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Ram Navami 2024: रचि महेस निज मानस राखा।।एक।।

Ram Navami 2024: श्रीराम की कथा पर केंद्रित - नाना भांति राम अवतारा, रामायण शत कोटि अपारा, गोस्वामी जी ने पहले ही उद्घोषित कर दिया है।

Sanjay Tiwari
Written By Sanjay Tiwari
Published on: 11 April 2024 3:24 PM IST
Ram Navami 2024
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Ram Navami 2024   (PHOTO: SOCIAL MEDIA )

Ram Navami 2024: राम। अयोध्या के राम। दशरथनंदन राम। सिया के राम। कौशल्या के राम। शिव के राम। सरस्वती के राम। वेद के राम। पुराणों के राम। ऋषि, मुनि महात्माओं के राम। साधको के राम।निर्गुण, निराकार राम। सगुन, साकार राम। गायत्री के प्रतिपाद्य , नारायण राम।बाल्मीकि के राम। कागभुशुण्डि के राम। याज्ञवल्क्य के राम। शंकर की कथा के राम। अगस्त्य की कथा के राम। अनंत कोटि करुणा वरुणालय राम। सृष्टि के प्रतिपालक राम। कोटि कोटि ब्रह्मांडो के नायक राम। किसके किसके कितने राम। लोक के राम। तुलसी के राम। राम, राम, राम, राम, राम, राम, राम, राम।।

राम के नाम। राम की कथा। राम के रूप। राम की महिमा। राम का चरित्र। राम की लीला। एक जन्म में सब जान लेना असंभव। हनुमान की शक्ति । हनुमान के हिया में सियाराम। हनुमान जी की उपस्थिति में राम जी की उपस्थिति की कथा के राम को कोटि कोटि वंदन।।

गोस्वामी जी ने पहले ही लिख दिया-

राम अनंत अनंत गुन, अमित कथा विस्तार।

सुनि आचरजु न मानिहहिं , जिन्हके बिमल बिचार।।

राम की कथा जिसे - सकल लोक जग पावनि गंगा लिखा गया, ऐसी लोक पावनि गंगा की अविरल धारा के दर्शन का सौभाग्य कैसे प्राप्त हो, इसी कामना के साथ श्री हनुमान जी की पावन उपस्थिति में इस कथा गंगा को अनुभूति में समाहित करने की एक बालसुलभ कोशिश कर रहा हूँ। श्रीराम की कथा पर केंद्रित - नाना भांति राम अवतारा, रामायण शत कोटि अपारा, गोस्वामी जी ने पहले ही उद्घोषित कर दिया है। पूज्यपाद गोस्वामी तुलसी दास जी के श्रीमद रामचरित मानस को केंद्र में रख कर यह श्रृंखला आज से शुरू कर रहा हूँ। श्री हनुमान जी की पावन उपस्थिति से ही यह यात्रा आगे बढ़ेगी, ऐसा विश्वास है। भगवान के निर्गुण, निराकार स्वरूप को सगुण, साकार मनुष्य के रूप में धरती पर अवतरण, उनकी बाल लीला, माता जानकी के उनके विवाह, वनगमन, लंका विजय और फिर रामराज्य की स्थापना के बाद अपने समस्त परिकरों के साथ निजधाम गमन तक की जिस कथा को गोस्वामी जी ने वर्णित किया है, उसी कथा को लोकसहज भाषा मे पुनः प्रस्तुत करने की हनुमान जी की प्रेरणा प्राप्त हो रही है, यह सौभाग्य है।

श्री राम कथा को इस स्वरूप में प्रस्तुत करने की इस कोशिश के पीछे की धारणा यह है कि सनातन संस्कृति के आधार ग्रंथ के रूप में श्रीरामचरितमानस की जितनी उपस्थिति है, वह अद्भुत है। किंतु यह भी उतना ही सत्य है कि अधिकांश घरों में इस सद्ग्रन्थ की केवल पूजा की पुस्तक के रूप में लाल कपड़े में रख कर धूप दिखा दिया जाता है। घर के बच्चों को इसे पढ़ने को नही दिया जाता। सामान्य रूप से सिर्फ पूजा तक इसे सीमित कर दिया गया है , जबकि यह ग्रंथ इतनी सरल भाषा मे है कि कोई भी साक्षर व्यक्ति बड़ी आसानी से पढ़ और समझ सकता है। यह वही मानस है जिसके बारे में स्वयं गोस्वामी जी लिखते है-

रचि महेस निज मानस राखा,

पाइ सुसमउ सिवा सन भाषा।।

यानि इस कथा को भगवान शंकर ने अपने मानस में तो बहुत पहले ही रच लिया था। जब सुअवसर आया तब शिव ने कथा को जगत के लिए प्रकट किया। यह सुअवसर कब आया, क्यों आया, कैसे आया, यह सबकुछ इस गंगा के प्रवाह के साथ सामने आएगा।

रामकथा की इस यात्रा में प्रवेश के लिए यात्रा वही से आरंभ करेंगे जहां से गोस्वामी जी ने मर्ग दिखाया है। श्री रामचरितमानस, प्रथम सोपान, बालकांड के उन सात श्लोकों का दर्शन जिनके साथ यह अविरल प्रवाह आरंभ होता है। प्रथम श्लोक में मां सरस्वती और श्री गणेश जी की वंदना। दूसरे श्लोक में श्रद्धा की मूर्ति मां पार्वती और विश्वास के प्रतीक भगवान शंकर की वंदना। तीसरे श्लोक में पुनः गुरु के रूप में बोधमयं नित्यं यानि सदैव सत्य में लीन भगवान शंकर की उनके समग्र स्वरूप में वंदना। चौथे श्लोक में कवीश्वर और कपीश्वर की वंदना। पांचवें श्लोक में महाशक्ति स्वरूप माता सीता की वंदना। छठे श्लोक में अखिल ब्रह्मांड के अधिपति भगवान श्रीहरि की वंदना। सातवें श्लोक में समस्त वेद, पुराण, शास्त्रों की वंदना के साथ ही यह उद्घोषणा कि यह कथा लेखन स्वान्तः सुखाय हेतु।

इन सात श्लोकों के बाद गोस्वामी जी ने पांच सोरठा में महात्म्य की व्याख्या करते है और गुरु महात्म्य के वर्णन के साथ कथा आगे बढ़ती है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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