×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Amitabh Bachchan Birthday: कौन होगा अमिताभ बच्चन से बड़ा हिन्दी सेवी

Amitabh Bachchan Birthday: अमिताभ बच्चन वर्तमान में विश्व के सबसे बड़े हिन्दी सेवी हैं। अमिताभ बच्चन ने यह मुकाम अपनी पांच दशक लंबी अभिनय यात्रा से अर्जित किया है।

RK Sinha
Written By RK Sinha
Published on: 11 Oct 2022 9:50 PM IST
Amitabh Bachchan
X

Amitabh Bachchan(Image Credit-Social Media)

Amitabh Bachchan Birthday: अमिताभ बच्चन आज के दिन सारे देश को जोड़ते हैं। उनकी लोकप्रियता धर्म, जाति, भाषा की दीवारों को लांघ चुकी है। सच मानें तो वे कालजयी हो चुके हैं। उनकी अदाकारी अत्यंत ही स्वाभाविक है। उनकी शख्सियत बेहद ही गरिमामयी है। उनकी निरंतर काम करने की जिजिविषा अकल्पनीय है। वे लगातार आधी सदी से फिल्म और टेलीविजन के पर्दे पर सक्रिय हैं। उन्होंने अपने करोड़ों चाहने वालों को आनंद के न जाने कितने अविस्मरणीय पल दिए हैं। वे 11 अक्तूबर को अपने सक्रिय जीवन के 80 सालों का सफर पूरा कर रहे हैं।

अमिताभ बच्चन की बेहद खास फिल्में

अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर उनकी फिल्मों का उत्सव कुछ दिन पहले से ही शुरू हो गया था। इसमें बिग बी की सुपरहिट 11 फिल्मों को देश भर के 17 शहरों में 22 स्क्रीनों पर दिखाया गया। उनकी बेहद खास फिल्में जैसे दीवार, जंजीर, डॉन, कालिया वगैरह दिखाई गईं। पर यह कोई बड़ी खबर नहीं है। खबर यह है कि इन्हें देखने के लिए दर्शक फिर से लाइनें लगाकर टिकटें खरीदते रहे। जो दर्शक अन्य कलाकारों की बड़ी से बड़ी फिल्मों को देखने को लेकर कतई उत्साह नहीं दिखा रहे, वे अमिताभ बच्चन की फिल्मों को फिर से देखने के लिए स्वाभाविक रूप से भीड़ लगाकर सामने आ गए।

पांच दशक लंबी अभिनय यात्रा से अर्जित किया अमिताभ बच्चन ने ये मुकाम

अमिताभ बच्चन ने यह मुकाम अपनी पांच दशक लंबी अभिनय यात्रा से अर्जित किया है, जिसमें उन्होंने अपनी उम्र के अनुकूल हर तरह के चरित्रों का चयन किया ऒर उन्हें पर्दे पर अपने अभिनय से जीवंत बनाया। उन्होंने बढ़ती उम्र को नजरअंदाज करते हुए भी छैल-छबीला नायक बने रहने की जिद वाली परंपरा से इतर राह पकड़ी और फिल्मी दुनिया के लेखकों ऒर निर्देशकों ने उनके लिये लीक से हटकर उम्रदराज नायक वाले चरित्र भी गढ़े । इन चरित्रों के जरिए अमिताभ अभिनय कला के नये प्रतिमान स्थापित करते गये। उनकी ऊर्जा अभी भी उछाल मार रही है इसलिए तमाम संभावनाएं भी खुली हुई हैं।

सारे देश की चाहत है कि भारतीय फिल्मों को वह आगे भी लंबे समय तक समृद्ध करते रहें। जैसा कि हर एक के साथ होता है, उन्हें कुछेक नापसंद करने वाले भी हैं जो उनके राजनीतिक तथा फिल्मी पड़ावों की पड़ताल करने में अनावश्यक रूप से जुटे रहते हैं I लेकिन, सौ बात की एक बात यह है कि अमिताभ बच्चन को करोड़ों दर्शक दिल से चाहते हैं। उनकी लोकप्रियता को देश ने 1982 में ही जान लिया था जब वे कुली फिल्म की शूटिंग के समय गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

कुली का एक एक्शन सीन अमिताभ बच्चन और पुनीत इस्सर पर फिल्माया जा रहा था। इस दौरान एक जबरदस्त मुक्का गलती से अमिताभ बच्चन के पेट पर जा लगा और वे बुरी तरह से घायल हो गए थे। अमिताभ को तुरंत अस्पताल भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी मल्टिपल सर्जरी भी की थीं। अमिताभ बच्चन के इलाज के दौरान एक मौक़ा ऐसा भी आया जब दवाइयों ने उनके शरीर पर रिएक्ट करना ही छोड़ दिया था। उस दौर में सारा देश मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों तथा गुरुद्वारों में उनके स्वस्थ होने की ऊपर वाले से भीख मांग रहा था। कोविड काल के समय अमिताभ बच्चन कोविड पॉजिटिव पाए जाने की खबरों के आते ही सारे देश में उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थनाएं चालू हो गईं थीं। यानी वे पहले की ही तरह से पसंद किए जा रहे हैं।

