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Lok Sabha Election 2024: विधानसभा चुनावों के रास्ते लोकसभा की तैयारी में जुटे पीएम मोदी, संसद में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर देंगे जोर - अतुल मलिकराम

Vidhan Sabha Chunav 2023: हर तरफ श्री कृष्ण ही युद्ध लड़ते दिखे। कुछ ऐसा ही मंजर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनावी रण में भी दिखने की उम्मीद है। जहां श्रीकृष्ण की भूमिका में पीएम मोदी होंगे और सुदर्शन चक्र के रूप में उनकी बेमिसाल वाक्पटुता कार्य करते दिखेगी।

Syed Raza
Report Syed Raza
Published on: 15 Nov 2023 12:11 PM GMT
Prayagraj News
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Vidhan Sabha Chunav 2023 (Pic:Newstrack)

Prayagraj News: जब महाभारत के युद्ध के बाद ये प्रश्न उठा कि युद्ध में सबसे अधिक योगदान किसका रहा, तो इसका उत्तर पूरा युद्ध देखने वाले बर्बरीक से पूछा गया। उनका जवाब था कि युद्ध के मैदान में मुझे चारों ओर सिर्फ सुदर्शन चक्र ही घूमता नजर आया। हर तरफ श्री कृष्ण ही युद्ध लड़ते दिखे। कुछ ऐसा ही मंजर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनावी रण में भी दिखने की उम्मीद है। जहां श्रीकृष्ण की भूमिका में पीएम मोदी होंगे और सुदर्शन चक्र के रूप में उनकी बेमिसाल वाक्पटुता कार्य करते दिखेगी। लेकिन इस चुनावी महाभारत में फिर अन्य योद्धाओं की क्या भूमिका होगी?

चूंकि एक तरफ केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी की सुगबुगाहट के साथ मध्य प्रदेश में बीजेपी के चुनावी बैनर-पोस्टर से 18 साल मुख्यमंत्री का सुख भोगने वाले शिवराज जी गायब नजर आने लगे हैं, और दूसरी तरफ प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, गणेश सिंह या रमेश सिंह जैसे 60 पार वाले केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और चर्चित चेहरों को जंग में हिस्सा लेना का आदेश जारी हुआ है।

हालांकि इनके बीच एक दिलचस्प नाम सांसद रीति पाठक का भी है, लेकिन भले इन नामों को मुख्यमंत्री की रेस में दौड़ाने के हिसाब से भी देखा जा रहा हो लेकिन इनमें से किसी का भी मुख्यमंत्री बनने का सपना तभी पूरा हो सकेगा, जब भाजपा प्रदेश में वापसी करेगी। कुछ ऐसा ही हाल राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे चुनावी राज्यों में भी देखने को मिल रहा है, वहीं टी राजा सिंह जैसे नामों के साथ तेलंगाना भी इससे अछूता नहीं रहा है।

राजस्थान से पार्टी ने 7 सांसदों को टिकट दिया है। इनमें नरेंद्र कुमार, किरोड़ीलाल मीणा, भागीरथ चौधरी जैसे सीनियर नेताओं के साथ-साथ युवा और दमदार चेहरों में राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राजकुमारी दिया कुमारी, देवजी पटेल, और राजस्थान के 'योगी' बाबा बालकनाथ जैसे नाम शामिल हैं। वहीं छत्तीसगढ़ के लिए भी भाजपा ने सांसद और केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, गोमती साय और सांसद व प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव लोरमी को चुनावी रण में उतारा है। भाजपा की इन सभी राज्यों में उम्मीदवारों की सूची कई पहलुओं की तरफ इशारा करती है। एक तो जीत के लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीति, दूसरा उन बड़े चर्चित नामों की अग्निपरीक्षा जिन्हे कांग्रेस के गढ़ में उतारा गया है।

