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Prophet Muhammad Controversy: पैगंबर-विवादः बात का बतंगड़
Prophet Muhammad Controversy: पैगंबर-विवाद को लेकर भारत में और इस्लामी देशों में बात का बतंगड़ बन रहा है। दिल्ली में पुलिस ने 31 व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
Prophet Muhammad Update: पैगंबर-विवाद को लेकर भारत में और इस्लामी देशों में कैसा बात का बतंगड़ बन रहा है। भाजपा के जिन दो लोगों के बयान पर कुछ इस्लामी राष्ट्रों ने आपत्ति की थी, उसे मानकर दोनों ने माफी मांग ली और भारत सरकार ने दोनों का पक्ष भी नहीं लिया। ऐसे में सारा विवाद शांत हो जाना चाहिए था लेकिन यह विवाद द्रौपदी के चीर की तरह खिंचता ही चला जा रहा है। जहां दिल्ली में पुलिस ने 31 व्यक्तियों के खिलाफ रपट दर्ज कर ली है, वहां कुछ इस्लामप्रेमियों ने प्रवक्ताओं के मुंडी या जुबान काटकर लानेवाले के लिए लाखों-करोड़ों का इनाम घोषित कर दिया है।
अभी तक लोगों को यही पता नहीं है कि पैगंबर मोहम्मद पर जो टिप्पणी की गई थी, वह क्यों की गई थी और उस टिप्पणी में क्या कहा गया था। टिप्पणी के समर्थकों और विरोधियों की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। यही हाल इस्लामी देशों का भी है। पाकिस्तान जैसे देश को, जो खुद भयंकर मुसीबत में फंसा हुआ है, अब एक नई बटेर हाथ लग गई है।
प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और इमरान के बीच दौड़ लगी हुई है कि भारत की भर्त्सना करने में कौन आगे निकल जाए। कराची के एक मंदिर में भी तोड़-फोड़ कर दी गई है। शाहबाज सरकार इस अंदेशे से सतर्क हो गई है कि कहीं पाकिस्तान के हिंदुओं पर जबर्दस्त हमले ने हो जाएं। इधर मालदीव की सरकार और उसके विपक्षियों के बीच तलवारें खिंच गई हैं। जैसे पाकिस्तान की संसद ने भारत की भर्त्सना का प्रस्ताव पारित कर दिया है, बिल्कुल वैसा ही प्रस्ताव मालदीव के विपक्षी नेता अपनी संसद में भी पास करना चाहते हैं। इस्लामी सहयोग संगठन की भरसक कोशिश है कि यह मामला संयुक्तराष्ट्र संघ के मंचों पर भी तूल पकड़े।
आजकल मालदीव के अब्दुल्ला शाहिद संयुक्तराष्ट्र महासभा के अध्यक्ष हैं। पाकिस्तान को हराकर वे अध्यक्ष बने थे लेकिन वे इस मुद्दे पर काफी संयत रूख अपनाए हुए हैं। ईरान की हमें तारीफ करनी होगी कि इस विवाद के दौरान ही उसने अपने विदेश मंत्री को भारत भेजा और आपसी सहयोग के नए आयाम खोले। इस्लामी सहयोग संगठन के 57 सदस्य हैं लेकिन उनमें मुश्किल से डेढ़ दर्जन सदस्यों ने भारत से अपनी नाराजगी जाहिर की है। शेष सदस्यों को यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि इस पैगंबर-विवाद का असली मुद्दा क्या है। भारत के विरोधी दल, खासतौर से कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर उटपटांग बयान जारी करके अपनी भद्द पिटवा रहे हैं। सबसे अधिक संतोष की बात यह है कि भारत के औसत मुसलमान ने अपना संयम बनाए रखा है।
कुछ प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने भाजपा प्रवक्ताओं के विरुद्ध की गई कार्रवाई पर संतोष भी व्यक्त किया है। लेकिन दोनों पक्षों के कट्टरपंथी अपनी टेक पर डटे हुए हैं। वे एक-दूसरे पर प्रहार करने में नहीं चूक रहे हैं। वे एक-दूसरे के महापुरूषों पर कीचड़ उछाल रहे हैं। उनमें से कुछ पत्थरबाज़ी पर उतर आए हैं ।भारत और इस्लामी राष्ट्र इस समय कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रहे हैं। आपस में मिलकर उनसे लड़ना तो दूर रहा, वे बात के इस बतंगड़ में फंसकर न तो अपना कुछ भला कर रहे हैं और न ही अपने धार्मिक महापुरुषों के सम्मान की रक्षा कर रहे हैं।