अमिताभ बच्चन की पूरी शख्सियत में नकारात्मकता कतई नहीं

अमिताभ बच्चन की पूरी शख्सियत में नकारात्मकता कतई नहीं है। वे अपने आलोचकों की बक-बक का उत्तर नहीं देते। स्वर्गीय अमर सिंह उन पर बार-बार निशाना साधते थे कि उन्होंने बुरे वक्त में बिग का बहुत साथ दिया पर उन्होंने उनका (अमर सिंह) संकट में साथ नहीं दिया। अमिताभ बच्चन इन तमाम आरोपों पर निर्विकार रहे। उन्होंने कभी जवाब देना जरूरी तक नहीं माना। कई परम ज्ञानी उन्हें ज्ञान देते रहते हैं कि वे तमाम उत्पादों का विज्ञापन पैसा कमाने के लिए करते हैं। इन महान ज्ञानियों से कोई पूछे कि उन्हें अमिताभ बच्चन के लगातार काम करने से उन्हें इतनी दिक्कत क्यों हैं। क्या इसलिए क्योंकि उन्हें कोई घास नहीं डालता?

अमिताभ बच्चन ने इस साल के आरंभ में ही राजधानी के पॉश गुलमोहर पार्क में अपने माता- पिता के बनाये घर 'सोपान' को बेचा। तब भी बहुत से ज्ञानी सामने आ गये। प्रवचन देने लगे कि उन्हें अपने माता-पिता के घर को लाइब्रेरी में तब्दील करवा देना चाहिए था। जो लोग कभी किताब पढ़ते नहीं हैं वे भी उन्हें मुफ्त में किताब पढ़ने का ज्ञान दे रहे हैं।

उन्हें जानने वाले जानते हैं कि वे एहसानो को याद रखते हैं। वे अपने दिल्ली यूनिवर्सिर्टी के किरोड़ीमल कॉलेज के दिनों के गुरु फ्रेंक ठाकुर दास के प्रति बार-बार आभार व्यक्त करते हैं। किरोड़ीमल कॉलेज में कुछ साल पहले फ्रेंक ठाकुर दास के नाम पर एक सभागार का निर्माण हो रहा था। तब अमिताभ बच्चन ने 51 लाख रूपये की सहयोग राशि दी थी। फ्रेंक ठाकुर दास ने अमिताभ बच्चन को किरोड़ीमल कॉलेज की ड्रामा सोसायटी से जोड़ा था। उन्होंने अमिताभ बच्चन को रंगमंच की बारीकियों से साक्षात्कार करवाया था। फ्रेंक ठाकुर दास पंजाबी ईसाई थे। उन्होंने अपने किरोड़ीमल कॉलेज में ड्रामा सोसायटी की स्थापना की थी। अमिताभ बच्चन ने 1962 में अपने कॉलेज को छोड दिया था। इतना लंबा अरसा बीतने के बाद भी वे अपने रंगमंच के गुरु को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं। क्या ये कोई सामान्य बात है।

अमिताभ बच्चन को इन देशों में किया जाता पसंद

अमिताभ बच्चन को अमेरिका, ब्रिटेन, मिस्र, जॉर्डन, सउदी अरब, मलेशिया, समूचे अफ्रीका आदि तमाम देशों में पसंद किया जाता है। मैं साल 2006 में मिस्र की राजधानी काहिरा गया था। वहां पर मुझसे करीब एक दर्जन लोगों ने अमिताभ बच्चन के बारे में पूछा जब उन्हें पता चला कि मैं भारत से हूं। मेरी एक महिला गाइड अजीब सी बात कहने लगी कि वह और उसकी मां अमिताभ बच्चन से एक साथ शादी करने के लिए भी तैयार हैं। मैंने किसी फिल्मी कलाकार के लिए इस तरह का जुनून नहीं देखा।

अमिताभ बच्चन वर्तमान में विश्व के सबसे बड़े हिन्दी सेवी

अमिताभ बच्चन वर्तमान में विश्व के सबसे बड़े हिन्दी सेवी हैं। पर दुर्भाग्य देखें कि जब उन्हें भोपाल में हुए आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आमंत्रित किया गया तो कुछ हिन्दी के तथाकथित मठाधीश शोर करने लगे। शोर वे मचा रहे थे, जिनकी एक किताब की 100 प्रतियां भी जिंदगी भर में नहीं बिक पाती हैं।

आप अमिताभ बच्चन को कहीं भी सुन लें। समझ आ जाएगा कि वे अपनी भाषा को लेकर कितने गंभीर रहते हैं। वे कभी हल्की भाषा नहीं बोलते। जबकि उनके अनेक समकालीन और मौजूदा सितारे सही से दो वाक्य भी हिन्दी के बोल नहीं पाते। अमिताभ बच्चन छोटे परदे के सबसे बड़े और लोकप्रिय कार्यक्रम "कौन बनेगा करोड़पति" कार्यक्रम में भी मानक हिन्दी ही बोलते हैं। उनके किसी भी शब्द का उच्चारण कभी भ्रष्ट नहीं होता। भाषा पर इस तरह का महारत हासिल करने के लिए निरंतर अभ्यास करना होता है। यह सब उन्होंने करके एक बड़ी लकीर खींच दी है। पूरी दुनिया में बसे उनके करोड़ों चाहने वालों की चाहत है कि वे आगे भी कई दशकों तक सक्रिय रहें।



\
Deepak Kumar

Deepak Kumar

Next Story