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भारत सही है लेकिन सक्रिय क्यों नहीं ?

Quad Meeting:तीनों राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों ने भारत का स्पष्ट समर्थन पहली बार इतने जोरदार शब्दों में किया है।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Monika
Published on: 13 Feb 2022 8:27 AM IST
quad foreign ministers meeting
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 बैठक (photo : social media )

Quad Meeting: यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के बीच जैसा मुठभेड़ का माहौल बना हुआ है, उसमें मुझे लग रहा था कि चौगुटे (क्वाड) की बैठक में भारत को भी रुस-विरोधी रवैया अपनाने के लिए मजबूर किया जाएगा। यह चौगुटा अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का मैत्रीपूर्ण गठबंधन है। मेलबर्न में हुई इसके विदेश मंत्रियों की बैठक में ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस बैठक के बाद जो संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ, उसमें यूक्रेन का कहीं नाम तक नहीं है।

भारत के अलावा तीनों देश यूक्रेन के मामले में रूस-विरोधी रवैया अपनाए हुए हैं। उनके शासनाध्यक्ष और विदेश मंत्री लगभग रोज ही कोई मौका नहीं छोड़ते रूस पर आरोप लगाने का। शायद भारत के तटस्थ रूख के कारण क्वाड की बैठक इस मसले पर मौन रही है। जहां तक पाकिस्तान का प्रश्न है, तीनों राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों ने भारत का स्पष्ट समर्थन पहली बार इतने जोरदार शब्दों में किया है। संयुक्त वक्तव्य में साफ-साफ कहा गया है कि हम सीमा-पार से आनेवाले हर आतंकवाद की भर्त्सना करते हैं। हम मुंबई और पठानकोट में हुए आतंकी हमलों की निंदा करते हैं। इस संयुक्त वक्तव्य में पाकिस्तान का नाम लिये बिना भारत की तरह शेष तीनों देशों ने उस पर जमकर शाब्दिक आक्रमण किया है।

इसी अमेरिकी आक्रमण की तरफ इशारा करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अमेरिका को शीतयुद्ध के दौरान जब पाकिस्तान की जरूरत थी, उसने उसे जमकर इस्तेमाल किया और अब उसे (निरोध की तरह) इस्तेमाल करके फेंक दिया। इन देशों ने अपने बयान में अफगानिस्तान के सवाल पर भी पाकिस्तान की खिंचाई की है। उन्होंने कहा है कि किसी अन्य देश की भूमि को आतंकवाद का अड्डा बनाने के लिए इस्तेमाल करना गलत है। भारत भी अफगानिस्तान को लेकर बराबर यही बात कहता आ रहा है। जहां तक चीन का सवाल है, इन चारों देशों ने चीन पर भी इशारों-इशारे में हमला बोला है। साफ-साफ आक्रमण नहीं किया है।

हर विदेश मंत्री ने चीन के खिलाफ दो-टूक रवैया अपनाया

पत्रकार परिषद में हर विदेश मंत्री ने चीन के खिलाफ दो-टूक रवैया अपनाया है लेकिन शायद भारत का लिहाज रखते हुए संयुक्त वक्तव्य में सिर्फ यही कहा गया है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र को खुला और नियंत्रण-मुक्त रखा जाना चाहिए ताकि विभिन्न राष्ट्र अपने हितों की रक्षा कर सकें। लेकिन इस रवैए की भी चीनी सरकार के प्रवक्ता ने कड़ी भर्त्सना की है। उसने कहा है कि यह चौगुटा बनाया ही इसलिए गया है कि चीन का विरोध किया जाए। म्यांमार के मामले में भी हमारे विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि म्यांमार में हम लोकतंत्र और नागरिक आजादी का समर्थन करते हैं लेकिन उस पर हम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने के हक में नहीं हैं। भारत का यह संतुलित रवैया इसलिए ठीक है कि म्यांमार हमारा पड़ौसी देश है और हमारे बहुत से हित उससे जुड़े हुए हैं। कुल मिलाकर सभी मुद्दों पर चौगुटे की बैठक में भारत का रवैया ठीक रहा लेकिन समझ में नहीं आता कि यूक्रेन और म्यांमार के मामलों में भारत सक्रियता क्यों नहीं दिखा रहा है? वह प्रभावशाली मध्यस्थ बन सकता है लेकिन ऐसा लगता है कि उसके आत्मविश्वास में कुछ कमी है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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