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Raju Srivastava: राजू ने बदली कॉमेडी की दशा व दिशा

राजू श्रीवास्तव ने फ़िल्मों में नये तरह की कॉमेडी की जगह और ज़रूरत को पूरा किया। करीब 36 साल के अपने प्रोफेशनल करियर में एकल और स्टैंड-अप कॉमेडी को नई पहचान दी।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 6 Jan 2023 4:55 PM IST
Raju Srivastava
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Raju Srivastava (photo: social media )

Raju Srivastava: जिस समय राजू श्रीवास्तव का कॉमेडी के दुनिया में प्रवेश हुआ उस समय तक लोग पुराने कॉमेडियन महमूद, असित सेन , जगदीप, असरानी और पेंटल आदि से थोड़ा-थोड़ा ऊबने लगे थे। क्योंकि इन लोगों की कॉमेडी हमेशा धोती खुलना, चोटी उड़ना, पुलिस आदि के इर्द गिर्द घूमती रहती थी। नये कामेडीयन की तलाश में कई फ़िल्मों में हीरो से भी कॉमेडी कराया जाने लगा था। फ़िल्मों में नये तरह की कॉमेडी की जगह और ज़रूरत को राजू श्रीवास्तव ने पूरा कर दिखाया। करीब 36 साल के अपने प्रोफेशनल करियर में एकल और स्टैंड-अप कॉमेडी को नई पहचान दी। बुलंदियों तक पहुंचाया। अस्सी के दशक में राजू श्रीवास्तव के कॉमेडी कैसेट आते थे। उनके कैसेट का नाम हुआ करता था - हंसना मना है। इसे टी सीरीज़ ने निकाला था। इस कैसेट की खासियत यह थी कि फिल्म में शोले की कहानी को राजू श्रीवास्तव ने बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया था ।

राजू और मिमिक्री

कहा जाता है कि राजू श्रीवास्तव बचपन में इंदिरा गांधी की नकल करते थे। धीरे-धीरे जब बड़े हुए तो एक बार स्कूल में उनके एक दोस्त ने शोले फिल्म के गब्बर सिंह की नकल उतारी । उसकी नकल देखकर स्कूल के सारे छात्र उससे बहुत प्रभावित हुए । तब राजू श्रीवास्तव ने सोचा कि नकल तो हम भी कर सकते हैं। उन्होंने कानपुर के सुंदर टाकीज में शोले फिल्म 10 -12 बार देखी। फिल्म में अमिताभ बच्चन के किरदार से वह इतने प्रभावित हुए कि उनकी मिमिक्री शुरू कर दी।अमिताभ बच्चन उनके फेवरेट अभिनेता थे। राजू हमेशा उनका बहुत सम्मान करते थे। उन्हें अक्सर "जूनियर अमिताभ" के नाम से संबोधित किया जाता था।अमिताभ की मिमिक्री करने के चलते स्कूल में सब राजू के दीवाने हो गए।

राजू और गजोधर

गजोधर नाम का एक कैरेक्टर उनके हर कार्यक्रम में मुख्य पात्र रहता था। गजोधर के बारे में राजू खुद बताते थे कि उनके गांव में वह बाल काटने का काम करता था। उसकी स्टाइल को राजू श्रीवास्तव ने पकड़ लिया। उसको एक पात्र बना दिया। राजू श्रीवास्तव को गजोधर के भी नाम से भी पुकारते थे। राजू श्रीवास्तव की खास बात यह थी कि वह निर्जीव चीजों जनरेटर,टेंपो, बिजली की झालर तथा जानवरों आदि की फीलिंग को अपनी कॉमेडी में रखते थे ।जो अब तक कॉमेडी की दुनिया में अछूती थी।

कानपुर में जन्मे

25 दिसंबर,1963 को कानपुर शहर में जन्मे राजू श्रीवास्तव का नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। उनके पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव, बलाई काका के नाम से मशहूर एक कवि थे। राजू श्रीवास्तव के छह भाई और एक बहन थीं। वो सबसे बड़े थे। उनका सबसे छोटा भाई दीपू भी एक कॉमेडियन है।

राजू का सफ़र

राजू बचपन से ही कॉमेडियन बनना चाहते थे। जब उनके घर में कोई मेहमान आता था तो उसके जाने के बाद वह उसकी स्टाइल उतारा करते थे। इसके अलावा उनकी हाजिर जवाबी का कोई जवाब नहीं था। एक बार उनके पिता ने कहा कि हम लोगों के यहां बिजली नहीं थी तो तब हम लोग स्ट्रीट लाइट में पढ़ा करते थे। पर तुम्हारे घर में बिजली है, उसके बावजूद तुम नहीं पढ़ते हो। इस पर राजू श्रीवास्तव ने कहा कि आप लोग दिन में क्यों नही पढ़ते थे । उनकी इस बात पर पिताजी नाराज हुए। लेकिन उनको हंसी भी आई । यहीं से राजू की प्रतिभा का पता पिता को लगा।

