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हमारी संसद का हाल कैसा है?

Parliament of India: किसी भी देश की संसद उसके लोकतंत्र का हृदय होती है। हमारी संसद की हृदय गति का क्या हाल है? अभी-अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों को काफी खरी-खरी सुनाई थी।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Chitra Singh
Published on: 10 Dec 2021 8:49 AM IST
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संसद भवन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Parliament of India: किसी भी देश की संसद उसके लोकतंत्र का हृदय होती है। हमारी संसद (parliament of india) की हृदय गति का क्या हाल है? यदि लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) में सदस्यों की उपस्थिति को देखें तो हमारे लोकतंत्र का हृदय आधे से भी कम पर काम कर रहा है। अभी-अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने सांसदों (MPs) को काफी खरी-खरी सुनाई थी। उन्होंने सदन में उनकी गैर-हाजिरी पर अपनी नाराजी दो-टूक शब्दों में जाहिर की थी।

उन्होंने यह बिल्कुल सही कहा कि यदि आप सदन में हाजिर रहने से कतराएंगे तो यह भी हो सकता है कि आपका इसमें आना ही बंद हो जाए। इस सख्त बयान के बावजूद कल लोकसभा में भाजपा के कितने सदस्य (BJP Member) उपस्थित थे? ग्यारह बजे सदन का सत्र (session of the house) शुरु होता है। उस समय भाजपा के सिर्फ 58 सदस्य और नौ मंत्री उपस्थित थे जबकि भाजपा के कुल सदस्यों की संख्या 301 है और मंत्रियों की संख्या 78 है। 543 सदस्यों के इस सदन में दोपहर तक भाजपा के 83 और विपक्ष के 81 सदस्य थे।

यह तो हाल है, उस सदन का, जो संप्रभु कहा जाता है यानी उसे सर्वशक्तिमान माना जाता है। उसकी शक्ति इतनी ज्यादा है कि वह किसी भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या सर्वोच्च न्यायाधीश को चुटकी बजाते ही हटा सकता है। कोई भी कानून उसकी सहमति के बिना बन नहीं सकता लेकिन कानून बनाने वाले जनता के प्रतिनिधि ही उसकी कीमत नहीं करते तो फिर जो भी सरकार हो, उसे वे मनमानी करने के लिए छुट्टा छोड़ देते हैं। अर्थात सरकार और संसद की लगाम नौकरशाहों के हाथों में चली जाती है, क्योंकि मंत्री लोग तो सांसदों से भी ज्यादा वोट और नोट के धंधे में फंसे रहते हैं। इसी वजह से कई उल्टे-सीधे कानून बन जाते हैं, जिन्हें या तो वापस लेना पड़ता है या उनमें संशोधन करने पड़ते हैं।

संसद (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

ब्रिटेन में लोकसभा को निम्न सदन और राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है । लेकिन हमारी राज्यसभा में आजकल जैसी नौटंकी चल रही है, वह 'निम्न' शब्द को भी मात कर रही है। जिन 12 विपक्षी सदस्यों को राज्यसभा से निलंबित किया गया है, उन्होंने पिछले सत्र में कागज फाड़े थे, फाइलें छीनी थीं, माइक तोड़ दिए थे, मेजों पर चढ़कर हल्ला मचाया था और मार्शलों के साथ मार-पीट भी कर डाली थी। अब भी प्रमुख विपक्षी दल राज्यसभा का बहिष्कार कर रहे हैं। उन्हें अध्यक्ष वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने काफी ठीक सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि निलंबन का फैसला उन्होंने नहीं किया है बल्कि राज्यसभा ने प्रस्ताव पारित करके किया है। इसीलिए बेहतर होगा कि सदन के नेता और विपक्ष के सांसद आपस में बात करके सारे मामले को हल करें।

इस समय राज्यसभा में जो भी विधेयक पारित हो रहे हैं, वे बिना विपक्ष के ही पारित हो रहे हैं। जो सदस्य निलंबित किए गए हैं, वे तो अपनी करनी भुगत ही रहे हैं । लेकिन जो निलंबित नहीं किए गए हैं, उन्होंने स्वयं को निलंबित कर रखा है। क्या ही अच्छा हो कि हमारी संसद के दोनों सदन अपने काम ठीक से करें ताकि भारतीय लोकतंत्र स्वस्थ और सबल बना रहे।



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Chitra Singh

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