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Ram Navami 2024: रामहि केवल प्रेमु पियारा: कथा व्यास

Ram Navami 2024:चारों दिशाओं में सुख शांति और सम्पन्नता का वारावरण फैलना स्वाभाविक है । राम के कारण चित्रकूट में यही स्थिति पैदा हुई।

Monika
Published on: 11 April 2024 10:17 AM GMT
Ram Navami 2024
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Ram Navami 2024   (photo: social media )

Ram Navami 2024: रामहि केवल प्रेमु पियारा

जानि लेउ जो जाननि हारा ।

उक्त पंक्तियाँ राम चरित मानस के उस प्रसंग से सम्बन्धित है। जब राम चित्रकूट में निवास कर रहे है। वे किस प्रकार वनवासियों से प्रेमपूर्वक वार्ता करते थे , सबसे सहज भाव से मिलते थे, इसका बहुत ही सुन्दर विवरण गोस्वामी जी ने किया है । जो भी उनके सम्पर्क में आता वह आपस मे उनके गुणों की चर्चा करता । इस प्रकार उन लोगों की चर्चा गाँव - गाँव में फैलने लगी ।

जब ते आय रहे रघुनायक

तब ते भयउ बनु मंगल दायक

फूलहिं फलहिं बिपट विधि नाना

जिस मनुष्य में छोटे - बड़े सभी के लिए हितकारी भाव होते हैं । उसके आगमन से अथवा किसी स्थान में निवास से चारों दिशाओं में सुख शांति और सम्पन्नता का वारावरण फैलना स्वाभाविक है । राम के कारण चित्रकूट में यही स्थिति पैदा हुई। चित्रकूट के निवास में राम , सीता एवं लक्षमण ने सबको प्रभावित किया और उनके दिलों में प्रेम भाव संचरित किया।

कैसे प्राप्त होती है माता की कृपा ? -भाग 2

योगीराज श्री अरविन्द की आध्यात्मिक अनुभूतियाँ , { क्रमशः}

एक सिद्ध सन्त के निम्न भावों के आलोक में युवा भारत विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करे ,यह हमारी भावना है।

माता की कृपा की महत्ता के सम्बन्ध में अरविन्द कहते हैं --

" जीवन पथ पर सब प्रकार के भय ,संकट और

विनाश से बचकर आगे बढ़े चलने के लिए दो ही

चीजें जरूरी हैं और ये दोनों ऐसी है जो सदा एक

साथ रहती है -एक है माँ भवानी की करुणा और

दूसरी ,तुम्हारी ओर से ऐसा अन्तःकरण जो श्रद्धा ,

निष्ठा और समर्पण से परिपूर्ण हो।

श्रद्धा तुम्हारी होनी चाहिए विशुद्ध , निश्छल और

निर्दोष। मन और प्राण की ऐसी अहंकारयुक्त

श्रद्धा जो बड़े बनने की आकांक्षा ,अभिमान ,दम्भ ,

अहंमन्यता ,वैयक्तिक अभिलाषा और निम्न

प्रवृतियों से युक्त हो , माता स्वीकार नहीं करेगी।

तुम्हारी श्रद्धा ,निष्ठां और समर्पण जितने ही

पूर्णतर होगें उतनी ही अधिक दया तुम्हारे

ऊपर होगी और तुम्हारी रक्षा की जायगी।

और जब माता का वरद और रक्षक हाथ

तुम्हारे ऊपर होगा तब फिर कौन है जो

तुम्हारे ऊपर उँगली उठा सके या जिससे

तुम्हें भय करना पड़े ?

उनकी कृपा की अत्यल्प मात्रा भी तुम्हें सब

विघ्न -बाधाओं और संकटों से पार कर देगी

और मातृ -सत्ता के संरक्षण से घिरकर तुम

अपने रास्ते पर निरापद आगे बढ़ते रहोगे .

अपने जीवन को यह समझो कि यह भगवत्कर्म

के लिए मिला हुआ है। अन्य किसी चीज की

इच्छा मत करो ,चाहो केवल भागवत चैतन्यता।

जब आत्म निवेदन कर रहे हो तो पूर्णतया ही

करो ,अपनी कोई इच्छा या शर्त मत रखो।

और जब तुम ऐसा कर सकोगे तब तुम्हारी

सारी चिन्ताएं मिट जाएँगी और किसी शत्रु

का भय नहीं रहेगा चाहे वह कितना हीं

बलवान हो ,इस जगत का हो या किसी

अदृश्य जगत का। माता की शक्ति का

स्पर्श मात्र ही कठिनाइयों को सुयोग में ,

विफलता को सफलता में और दुर्बलता

को बल में बदल देगा।

दोस्तों ! एक कार्यकर्ता के रूप में हमने

अनेकों बार उक्त सत्य को अपने जीवन

में घटित होता हुआ अनुभव किया है।

आप भी कीजिये ,यह एक मित्र का सुझाव है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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