तीसरा त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में अपनाई गई रणनीति जो किसी भी परिस्थिति में हार के बावजूद लाभ का सौदा साबित हो, और बड़े नामों के फेल होने के बावजूद उनके प्रभाव में आस पास के क्षेत्रों में बीजेपी उम्मीदवारों को किस्मत चमकाने का अवसर मिल सके। चौथा व सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा के रास्ते 2024 लोकसभा की तैयारियां, जिसमें मुख्य रूप से पीएम मोदी का फोकस, विश्व के सबसे युवा देश की संसद को भी युवा बनाने पर हो सकता है।

केंद्र और मोदी की टीम में युवा व चर्चित चेहरों में सबसे बड़ा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का होने की प्रबल संभावना है। एक बड़ा जन समर्थन साथ रखने वाले सिंधिया मोदी खेमें के सबसे करीबी और पसंदीदा राजनेता हैं, जिन्हे पार्टी में शामिल होने के साथ ही केंद्रीय टीम में शामिल कर लिया गया। एविएशन डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी और लगभग हर मंच पर मोदी जी के सारथि के रूप में नजर आए सिंधिया, निश्चित तौर पर 2024 के लिए और सम्भवता 2024 में मोदी कैबिनेट के तीसरे कार्यकाल में सबसे अहम् भूमिका निभाते नजर आएंगे।

सिंधिया के अलावा तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष व पूर्व आईपीएस अन्नामलाई कुप्पुसामी भी एक ऐसा नाम है जो अगले साल के आम चुनावों में बीजेपी का चमकता सितारा कहलाएंगे। अन्नामलाई को उनके नेक दिल और उम्दा काम के लिए जनता से जो समर्थन प्राप्त है उसके लिए बीजेपी ने एनडीए गठबंधन में टूट भी कबूल कर ली है। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मोदी की अगुवाई में बीजेपी अब युवा नेतृत्व की दिशा और दशा की तरफ निगाहें गड़ाई हुई है। इसके अलावा 35 वर्षीय निशीथ प्रमाणिक का भी केंद्र में बने रहने की पूरी उम्मीद है।

मोदी सरकार ने 77 सदस्यों वाले अपने नए मंत्रिपरिषद के साथ ही इशारा कर दिया था कि अब आगे की कमान युवा राजनेताओं के हाथ में ही सौंपी जाएगी। ऐसा पहली बार है जब मंत्रिमंडल में 50 वर्ष से कम उम्र के ज्यादातर सदस्य देखने को मिलते हैं, जैसे किरेन रिजिजू, मनसुख मंडाविया, जाॅन बारला, कैलाश चौधरी, स्मृति ईरानी, संजीव बालियान, अनुराग ठाकुर, डॉ एल मुरूगन, डॉ भारती प्रवीण पवार, अनुप्रिया सिंह पटेल और शांतनु ठाकुर। तो इशारा साफ है, मध्य प्रदेश हो राजस्थान या छत्तीसगढ़, 60 से ऊपर वाले जिन बड़े और भारी नामों को टिकट देकर मैदान में उतारा गया है, या तो वे बीजेपी को सीट जिताकर, उन राज्यों में प्रमुख भूमिका निभाएं, या तो हार का मुँह देखकर केंद्रीय समिति से खुद को किनारे कर लें, क्योंकि बीजेपी ने आगामी आम चुनावों के लिए पूरा खेल एकदम नए सिरे और चेहरे के आधार पर रचा है। जिसमें रिटायरमेंट के करीब पहुंच रहे नेताओं को सीमित क्षेत्रों तक ही सीमित रखने की रणनीति अपनाई जा रही है और जन मानस की उम्मीद व भरोसे का प्रमाण बन रहे युवा साथियों को अधिक तवज्जो देने पर फोकस किया जा रहा है। ऐसे में जब विधानसभा और लोकसभा, दोनों ही चुनाव मोदी जी की अगुवाई और उनके के नाम पर लड़ा जा रहा है तो जाहिर तौर पर इस लड़ाई को मोदी किसी भी सूरत में हारने के मूड में नहीं हैं।

Durgesh Sharma

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