राजू कानपुर में आर्केस्ट्रा पार्टियों में कॉमेडी करने लगे। जहां भी मौका मिलता वो मिमिक्री शुरू कर देते थे। राजू को लोग अपने किसी फंक्शन या जन्मदिन की पार्टी में बतौर कॉमेडियन बुलाने लगे। एक इंटरव्यू के दौरान राजू ने बताया था कि एक बार वह किसी पार्टी में गए थे। परफॉरमेंस दी थी। जब कार्यक्रम खत्म हुआ तो एक शख्स ने उन्हें 50 रुपये थमा दिये। राजू को लगा कि यह उनकी फीस है । लेकिन उस व्यक्ति ने राजू से कहा कि तुम एक बेहतरीन कॉमेडियन हो। यह इनाम है। धीरे-धीरे राजू को कुछ छोटे स्टेज रोल भी ऑफर होने लगे। फिर वह चुपके से मुंबई चले गए। जहां उन्होंने रोजी रोटी के लिए आटो भी चलाया।वही उनकी भेंट जानी लीवर से हो गई। जो उन्हें एक बार अनुराधा पौडवाल के प्रोग्राम में ले गए। जहां राजू की भेट गुलशन कुमार से हुई।गुलशन कुमार ने एक कैसेट निकाला जिसका नाम था-हंसना मना है। जिसमे उन्होंने शोले फिल्म की पूरी कहानी गजोधर के मुंह से देहाती अंदाज में सुनाई । जिसे लोगों ने खूब पसंद किया।

इसके बाद फिर वह कुछ टीवी सीरियल में आए । असली पहचान उनके ग्रेट लाफ्टर चैलेंज प्रतियोगिता से हुई, जिसमें उन्हे सेकंड प्राइज मिला। फिर उन्होंने कई फिल्मों में छोटे छोटे रोल किए। लेकिन मुंबई में फिल्मफेयर अवार्ड जैसा बड़ा मंच भी मिला। वह लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह की बहुत अच्छी नकल उतारते थे।

फिल्मों में एंट्री

मुंबई और अन्य शहरों में स्टेज शो करते करते राजू फिल्म इंडस्ट्री में आ गए। उन्होंने "तेजाब" और "मैंने प्यार किया" जैसी फिल्मों में काम किया। राजू अब टेलीविजन पर हल्के-फुल्के शो, स्टेज शो, फिल्म के छोटे-मोटे रोल करते हुए नजर आने लगे। लाफ्टर चैलेंज से धूम मचाई। राजू ने स्टैंड अप कॉमेडी की दुनिया ही पूरी तरह से बदल दी और टेलीविजन पर ऐसा हंगामा मच गया कि आगे जाकर हर एक चैनल पर इनका "कॉमेडी शो" आने लगा।

राजनीतिक सफर

राजू श्रीवास्तव को समाजवादी पार्टी ने 2014 में लोकसभा चुनाव में कानपुर से उतारा था । लेकिन राजू ने 11 मार्च, 2014 को यह कहते हुए टिकट वापस कर दिया कि उन्हें पार्टी की स्थानीय इकाइयों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है। उनके टिकट छोड़ने के बाद सपा ने कानपुर से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी।

सपा से अलगाव क्यों

बीसीसी से बातचीत के दौरान राजू श्रीवास्तव ने कहा था कि - 'मैंने सपा की कानपुर इकाई में अनुशासन की कमी देखी है। वहां हर इंसान खुद को नेता समझता है। मुलायम जी जो करने को कहते हैं वहां उसका उलट ही होता है। ऐसा नहीं है कि मैंने शिकायत नहीं की। अखिलेश ओर मुलायम जी तक अपनी बात पहुंचाई, लेकिन किसी ने कोई एक्शन नहीं लिया। वो अधिक व्यस्त रहे तो मुझे लगा कि मेरी अनदेखी की जा रही है, इसलिए टिकट के साथ पार्टी की सदस्यता ही वापस कर दी।

राजू और भाजपा

सपा छोड़ने के कुछ दिनों के भीतर राजू 19 मार्च, 2014 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया। लेकिन उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार किया। 2014 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया गया था।

2018 में, राजू श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर खुलासा किया कि उन्हें 2019 के भारतीय आम चुनाव में लोकसभा के लिए भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लड़ने का मौका मिलेगा, हालांकि ऐसा नहीं हुआ।

मार्च 2019 में, राजू को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ था।

राजू का परिवार

राजू श्रीवास्तव ने 1 जुलाई 1993 को लखनऊ की शिखा श्रीवास्तव से शादी की। दोनों के दो बच्चे - अंतरा श्रीवास्तव और आयुष्मान श्रीवास्तव हैं।

राजू की फिल्में

  • 1988 - तेज़ाब
  • 1989 - मैंने प्यार किया
  • 1993 - बाजीगर, मिस्टर आज़ाद
  • 1994 - अभय
  • 2001 - आमदानी अठानी खर्चा रुपैया
  • 2002 - वाह! तेरा क्या कहना
  • 2003 - मैं प्रेम की दीवानी हूं
  • 2006 - विद्यार्थी : द पावर ऑफ स्टूडेंट्स
  • 2007 - जहां जाएगा हमें पाएगा; बिग ब्रदर; बॉम्बे टू गोवा; फिर हेराफेरी
  • 2010 - भावनाओं को समझो, बारूद (द फायर) - ए लव स्टोरी'
  • 2017 - टॉयलेट : एक प्रेम कथा; फिरंगी

टीवी सीरीज़

  • 1994 - देख भाई देख
  • 1994 - टी टाइम मनोरंजन
  • 1998-2005 - शक्तिमान
  • 2005 - द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज
  • 2009 - बिग बॉस
  • 2007–2014 - कॉमेडी सर्कस
  • 2008-2009 - राजू हाज़िर हो
  • 2011 - कॉमेडी का महा मुकाबला
  • 2012 - लाफ़ इंडिया लाफ़
  • 2013-2014 - नच बलिए
  • 2013-2016 - कॉमेडी नाइट्स विद कपिल
  • 2014 - गैंग्स ऑफ हंसीपुर
  • 2015 - अदालत
  • 2016-2017 - द कपिल शर्मा शो
Deepak Kumar

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