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कविता: क्या कहेंगे लोग...

raghvendra
Published on: 17 Nov 2018 12:44 PM IST
कविता: क्या कहेंगे लोग...
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नईम

क्या कहेंगे लोग,

कहने को बचा ही क्या?

यदि नहीं हमने,

तो उनने भी रचा ही क्या?

उंगलियां हम पर उठाये-कहें तो कहते रहें वे,

फिर भले ही पड़ौसों में रहें तो रहते रहे वे।

परखने में आज तक,

उनको जंचा ही क्या?

हैं कि जब मुंह में जुबानें, चलेंगी ही।

कड़ाही चूल्हों-चढ़ी कुछ तलेंगी ही।

मु तों से पेट में-

उनके पचा ही क्या?

कहीं हल्दी, कहीं चंदन, कहीं कालिख,

उतारू हैं ठोकने को दोस्त दुश्मन सभी नालिश

इशारों पर आज तक

अपने नचा ही क्या?

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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