांडर जनरल कमर जावेद बाजवा की बात दोहराते है कि, ''पाकिस्तान ने अणुबम भारत के लिये बनाया है, शबे बरात में फोड़ने हेतु नहीं।'' अणुबम के बारे में राशिद कहते है कि, ''हमारे पास आधा पाव और पूरा पाव के भी बम हैं।'' याद दिला दूं कि राशिद मियां 1998 के अणुबम परीक्षण पर पाकिस्तान से बाहर भाग गये थे। मगर उनका दावा है कि वे पंजाब सीमा पर जंग करेंगे। अब उन्हें याद दिलाना होगा कि भारत ने उनके देश को तीन बार पराजित किया है।

नायला मानती है कि पाकिस्तान—भारत से सामना नहीं कर सकता क्योंकि हर विश्व में मुल्क से उसने उधार ले रखा है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी को वे ''पाकिस्तान में भारतीय राजदूत मानती है।'' भारतीय पत्रकारों की फिल्मी छवि पर नायला कहतीं हैं कि, ''सात दशक पूर्व ये रिपोर्टर वीर पुरुष थे। आज परदे पर मसखरे बन गये हैं।'' राशिद मियां बेनजीर भुट्टो को ''टैक्सी'' कहते थे। हर कोई सवारी कर सकता है। वे रेल मंत्री भी रहे। एक दफा बोले, ''एक्सप्रेस ट्रेन मुसाफिर को तौल तो नहीं सकती।'' रेल मंत्री बोले, ''करीब 24 करोड़ पाकिस्तानियों ने ईद के अवसर पर रेल के ई—टिकट खरीदे।'' जबकि पाकिस्तान की आबादी 22 करोड़ है। राशिद अंशकालिक विदेश मंत्री है। उनका पूर्वाकालिक कार्य ईशनिंदा के दोषियों को पकड़ना और मार डालना हैं। उससे फुर्सत मिली तो सरकारी ड्यूटी बजाते हैं।

एकदा सार्वजनिक सभा में उनके माइक पर करंट आ गया। झटका लगा। राशिद बोले, ''नरेन्द्र मोदी मेरे जलसे को नाकाम करना चाहते है।'' आवामी मुस्लिम लीग के यह मूढ मंत्री राशिद बोले, ''मैं बीस करोड़ भारतीय मुसलमानों की दिली आवाज हूं।''

अब मूल और गंभीर मुद्दे पर आयें। राशिद भले ही मजाकिया हों। पर भारत की हार, इस्लाम की जीत वाले उनके बयान पर भारत की इस्लामी तंजीमे, साजिशभरी खामोशी क्यों बनाये रहीं? इस्लामी जम्हरियाये पाकिस्तान के वजीरे दाखिला शेख अब्दुल राशिद की भांति अमित शाह ने ऐसा कुछ कहा होता तो? इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग का कार्यालय जल चुका होता। दिल्ली में भारतीय मुसलमानों ने पाकिस्तान दूतावास के सामने छोटा भी प्रदर्शन तक नहीं किया? मियां सलमान खुर्शीद हिन्दुत्व को हिन्दू से अलग कर रहे हैं। पर भारत की क्रिकेट में हार को इस्लाम की जीत पर ऐतराज नहीं करते? अपने मन में खुर्शीद मियां भी गुलाम नबी आजाद की भांति स्वीकारते होंगे कि विश्वभर में मुसलमान केवल भारत में सुरक्षित हैं। हर इस्लामी मुल्क में मुसलमान दूसरे मुसलमान को मार काट रहा है। पश्चिम एशिया से उत्तर अफ्रीका में 30 इस्लामिक राष्ट्रों में रहने वाले 130 करोड़ मुसलमान आपस में खून खराबा मचायें हैं।

भारतीय मुसलमानों का अब भारत को दारुल हर्ब मानना बंद करना चाहिये। खोरासान (अफगानिस्तान) से गजवाये हिन्द (भारत का इस्लामीककरण) का सपना छोड़ना चाहिये। शेख राशिद सरीखे जोकर भारतीय मुसलमानों के प्रेरक कदापि नहीं हो सकते ।

Divyanshu Rao

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