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कविता: गमगीन लम्हों का मुस्कुराना हुआ है...!

raghvendra
Published on: 9 March 2018 3:10 PM IST
कविता: गमगीन लम्हों का मुस्कुराना हुआ है...!
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कोई एहसास दिल को छुआ है

मुमकिन है, आपका आना हुआ है

ख्वाबों की धुंध छँटने लगी

इक फसाने का,हकीकत बन जाना हुआ है

सिसक रही तन्हाई भी हँस पड़ी

नजर को नजर का नजराना हुआ है

तसल्ली ने दिया-दिल को यकीं--

इंतजार में पलों का सताना हुआ है

इजहार को मचलने लगी कशिशें भी-

सूना जीवन सुहाना हुआ है

रख हाथ सीने पर, आँहें भरे ‘रंजित’

गमगीन लम्हों का मुस्कुराना हुआ है ....।

रंजित तिवारी



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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