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पीएम गति शक्ति पहल का ब्रॉड ब्रांड प्रमुख पहलू

देश भर में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को मजबूत करना आवश्यक है।

Ashok Kumar Mittal
Published on: 14 Oct 2021 10:07 AM GMT
Pm gati shakti yojna
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पीएम गति शक्ति पहल का ब्रॉड ब्रांड प्रमुख पहलू (social media)

M Gati Shakti Yojna: राष्ट्रीय अवसंरचना मास्टर प्लान (NMP) जिसे पीएम गति शक्ति (PM Gati shakti) कहा जाता है, की घोषणा स्वतंत्रता दिवस (Independence day) पर प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा की गई थी। यह एक एकीकृत दृष्टि के तहत राजमार्गों, रेलवे, विमानन, गैस, बिजली पारेषण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सभी उपयोगिताओं और बुनियादी ढांचे की योजना को एकीकृत करने का प्रस्ताव करता है। यह एकल एकीकृत मंच परिवहन और प्रचालन तंत्र के व्यापक और एकीकृत मल्टी-मोडल राष्ट्रीय नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए भौतिक संपर्कों की स्थानिक दृश्यता प्रदान करेगा। जिसका उद्देश्य जीवन में आसानी लाना, व्यवसाय करने में आसानी, व्यवधानों को कम करना और कम लागत में कार्य पूर्ण करने में तेजी लाना है। एनएमपी (NMP) आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा और देश की वैश्विक प्रतियोगितात्मकता को बढ़ाएगा जिससे वस्तुओं, लोगों और सेवाओं के सुचारू परिवहन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। गति शक्ति के शुरू होने और उपयोगिताओं तथा बुनियादी ढांचे के लिए योजना बनाने के लिए एक अधिक समग्र दृष्टिकोण की शुरुआत के साथ, हमारा देश विकास की दिशा में एक और बडा कदम उठाने और $ 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में विकसित होने के लिए तैयार होगा।

ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को मजबूत करना आवश्यक

सभी क्षेत्रों में समग्र विकास के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी एक महत्वपूर्ण कारक है। ग्रामीण-शहरी और अमीर-गरीब के बीच डिजिटल अंतर को पाटने और ई-गवर्नेंस, पारदर्शिता, वित्तीय समावेशन और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए देश भर में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी (Broadbrand Connectivity) को मजबूत करना आवश्यक है। इससे नागरिकों का सामाजिक-आर्थिक विकास होता है। चूंकि ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी (Broadband Connectivity) सभी बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, इसलिए राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति - 2018 (एनडीसीपी-2018) डिजिटल संचार (Digital Sanchar) बुनियादी ढांचे और सेवाओं को भारत के विकास और कल्याण के प्रमुख कारकों और महत्वपूर्ण निर्धारकों के रूप में मान्यता देती है।

एनडीसीपी-18 (NDCP-18) का एक उद्देश्य 'सभी के लिए ब्रॉडबैंड' (Broadband) प्रदान करना है ताकि व्यापक प्रसार, समान और समावेशी विकास के परिणामी लाभ सभी को मिल सकें। इस नीति का उद्देश्य डिजिटल डिवाइड को प्रभावी ढंग से पाटकर नागरिकों को सशक्त बनाना है। तदनुसार, 'सभी के लिए ब्रॉडबैंड' के परिचालन के लिए, सरकार द्वारा 17 दिसंबर, 2019 को "राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन" शुरू किया गया था । जिसका उद्देश्य डिजिटल संचार बुनियादी ढांचे में तेज बढ़ोतरी को सक्षम करना, डिजिटल सशक्तिकरण और समावेशन के लिए डिजिटल डिवाइड को पाटना और सभी के लिए ब्रॉडबैंड की सस्ती और सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना है।

राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन का लक्ष्य

  • पूरे देश में और विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में वृद्धि और विकास के लिए ब्रॉडबैंड सेवाओं तक सार्वभौमिक और समान पहुंच की सुविधा प्रदान करना।
  • डिजिटल बुनियादी ढांचे और सेवाओं के विस्तार और निर्माण में तेजी लाने के लिए आवश्यक नीति और नियामक परिवर्तनों पर ध्यान देना।
  • देश भर में ऑप्टिकल फाइबर केबल्स और टावर्स सहित डिजिटल संचार नेटवर्क और बुनियादी ढांचे का एक डिजिटल फाइबर मैप बनाना।
  • मिशन के लिए निवेश बढ़ाने हेतु संबंधित मंत्रालयों, विभागों , एजेंसियों सहित सभी हितधारकों और वित्त मंत्रालय के साथ काम करना।
  • उपग्रह मीडिया के माध्यम से देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए आवश्यक पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने के लिए अंतरिक्ष विभाग के साथ काम करना।
  • विशेष रूप से घरेलू उद्योग द्वारा ब्रॉडबैंड के प्रसार के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना।
  • मार्ग के अधिकार (राइट ऑफ वे- आरओडब्ल्यू) के लिए नवीन कार्यान्वयन मॉडल विकसित करके संबंधित हितधारकों से सहयोग मांगना।
  • ओएफसी बिछाने के लिए आवश्यक आरओडब्ल्यू अनुमोदन सहित डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार से संबंधित सुसंगत नीतियों के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ काम करना।
  • किसी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के भीतर डिजिटल संचार बुनियादी ढांचे और अनुकूल नीति तंत्र की उपलब्धता को मापने के लिए एक ब्रॉडबैंड रेडीनेस इंडेक्स (बीआरआई) विकसित करना।
  • डिजिटल संचार अवसंरचना के विकास के परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार को बढ़ावा देना।

