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होली एक, रंग अनेक, राधा-कृष्ण के साथ लाईं खुशियों की सौगात
Suman Mishra
लखनऊ: बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली अपने साथ हजारों खुशियां और उम्मीद लेकर आता है। लोग अपनी जिंदगी में इसी तरह खुशियों के रंग भरते है।
होली आई, होली आई।
रंग और गुलाल लाई।
खुशियों की सौगात लाई ।
रंगों की अनुपम बरसात लाई।
दादी- नानी की किस्से-कहानियों की भरमार लाई।
राधा-कान्हा का प्यार लाई।
राम-सीता का इंतजार लाई।।
होली आई- होली आई...
बचपन की याद लाई।
रंग-पिचकारी के लिए
मासूम आंखों में इंतजार लाई।
घंटों रंग पानी के संग गुजरता बचपन।
मम्मी पापा के गुस्से-प्यार की याद लाई।।
होली आई होली आई...
बचपन गया यौवन ने ली अंगड़ाई।
फिर होली आई संग अपने प्यार का संदेश लाई।
यौवन की होली का था अंदाज निराला।
तब समझा राधा-कान्हा की होली का मतलब।
अब तक मन में था रंग पानी का मेल है होली।
किसी ने समझाया नहीं बुराई पर अच्छाई का खेल है होली।।
होली आई होली आई...
हर रिश्तों का मेल है होली ।
भाभी-देवर के साथ खेल है होली।
साली के बिना जीजा की अधूरी है होली ।।
होली आई, होली आई...
हर त्योहार से अजीज है होली।
प्यार के रंग से भी रंगीन है होली।
तभी कान्हा ने खेली थी ब्रज में होली।।
होली आई, होली आई...