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प्रयागराज बना सियासी अड्डा

केंद्र के खाते में चले जाने के बाद से प्रयागराज में एक राज्य विश्वविद्यालय की माँग चल रही थी। अखिलेश यादव की सरकार आई तो उन्होंने वहाँ एक राज्य विश्वविद्यालय बनाया। पूर्व संघ प्रमुख रज्जू भइया के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी एवं रज्जू भइया इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र और अध्यापक दोनों रहे है।

राम केवी
Published on: 10 May 2020 2:38 PM IST
प्रयागराज बना सियासी अड्डा
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योगेश मिश्र

लखनऊ । दूर दूर तक कोई चुनाव देश या प्रदेश में नहीं है। लेकिन कोरोना काल में भी सूबे का ज़िला प्रयागराज बड़ा सियासी अड्डा बना हुआ है। दिलचस्प यह है कि इसके पीछे कोरोना संक्रमण या कोरोना से उपजी कोई स्थिति नहीं है। प्रयागराज के सियासत का केंद्र होने की वजह राज्य सरकार नहीं केंद्र सरकार है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अनु सचिव की चिट्ठी ने सियासत को जन्म ही नहीं दिया है बल्कि इसी पत्र और इसकी प्रतिक्रिया ने सियासत का प्रयागराज को केंद्र बना दिया है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से भारत के चौथे सबसे पुराने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम में परिवर्तन को लेकर एक पत्र आया है। जिसके मुताबिक़ विश्वविद्यालय की ओर से काउंसिल के सदस्यों से प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने माँगा है।

काउंसिल सदस्यों की संख्या १७-१८ होती है। पर अभी गवर्नर और चांसलर द्वारा मनोनीत किये जाने वाले सदस्यों की जगह ख़ाली है। मंत्रालय के पत्र के पीछे प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी, उत्तर प्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री नरेंद्र सिंह गौड़, ज़िला पंचायत अध्यक्ष केशरी देवी पटेल द्वारा केंद्र सरकार को नाम बदलने के बाबत लिखा गया पत्र है।

विश्वविद्यालय का नाम बदलने की कसरत

ग़ौरतलब है कि योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया। लेकिन इलाहाबाद स्थित इस संस्थान का नाम इलाहाबाद विश्वविद्यालय ही रहा। पहले यह राज्य के अधीन था। लेकिन अब यह केंद्रीय विश्वविद्यालय है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने अपने मानव संसाधन विकास मंत्री के कार्यकाल में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। यह माँग लंबे समय से थी पर केंद्रीय दर्जा देने के बाद भी डॉ. जोशी लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाये।

केंद्र के खाते में चले जाने के बाद से प्रयागराज में एक राज्य विश्वविद्यालय की माँग चल रही थी। अखिलेश यादव की सरकार आई तो उन्होंने वहाँ एक राज्य विश्वविद्यालय बनाया। पूर्व संघ प्रमुख रज्जू भइया के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी एवं रज्जू भइया इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र और अध्यापक दोनों रहे है।

किसी से तुलना नहीं

मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पत्र आने के बाद देश भर में फैले इस विश्वविद्यालय के पुरा छात्रों ने एक ऑन लाइन कैंपेन चला दिया है। इनका कहना है कि यह महज़ एक विश्वविद्यालय नहीं है। १८८७ में बना यह विश्वविद्यालय एक ग्लोबल ब्रांड है। इससे पहले कोलकाता, मद्रास और बाम्बे में ही विश्वविद्यालय खुले थे। ग़ैर प्रेसीडेंसी टाउन में खुलने वाली यह पहली यूनिवर्सिटी है।

इस विश्वविद्यालय की तुलना दूसरे विश्वविद्यालयों से नहीं की जा सकती। इसने दो प्रधानमंत्री-चंद्रशेखर और विश्वनाथ प्रताप सिंह दिये। देश में नरेंद्र मोदी १८ वें प्रधानमंत्री हैं।राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा यहाँ के छात्र रहे। राम नाथ कोविंद १४ वें राष्ट्रपति हैं। उप राष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक भी इसी विश्वविद्यालय के रहे हैं। संघ प्रमुख राजेंद्र सिंह ‘रज्जू भइया’ यहाँ अध्यापक रहे। उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक बहुत अच्छे टीचर थे। उनके पढाने के कला की सर्वत्र चर्चा रहती थी।

हरिश्चंद्र के रहते दूसरा टॉपर कैसे

एक बार रज्जू भइया का जन्मदिन मनाया जा रहा था। अर्थशास्त्र विभाग के अध्यापक डॉ. गिरीश चंद्र त्रिपाठी कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे। गिरीश जी ने कहा कि रज्जू भइया भौतिकी विभाग के टॉपर थे। लेकिन जब रज्जू भइया को बोलने का अवसर मिला तो उन्होंने साफ़ कहा,” जिस क्लास में हरिश्चंद्र जैसा विद्यार्थी हो उसमें कोई दूसरा टॉप कैसे कर सकता है। मैं दूसरे स्थान पर था।” गिरीश जी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रहे।इस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष है।

यही नहीं, रज्जू भइया के प्रेक्टिकल की परीक्षा लेने रमन साहब आये थे।रमन जी ने उनके एक प्रैक्टिकल के बारे में कहा कि यह ग़लत है। रज्जू भइया ने कहा नहीं। यह सही है मेघनाथ साहा जी ने कहा है। मेघनाथ साहा जी बैठे थे।

रमन जी और मेघनाथ साहा में बात हुई। रज्जू भइया सही निकले। किसी कारण से उनके बैच के टॉपर हरिश्चंद्र जी को विश्वविद्यालय में जगह नहीं मिली तो वह विदेश चले गये। लेकिन जब रज्जू भइया विभागाध्यक्ष बने तब हरिश्चंद्र जी को बुलाकर प्रोफ़ेसर बनाया। हरिश्चंद्र जी गणित और भौतिकी दोनों के सिद्धहस्त विद्वान थे।

उंगलियों पर गिनना मुश्किल है

इस विश्वविद्यालय से निकले कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों व विधायकों की संख्या तो उँगलियों पर गिनना मुश्किल है।राज्य के मुख्यमंत्री गोविंदबल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, राम प्रकाश गुप्ता, नारायण दत्त तिवारी यहाँ के छात्र रहे हैं। तिवारी जी और बहुगुणा जी तो छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, डी. एस कोठारी भी छात्र संघ अध्यक्ष रहे। इस विश्वविद्यालय से जुड़े रहने वालों की फ़ेहरिस्त बहुत लंबी है।

हरिवंश राय बच्चन, प्रो जेके मेहता, संगम लाल पांडेय, जीआर शर्मा, एडी पंत,फ़िराक़ गोरखपुरी , टी पति, प्रो. रघुवंश आदि ऐसे तमाम नाम हैं, जिन्होंने दुनिया में इस विश्वविद्यालय का नाम फैलाया। प्रो. जेके मेहता से मिलने, आज के प्रयागराज, उन दिनों के इलाहाबाद , मिसेज़ राबिनसंन आईं थी। इस विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में लेक्चर देने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और ख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह भी आये थे।

लेखक न्यूजट्रैक/अपना भारत के सम्पादक हैं



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राम केवी

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