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पार्टी पर भारी पड़ेगा एक शब्द, राहुल के बोल पर हाथ मल रही है यूपी में कांग्रेस

राहुल गांधी की मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी ऐसे ही दो शब्दों के जाल में फंस कर गुजरात चुनाव के दौरान अपनी फजीहत करा चुकी थीं। उन्होंने गुजरात के तत्कालीन सीएम और अब देश के पीएम नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कह दिया था। इस बयान से भी लोगों में गुस्सा भर गया और बीजेपी दो तिहाई बहुमत से जीत गई।

zafar
Published on: 7 Oct 2016 11:16 AM GMT
पार्टी पर भारी पड़ेगा एक शब्द, राहुल के बोल पर हाथ मल रही है यूपी में कांग्रेस
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vinod kapoor Vinod Kapoor

लखनऊ: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुरुवार 6 अक्तूबर को दिल्ली में कहे दो शब्द देश में तूफान खड़ा कर गए। यूपी विधानसभा के होने वाले चुनाव को लेकर 6 सितम्बर से एक महीने तक पूर्वी मध्य और पश्चिमी यूपी की खाक छानने के बाद उम्मीद तो ये थी कि उनके दौरे का राजनीतिक आकलन होगा, लेकिन ऐसा होने के पहले ही राहुल ने कुछ ऐसा कह दिया कि पूरा देश सन्न रह गया।

फिर फजीहत

राहुल ने अपनी एक महीने की यूपी यात्रा के बाद दिल्ली में कहा कि केंद्र सरकार ओर पीएम नरेंद्र मोदी सैनिकों के खून की दलाली कर रहे हैं। बस इन दो शब्दों ने उनके अब तक के किये कराए पर पानी फेर दिया। दरअसल राजनीतिक रुप से राहुल कांग्रेस और खासकर गांधी-नेहरू परिवार को हमेशा मुसीबत में डालते रहे हैं। उनकी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी ऐसे ही दो शब्दों के जाल में फंस कर गुजरात चुनाव के दौरान अपनी फजीहत करा चुकी थीं। गुजरात विधानसभा के 2012 के चुनाव में उन्होंने तब के वहां के सीएम और अब देश के पीएम नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कह दिया था।

सोनिया गांधी का ये बयान 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए गुजरात दंगे के लिए आया था, जिसमें एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस बयान से भी लोगों में गुस्सा भर गया और बीजेपी दो तिहाई बहुमत से जीत गई।

पार्टी में मायूसी

आम तौर पर राजनीतिज्ञ रैली,सभाओं या संवाददाताओं के साथ बातचीत में शब्दों के चयन पर काफी सावधानी बरतते हैं। लेकिन अपनी मां की तरह राहुल ने भी चूक कर दी जिसका राजनीतिक नुकसान बाद में दिखाई देगा। फौरी नुकसान तो अभी हो गया है।

यूपी कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि ये क्या कर और कह गए राहुल। अपना तो नुकसान किया ही, पार्टी का भी नुकसान कर गए। ये तो शुक्र है कि चुनाव तुरंत नहीं होने वाले। यदि एकाध महीने में होते तो कांग्रेस की लुटिया तो डूबनी ही थी।

विवादास्पद नेता

पीओके में सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की पूरे देश में आम जनता सराहना कर रही है। जिसमें कई आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया। उरी हमले के बाद देश के लोगों में गुस्सा था। इस कार्रवाई के बाद लोगों का गुस्सा खुशी में बदल गया। देश की मीडिया ने भी कार्रवाई के बाद इसके लिए माहौल बनाया। उरी हमले के बाद पीएम ने भी कहा था कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और इसके दोषियों को सजा मिलेगी।

सर्जिकल स्ट्राइक पर पहले तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाया, बाद में कांग्रेस के नेता पी चिदंम्बरम, दिग्विजय सिंह और संजय निरूपम भी इसमें कूद पड़े। निरूपम और दिग्विजय सिंह की बात तो समझ में आती है, जो विवादास्पद बातों के लिए ही जाने जाते हैं। लेकिन चिदम्बरम तो देश के गृह और वित्त मंत्री रह चुके हैं, उनके बयान से तो कांग्रेस के सीनियर नेता भी सन्न रह गए।

भारी पड़ेंगे शब्द

अब राहुल के सैनिकों के खून की दलाली जैसा बयान लोगों में गुस्सा भर गया। दिलचस्प है, कि पीएम मोदी ने सर्जिकल ऑपरेशन के बाद न तो कोई बयान दिया ओर न अपनी पीठ थपथपाई। उन्होंने पार्टी के नेताओं को भी हिदायत दी कि सेना के इस ऑपरेशन के बारे में कोई बयानबाजी नहीं करें। सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी भी डीजीएमओ ने मीडिया के माध्यम से जनता को दी।

दरअसल शब्द चुनते वक्त राहुल को कोई ध्यान ही नहीं रहा। दलाली तो हमेशा किसी डील में होती है। जैसे बोफोर्स तोप, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर, 2जी स्पेक्ट्रम या कोयला। खून की दलाली कैसे हो सकती है? अस्पताल में यदि कोई बीमार नहीं हो तो आमतौर पर खून बेचा नहीं जाता, तो इसकी दलाली कैसे हो सकती है? लेकिन यहां तो कोई डील थी ही नहीं, तो दलाली कैसे होगी? लगता है कि वो हिंदी का शब्द शोषण जिसे अंग्रेजी में एक्सप्लॉयटेशन कहते हैं ,इस्तेमाल करना चाह रहे होंगे कि स्ट्राइक से मिली लोकप्रियता का सरकार शोषण कर रही है, लेकिन दलाली बोल गए। कभी कभी शब्दों का गलत चयन बड़ा नुकसान कर देता है।

अमित शाह की चोट

आपके गलत बोल विरोधियों को बड़ा मौका दे देते हैं। इस गलती का फायदा बीजेपी यूपी के विधानसभा चुनाव में अवश्य ही उठाएगी। गुजरात के विधानसभा चुनाव में भी सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर कह कर बीजेपी को प्लेट में रखकर सरकार दे दी थी। यूपी कांग्रेस के नेता कहते हैं कि राहुल ने ऐसा बयान दे एक गंभीर गलती कर दी है। सीमा पर देश के लिए जान देने वाले जवानों के खिलाफ देश की जनता कुछ सुन ही नहीं सकती। उनके खिलाफ कुछ भी कहने के पहले नेताओं को दस बार सोचना चाहिए लेकिन अब तो नुकसान हो चुका है।

क्या इन नेताओं को ये भी ध्यान नहीं रहा कि पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को मारने में अमरीकी सेना के अभियान पर कोई इफ बट नहीं हुआ था, और न वहां के नेताओं ने कोई सवाल उठाए थे।

सेना के खून की दलाली के बयान पर बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने सही जगह पर चोट की। उनका कहना था कि डील में दलाली कांग्रेस के कार्यकाल में ही हुई इसलिए दलाली जैसा शब्द राहुल के जेहन में चिपक के रह गया है। उनका ये भी कहना था कि जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।

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