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सुभाष बाबू की याद ! वाह !!

इस बार 23 जनवरी को भी जोड़कर गणतंत्र दिवस को चार-दिवसीय बना दिया गया है। 23 जनवरी इसलिए कि यह सुभाषचंद्र बोस का जन्म दिवस होता है।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Monika
Published on: 17 Jan 2022 8:56 AM GMT
subhash chandra bose
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सुभाषचंद्र बोस (फोटो : सोशल मीडिया ) 

हमारे गणतंत्र दिवस पर यू तो सरकारें तीन दिन का उत्सव मनाती रही हैं लेकिन इस बार 23 जनवरी को भी जोड़कर इस उत्सव को चार-दिवसीय बना दिया गया है। 23 जनवरी इसलिए कि यह सुभाषचंद्र बोस का जन्म दिवस होता है। सुभाष-जयंती पर इससे बढ़िया श्रद्धांजलि उनको क्या हो सकती है? भारत के स्वातंत्र्य-संग्राम में जिन दो महापुरुषों के नाम सबसे अग्रणी हैं, वे हैं— महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस।

1938 में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में गांधी और नेहरु के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारम्मय्या को सुभाष बाबू ने हराकर इतिहास कायम किया था। वे मानते थे कि भारत से अंग्रेजों को बेदखल करने के लिए फौजी कार्रवाई भी जरुरी है। उन्होंने जापान जाकर आजाद हिंद फौज का निर्माण किया, जिसमें भारत के हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख और सभी जातियों के लोग शामिल थे। उस फौज के कई अफसरों और सिपाहियों से पिछले 65-70 साल में मेरा कई बार संपर्क हुआ हैं। उनका राष्ट्रप्रेम और त्याग अद्भुत रहा है। कई मामलों में गांधीजी के अहिंसक सत्याग्रहियों से भी ज्यादा! मैं सोचता हूं कि यदि सुभाष बाबू 1945 की हवाई दुर्घटना में बच जाते और आजादी के बाद भारत आ जाते तो जवाहरलाल नेहरु का प्रधानमंत्री बने रहना काफी मुश्किल में पड़ जाता। लेकिन नेहरु का बड़प्पन देखिए कि अब से 65 साल पहले वे सुभाष बाबू की बेटी अनिता शेंकल को लगातार 6000 रु. प्रतिवर्ष भिजवाते रहे, जो कि आज के हिसाब से लाखों रु. होता है। इंदिरा गांधी ने सुभाष बाबू के सम्मान में डाक-टिकिट जारी किया, फिल्म बनवाई, राष्ट्रीय छुट्टी रखी, कई सड़कों और भवनों के नाम उन पर रखे।

'हिंदू गूजर' नामक मोहल्ला

1969 में जब इंदिराजी काबुल गईं तो मेरे अनुरोध पर उन्होंने 'हिंदू गूजर' नामक मोहल्ले के उस कमरे में जाना स्वीकार किया, जिसमें सुभाष बाबू छद्म वेष में रहा करते थे लेकिन अफगान विदेश मंत्री डाॅ. खान फरहादी ने मुझसे कहा कि इंदिराजी को वहां नहीं जाने की सलाह हमने भेजी है, क्योंकि वह जगह सुरक्षित और स्वच्छ नहीं है। जो भी हो, मैंने काबुल के उस कमरे में एक छोटा-सा उत्सव-जैसा करके सुभाष बाबू का चित्र प्रतिष्ठित कर दिया था। मैं अब भाई नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं कि उन्होंने सुभाष बाबू के जन्म-दिवस को मनाने का इतना सुंदर प्रबंध कर दिया है। मैं तो उनसे अनुरोध करता हूं कि सुभाष बाबू वियना (आस्ट्रिया) और जापान में जहां भी रहते थे, उन स्थानों को वे स्मारक का रुप देने का कष्ट करें और वह पत्र भी पढ़ें, जो 24 जनवरी 1938 को महान स्वातंत्र्य-सेनानी रासबिहारी बोस ने सुभाष बाबू को लिखा था, ''अगली महत्वपूर्ण बात है, हिंदुओं को संगठित करना! भारत के मुसलमान वास्तव में हिंदू ही हैं।... उनकी धार्मिक प्रवृत्तियां और रीति-रिवाज तुर्की, ईरान और अफगानिस्तान के मुसलमानों से अलग हैं। हिंदुत्व में बड़ा लचीलापन है।''

(डॉ वैदिक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं)

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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