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Bilawal Bhutto Statement: भुट्टो और राहुल ज़रा संभलकर बोलें

Bilawal Bhutto Statement: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और कांग्रेस के मालिक राहुल गांधी के बयानों पर भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं हो रही हैं।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 19 Dec 2022 4:13 AM GMT
Bilawal Bhutto and Rahul Gandhi
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Bilawal Bhutto and Rahul Gandhi (photo: social media )

Bilawal Bhutto Statement: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और कांग्रेस के मालिक राहुल गांधी के बयानों पर भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। पता नहीं, इन दोनों पार्टी-मालिकों के बयानों पर भाजपाइयों को इतने नाराज होने की जरुरत क्या है? जहां तक बिलावल का सवाल है, वह जब छोटा बच्चा था तो अपनी मां बेनज़ीर के साथ मुझसे मिलने अक्सर दुबई में आया करता था। अब वह अचानक पार्टी का मुखिया और विदेश मंत्री बन गया है।

उसके मुंह से यदि कोई अग्निवर्षक बयान नहीं निकलेगा तो पाकिस्तान में उसे कौन गांठेगा? वह अपने नाना जुल्फिकार अली भुट्टो से भी आगे निकलना चाहता है। इसीलिए उसने अपना उपनाम अपने पिता ज़रदारी का रखने की बजाय अपने नाना भुट्टो का रख लिया है। भुट्टो कहा करते थे कि भारत से यदि हजार साल भी लड़ना पड़े तो वे लड़ते रहेंगे । लेकिन कश्मीर लेकर रहेंगे। बेनज़ीर से मैं जब-जब भी मिला तो मैंने उनसे कहा कि आप कश्मीर लेने के चक्कर में पाकिस्तान खो बैठेंगी। फौज के तले दबे हुए पठान, बलूच और सिंधी आपके देश के कई टुकड़े कर देंगे। मुझे विश्वास था कि बिलावल बड़ा होकर इस मुद्दे पर ध्यान देगा । लेकिन उसने न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना कुख्यात आतंकवादी उसामा बिन लादेन से कर दी। अब जबकि प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान काफी संतुलित बयान दे रहे हैं, बिलावल ने ऐसा अतिवादी बयान देकर अपनी छवि बनाई या बिगाड़ी है, वह जरा खुद सोचें।

इसी तरह राहुल गांधी ने तवांग में हुई छुटपुट भारत-चीन मुठभेड़ के बारे में कुछ ऐसी बातें कह दी है कि जो उल्टे बांस बरेली जैसी लगती हैं। उन्होंने पूछा है कि गलवान घाटी कांड के और उसके पहले चीन ने जो हमारी जमीन छीनी है, उसके बारे में मोदी चुप क्यों हैं? राहुल को शायद पता नहीं कि उसके परनाना नेहरुजी के जमाने में हमारी लगभग 38 हजार किमी जमीन पर चीन ने कब्जा कर लिया था और 1962 के युद्ध में भारत को भारी शार्मिंदगी उठानी पड़ी थी।

कांग्रेस ने मोदी से तवांग पर सात सवाल पूछे

पिछले पांच-छह दशक के शासन-काल में क्या कांग्रेस पार्टी ने उस जमीन की वापसी के लिए कभी कोई ठोस कोशिश की? राहुल के पिताजी प्रधानमंत्री राजीव गांधी तो चीनी नेताओं से गल-मिलव्वल के लिए 1988 में चीन भी पहुंच गए थे। कांग्रेस ने मोदी से तवांग पर सात सवाल पूछे हैं, उनमें से कुछ तो बिल्कुल सही हैं, जो विरोधी दलों को उठाना ही चाहिए लेकिन ये सवाल जिस तरह से पूछे गए हैं, वे भारत के राष्ट्रहितों का अहित तो करते ही हैं और बहादुर फौजियों का मनोबल भी गिराते हैं। कांग्रेस की राजीव गांधी फाउंडेशन का चीन से जो लेन-देन रहा है, वह भी इन बयानों से बराबर उजागर होता है। इसीलिए बिलावल भुट्टो और राहुल गांधी, जैसे युवा नेताओं को इस तरह के विवादास्पद बयान देते समय कुछ अनुभवी सलाहकारों से परामर्श जरुर कर लेना चाहिए।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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