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सम्भव है प्लास्टिक का त्याग, उपयोग एवं उत्पादन को बंद करने का हो प्रयास 

raghvendra
Published on: 1 Nov 2019 6:22 PM IST
सम्भव है प्लास्टिक का त्याग, उपयोग एवं उत्पादन को बंद करने का हो प्रयास 
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प्रह्लाद सबनानी

देश में प्लास्टिक छोड़ो अभियान की शुरुआत हो चुकी है। अब सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग को तो ‘न’ ही कहा जाना चाहिए। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने उद्देश्य से देश में पहले से ही 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने के लिए नागरिकों को आगाह किया हुआ है। केंद्र ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाईजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि सरकारी कार्यालयों और पब्लिक कार्यक्रमों में प्लास्टिक के उत्पादों, जैसे, फूल, गुलदस्ते, पानी की बोतलें, आदि का उपयोग बंद कर दिया जाए। कई राज्य सरकारों एवं कई संस्थानों ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम एवं बंद करने का निर्णय लिया है।

शायद केवल सरकारी आदेश, सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को देश में कम नहीं कर सकेंगे। इसके लिए जनता की भागीदारी आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसलिए अपने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से देश वासियों का कई बार आह्वान किया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को बिलकुल बंद करें। प्लास्टिक का उपयोग नागरिकों की दिनचर्या में इस प्रकार घुल मिल गया है कि इसके उपयोग को आसानी से बंद करना सम्भव नहीं होगा।

उद्योगों को प्लास्टिक के उपयोग एवं उत्पादन को कम एवं बंद करने हेतु कुछ प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं। जैसा विश्व के अन्य देशों में किया गया है। ब्रिटेन ने उद्योगों पर प्लास्टिक के नए उत्पादन एवं आयात पर प्लास्टिक टैक्स लगाए जाने की घोषणा की है। अमेरिका एवं अन्य कई विकसित देशों में प्लास्टिक के कचरे को स्थानीय सरकारों द्वारा नागरिकों के घरों से इक_ा करवाया जाता है ताकि इसकी 100 प्रतिशत रिसाइक्लिंग को सुनिश्चित किया जा सके। जो सिंगल यूज प्लास्टिक रिसाइकल नहीं किया जा सकता उसका इस्तेमाल सीमेंट और सडक़ बनाने में किया जाता है। इसी प्रकार के कई प्रोत्साहन अन्य कई देशों द्वारा भी दिए जा रहे हैं, इनका अध्ययन कर इन प्रोत्साहनों को हमारे देश में भी शीघ्र ही लागू किया जाना चाहिए।

भारत में तो पेड़ के पत्तों के दोने, पत्तल, मिट्टी के कुल्हड़, कागज के लिफाफे, जूट के बैग और कपड़े के झोले आदि का इस्तेमाल बहुतायत में होता रहा है। इन सभी उत्पादों के गहन उपयोग को पुन: शुरू किया जा सकता है, और ये सभी प्लास्टिक के ठोस विकल्प के तौर पर उभर सकते हैं। हम नागरिकों को भी यह सोचना होगा कि प्लास्टिक के उपयोग को कम करने व धीरे धीरे ख़त्म करने के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किस प्रकार करें। हमें केवल कुछ आदतें अपने आप में विकसित करनी होंगी। जैसे कि, जब भी हम सब्जी और किराने का सामान आदि खरीदने जाएं तो कपड़े के थैलों का इस्तेमाल करें। चाय - कॉफी आदि के लिए प्लास्टिक कप या मग के स्थान पर कुल्हड़ का उपयोग करें। जेल पेन या बॉल पेन की बजाए स्याही वाले फाउंटेन पेन का प्रयोग शुरू करें। अपने फ्रिज में प्लास्टिक की बजाए शीशे की बोतलें रखें। सफर में अपनी पानी की बोतल साथ लेकर चलें। प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध का पुरज़ोर समर्थन करें और समाज में अपने भाई बहनों को भी समझाएं कि सब मिल कर प्रतिबंध को सफल बनाएं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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