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Education In India: भारत में शिक्षा की दुर्दशा

Education In India: भारत में शिक्षा की कितनी दुर्दशा है, इसका पता यूनेस्को की एक ताजा रपट से चल रहा है। 75 साल की आजादी के बावजूद एशिया के छोटे-मोटे देशों के मुकाबले भारत क्यों पिछड़ा हुआ है।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 4 Nov 2022 9:33 AM IST
Plight of Education in India
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भारत में शिक्षा की दुर्दशा: Photo- Social Media

Education In India: भारत में शिक्षा (education in india) की कितनी दुर्दशा है, इसका पता यूनेस्को की एक ताजा रपट से चल रहा है। 75 साल की आजादी के बावजूद एशिया के छोटे-मोटे देशों के मुकाबले भारत क्यों पिछड़ा हुआ है, इसका मूल कारण यह है कि हमारी सरकारों ने शिक्षा और चिकित्सा पर कभी समुचित ध्यान दिया ही नहीं। इसीलिए देश के मुट्ठीभर लोग अपने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं और निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवाते हैं। देश के 100 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के बच्चे उचित शिक्षा-दीक्षा से और वे लोग पर्याप्त चिकित्सा से वंचित रहते हैं। यूनेस्को (UNESCO) ने भारत में खोज-पड़ताल करके बताया है कि देश के 73 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि वहां पढ़ाई का स्तर घटिया होता है। वहां से पढ़े हुए बच्चों को ऊँची नौकरियां नहीं मिलती हैं, क्योंकि उनका अंग्रेजी ज्ञान कमजोर होता है।

हमारी सरकारों के निकम्मेपन के कारण आज तक सरकारी नौकरियों में अंग्रेजी अनिवार्य है। अंग्रेजी माध्यम से पढ़े हुए बच्चे बड़े होकर या तो सरकारी नौकरियां हथियाने या फिर अमेरिका और कनाडा भागने के लिए आतुर रहते हैं। गैर-सरकारी स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों की फीस 50-50 हजार रु. महिना तक है। आजकल अस्पताल और ये शिक्षा-संस्थाएं देश में ठगी के सबसे क्रूर ठिकाने बन गए हैं। देश के गरीब, ग्रामीण, पिछड़े और आदिवासी लोग समुचित शिक्षा और चिकित्सा के बिना ही अपना जीवन गुजारते रहते हैं। सरकारी स्कूल और अस्पताल भी उनकी सेवा सरल भाव से नहीं करते। देश के 90 प्रतिशत स्कूल फीस-वसूली के दम पर जिन्दा रहते हैं।

बिना मान्यता प्राप्त स्कूल

देश में 29600 स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है। 4 हजार से ज्यादा मदरसे भी इसी श्रेणी में आते हैं। इन स्कूलों से निकलनेवाले छात्र क्या नए भारत के निर्माण में कोई उल्लेखनीय योगदान कर सकते हैं? यदि हम शिक्षा के मामले में भारत की तुलना दक्षेस के हमारे पड़ौसी सातों देशों से करें तो उक्त पैमाने पर वह पिछड़े हुए अफगानिस्तान के सबसे करीब है लेकिन वह श्रीलंका, भूटान और पाकिस्तान से भी बहुत पिछड़ा हुआ है।

अमेरिका दुनिया की सर्वोच्च महाशक्ति अपनी शिक्षा के दम पर

दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा राष्ट्र भारत है। प्राचीन भारत की शिक्षा-व्यवस्था जगत्प्रसिद्ध रही है। चीन, जापान और यूनान से सदियों पहले लोग भारत इसीलिए आया करते थे कि यहां की शिक्षा-प्रणाली उन्हें सर्वश्रेष्ठ लगा करती थी। आज अमेरिका दुनिया की सर्वोच्च महाशक्ति अपनी शिक्षा के दम पर बना है लेकिन भारत मैकाले की गुलामी में ही गुलछर्रे उड़ा रहा है। पता नहीं, आजादी के सौ साल तक भी इस सड़ी हुई शिक्षा-व्यवस्था को बदलनेवाला कोई नेतृत्व भारत में पैदा होगा या नहीं?



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Shashi kant gautam

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