मिशन के तहत अब-तक की उपलब्धियां

  • 28 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने अब तक भारतीय टेलीग्राफ आरओडब्ल्यू नियम, 2016 के साथ अपनी राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) नीति को काफी हद तक श्रेणीबद्ध कर दिया है। शेष राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को अपेक्षित श्रेणीबद्ध के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है।
  • जैसा कि मिशन में परिकल्पित है, सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन और राज्यों व केंद्र शासित प्रदशों में ब्रॉडबैंड के प्रसार के लिए अपनी राज्य ब्रॉडबैंड समिति का गठन कर दिया है।
  • देश के सभी 6 लाख गांवों को आप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) से जोड़ने के लिए भारतनेट परियोजना लागू की जा रही है। इस परियोजना के तहत अब तक लगभग 5.48 लाख किलोमीटर ओएफसी बिछाया जा चुका है, लगभग 1.65 लाख ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार (ओएफसी और उपग्रह पर) किया जा चुका है। इसके अलावा, भारतनेट नेटवर्क का उपयोग करके, लगभग 1.04 लाख ग्राम पंचायतों में वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित किए गए हैं और लगभग 5.14 लाख फाइबर एफटीटीएच कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।
  • देश भर में ब्रॉडबैंड के प्रसार के लिए प्रधान मंत्री वायरलेस एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-डब्ल्यूएएनआई) योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत अब तक लगभग 49,000 पीएम-डब्ल्यूएएनआई एक्सेस पॉइंट तैनात किए जा चुके हैं।
  • भारत की लगभग 98 फ़ीसद आबादी को 3जी व 4जी मोबाइल नेटवर्क की सुविधा मिल रही है, जिसमें 94 फ़ीसद बसे हुए गांवों में कवरेज शामिल है। वंचित क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए कई यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) योजनाएं हैं, जैसे कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 4404 मोबाइल टावर साइटों की स्थापना के माध्यम से लगभग 5600 गांवों को जोड़ने के लिए व्यापक दूरसंचार विकास योजना, एलडब्ल्यूई-द्वितीय योजना के तहत 4G के 2542 टावर, लद्दाख और कारगिल, सीमावर्ती क्षेत्रों और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 354 वंचित गांवों में 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी, 24 आकांक्षी जिलों में 502 वंचित गांवों को कवर करते हुए 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 85 वंचित गांवों और एनएच के साथ वाले क्षेत्रों के लिए 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी।
  • देश भर में 6.78 लाख से अधिक मोबाइल टावर लगाए गए हैं। 34 फ़ीसद बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (बीटीएस) को फाइबरयुक्त किया गया है।
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को बढ़ी हुई दूरसंचार कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए चेन्नई और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के बीच सबमरीन ओएफसी कनेक्टिविटी को कमीशन किया गया है।
  • मेनलैंड भारत (कोच्चि) और लक्षद्वीप द्वीप समूह के बीच 1891 किमी ओएफसी बिछाकर पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी की भी योजना बनाई गई है। टेंडर फाइनल होने के बाद प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए वर्क ऑर्डर दे दिया गया है। इस परियोजना के मई, 2023 तक पूरा होने की संभावना है।
  • 31 मार्च, 2021 को अखिल भारतीय स्तर पर ब्रॉडबैंड उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 778 मिलियन पहुंच गई है, इंटरनेट सब्सक्राइबर्स (प्रति 100 जनसंख्या) की संख्या लगभग 60.7 तक पहुंच गई है और प्रति वायरलेस डेटा ग्राहक प्रति माह औसत वायरलेस डेटा उपयोग 12.33 जीबी तक पहुंच गया है।

बहु-क्षेत्रीय प्रभाव

ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के आर्थिक प्रभाव कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय और सरकारी सेवाओं जैसी विभिन्न क्षेत्रीय पहलों से जुड़े हुए हैं जैसा कि नीचे चित्र में दर्शाया गया है। हाई स्पीड सर्वव्यापी ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी डिजिटल इकोसिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक है जो विकास, आर्थिक परिवर्तन और आय वृद्धि के उद्देश्य से बनाए गए कार्यक्रमों के आवश्यक घटक हैं।




कनेक्टिविटी का बहुक्षेत्रीय प्रभाव

स्रोत: यूएसएआईडी और इंटेलकैप: "इनवेस्टिंग टू कनेक्ट: मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी के वाणिज्यिक अवसर और सामाजिक प्रभाव का आकलन करने के लिए एक ढांचा", 2019.

(अशोक कुमार मित्तल दूरसंचार विभाग में सलाहकार और 1984 बैच के एक आईटीएस अधिकारी हैं)

(हरि रंजन राव, दूरसंचार विभाग में संयुक्त सचिव और 1994 बैच के एक एमपी कॉडर के आईएएस अधिकारी हैं)

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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