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कविता: गमगीन लम्हों का मुस्कुराना हुआ है...!
कोई एहसास दिल को छुआ है
मुमकिन है, आपका आना हुआ है
ख्वाबों की धुंध छँटने लगी
इक फसाने का,हकीकत बन जाना हुआ है
सिसक रही तन्हाई भी हँस पड़ी
नजर को नजर का नजराना हुआ है
तसल्ली ने दिया-दिल को यकीं--
इंतजार में पलों का सताना हुआ है
इजहार को मचलने लगी कशिशें भी-
सूना जीवन सुहाना हुआ है
रख हाथ सीने पर, आँहें भरे ‘रंजित’
गमगीन लम्हों का मुस्कुराना हुआ है ....।
रंजित तिवारी
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