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जब प्रधानमंत्री ने की शॉपिंग!

प्रधानमंत्री मोदी ने कला की प्रशंसा की और भारत के सबसे प्रतिष्ठित कार्यालय की दीवारों को सजाने के लिए उनकी एक पेंटिंग खरीदी।

Pravir Krishna
Written By Pravir KrishnaPublished By Shashi kant gautam
Published on: 5 April 2021 7:17 PM IST (Updated on: 5 April 2021 7:23 PM IST)
Prime Minister of India modi
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Prime Minister of India modi:(Photo-social media) 

सोमवार, 8 मार्च, 2021 का दिन सरिता धुरवी अपने जीवन में कभी नहीं भूल पायेगी। सरिता धुरवी मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के एक सुदूर गाँव की जनजातीय कारीगर है। हालाँकि सरिता सालों से गोंड जनजातीय चित्रों को बना रही थी और उन्हें बेचकर थोड़े-बहुत पैसे कमा लेती थी, लेकिन सोमवार, 8 मार्च को भारत के प्रधानमंत्री उनके ग्राहक बने। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी कला की प्रशंसा की और भारत के सबसे प्रतिष्ठित कार्यालय की दीवारों को सजाने के लिए उनकी एक पेंटिंग खरीदी। यदि आप सरिता से व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे तो आप महसूस करेंगे कि आकाश से अचानक आयी यह महिमा अभी भी उनके दिमाग में तैर रही है। शायद वह खुद से पूछ रही हैं: 'क्या मैं जाग रही हूं या सो रही हूं?'

मोनिशा की पुतुकली शॉल ने प्रधानमंत्री का दिल जीत लिया

सरिता की तरह ही दो अन्य जनजातीय महिलाओं के लिए भी यह यादगार क्षण साबित हुआ- तमिलनाडु की टोडा बुनकर मोनिशा की पुतुकली शॉल ने प्रधानमंत्री का दिल जीत लिया। और उसी तरह एक संथाल महिला, रूपाली द्वारा हाथ से बनाए गये फ़ाइल-फ़ोल्डर ने प्रधानमंत्री को वास्तव में एक सरल, नवीन और स्थानीय उत्पाद के रूप में प्रभावित किया। फ़ाइल-फ़ोल्डर मधुरकथी घास से बनी है, जो बंगाल के 24 परगना क्षेत्र में उगती है। प्रधानमंत्री ने तुरंत ट्विटर और अन्य मीडिया पर इन उत्पादों के बारे में लिखा, जिसने पूरे देश के लोगों को एक सकारात्मक सन्देश दिया।

प्रधानमंत्री के इस सुविचारित कार्य का सबक स्पष्ट था: भारत के ग्रामीण क्षेत्र, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्र, प्रतिभा संपन्न कलाकारों से भरे पड़े है। भारत के इस हिस्से पर, इन भारतीयों पर और उनके अद्भुत उत्पादों पर बाजार को ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसके वे हकदार हैं। यह ध्यान इसलिए नहीं कि कारीगर वंचित जनजाति वर्ग के हैं, बल्कि इसलिए कि उनके उत्पाद उत्कृष्टता के किसी भी मानक से उत्कृष्ट हैं। ट्राइफेड अपने कर्तव्य और संवैधानिक दायित्व के रूप में इस तरह के बाजार फोकस को सक्षम कर रहा है।

ट्राइफेड ने ट्राइब्स इंडिया को प्रोत्साहन दिया

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के व्यावसायिक प्रभाग के रूप में ट्राइफेड पर इस दायित्व को पूरा करने की जिम्मेदारी है। ट्राइफेड ने ट्राइब्स इंडिया को प्रोत्साहन दिया है, जो पूरे भारत में 131 शोरूम के साथ तेजी से बढ़ती श्रृंखला है। ये शोरूम जनजातीय कारीगरों के उत्पादों की एक संपूर्ण रेंज का विपणन करते हैं। इन उत्पादों में कपड़े, पेंटिंग, हस्तकला, वन से प्राप्त खाद्य-पदार्थ और स्वास्थ्य उत्पाद, अनूठे आभूषण, उपयोगिता-उत्पाद तथा एक विस्तृत मूल्य-श्रेणी में उपहार वस्तुएं शामिल हैं। ये शोरूम हवाई अड्डों, महानगरों और बड़े शहरों के प्रमुख वाणिज्यिक जिलों और उन जगहों पर स्थित हैं, जहाँ संभावित खरीदार अक्सर आते-जाते हैं। Prime Minister of India Modi became the first customer of painter Sarita Dhurviट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट में आउटलेट की पूरी सूची उपलब्ध है।

उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ेगी

ट्राइफेड ने महसूस किया है कि खरीदारी की प्रवृत्ति शोरूम-मोड से ऑनलाइन मोड में स्थानांतरित हो रही है। इसीलिए, इस प्रवृत्ति के साथ तालमेल रखने के लिए, ट्राइफेड ने एक ई-पोर्टल, www.tribesindia.com स्थापित किया है। इसका उद्देश्य जनजातीय कारीगरों और उनके उत्पादों को वैश्विक ई-मार्केट प्लेटफार्म पर लाना है। उद्देश्यहै -एक ही बार में कई लक्ष्यों को प्राप्त करना। उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ेगी; बिचौलिये का हिस्सा जनजातीय कारीगर को मिलेगा। कारीगर संकट-मूल्य से सर्वोत्तम मूल्य की ओर आगे बढ़ेंगे और ये सभी मिलकर जनजातियों की आजीविका को उनके पारंपरिक निवास-स्थान से हटाए बिना मजबूत करेंगे। यही सही अर्थ में जनजातीय सशक्तिकरण है।

जनजातियों के वंचित होने का बड़ा कारण अशिक्षा

जनजातियों के वंचित होने का एक बड़ा कारण अशिक्षा थी। आज की दुनिया में, साक्षरता का एक नया अवतार है ई-साक्षरता, यानिऑनलाइन बेचने की क्षमता। ऑनलाइन ई-कॉमर्स लोकतांत्रिक तरीके से तथा राष्ट्रीयता, लिंग और भौगोलिक स्थिति के आधार पर बिना किसी भेद-भाव के अद्भुत अवसर प्रदान करता है। इंटरनेट ने बाज़ार को जोड़ने की सुविधा दी है। इसने सुदूर डिंडोरी कीसरिता को मुंबई के एक व्यापारी की बराबरी पर रखा है। उदाहरणकेतौरपरदेखेंतोदोनों न्यूयॉर्क स्थित एक खरीदार से एकसमान आसानी के साथ जुड़सकते हैं। जनजातीय कारीगरों और उत्पादकों को ऑनलाइन वाणिज्य प्रस्तावों से वंचित करना गलत होगा। इसलिए, हमारा इरादा स्थानीय के बारे में मुखर होना (वोकल फॉर लोकल) और जनजातीय उत्पादकों कोवैश्विक स्तर पर पहचान दिलानाहै।

ट्राइब्स इंडिया के पोर्टल पर जनजातीय उत्पादों की ऑनलाइन खरीदारी करने के बाद प्रधानमंत्री ने प्रोत्साहन के अद्भुत शब्द ट्वीट किए और अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ अपने अनुभव को साझा किया। जल्द ही, बड़ी हस्तियों ने हमारे पोर्टल पर खरीदारी की। पहले पोर्टल में एक दिन में दो हजार आगंतुक आते थे, जबकि यह संख्या एक ही दिन में तीस हजार से अधिक हो गई। भारत के प्रधानमंत्री ने जो किया, ट्राइफेड चाहता है कि प्रत्येक मुख्यमंत्री और प्रत्येक कॉर्पोरेट प्रमुख भी यही करें: ट्राइब्स-इंडिया की दुकानों से और जनजातियों के ई-कॉम पोर्टल पर खरीदारी करेंऔर फिर सभी को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।

कॉर्पोरेट्स से खरीदारी करने की अपील

हम सभी कॉर्पोरेट्स को उपहार, फ़ोल्डर, कपड़ों की खरीदारी करने की अपील करते हैं, जिसके पीछे एक साधारण विचार छिपा है: जनजातीय भारत, सबसे पहले! आप हमारे ग्राहकों की संख्या का तेजी से विस्तार करने में हमारी सहायता कर सकते हैं। ट्राइब्स इंडिया एक ऐसी जगह है जहाँ आप खरीदारी करते हैं, तो आप खरीदारी से कुछ अलग भी करते हैं; आप एक जीवंत भारत की खोज करते हैं और हजारों सरिता, मोनिषा और रूपाली की आजीविका को मजबूत करते हैं। यह कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के लिए एक नया आयाम है। मुझे यकीन है कि 'इंडिया इंक' के प्रतिनिधि इस नये आयामपर अवश्य ध्यान दे रहे होंगे और जनजातियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभायेंगे।

(प्रवीर कृष्ण, आईएएस, ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक हैं।)

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