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Russia Ukraine War : यूक्रेन में अब क्या होगा?
Russia Ukraine War : रूसी गुप्त दस्तावेज के अचानक प्रगट हो जाने से पता चला है कि रूस का युद्ध 15 दिन तक चलने वाला है। रूस की सीमा से लगे कुछ शहरों पर रूसी फौजों का कब्जा हो चुका है।
Russia Ukraine War : यूक्रेन से भारत के छात्रों की वापसी हो रही है, यह संतोष का विषय है लेकिन वहां चल रहा युद्ध बंद नहीं हो रहा है, यह अफसोस की बात है। एक रूसी गुप्त दस्तावेज के अचानक प्रगट हो जाने से पता चला है कि रूस का युद्ध 15 दिन तक चलनेवाला है। यदि यह अगले 6-7 दिन और चल गया तो यूक्रेन के अन्य शहर भी तबाह हो जाएंगे। यूक्रेन के एक परमाणु संयंत्र पर भी रूस ने हमला बोल दिया है।
बड़े-बड़े भवन हवाई हमलों में ध्वस्त
रूस की सीमा से लगे कुछ शहरों पर तो रूसी फौजों का कब्जा हो चुका है। वहां के नागरिक बिजली-पानी, दवा-दारू और खाने-पीने के मोहताज हो रहे हैं। कई बड़े-बड़े भवन हवाई हमलों में ध्वस्त हो चुके हैं। दस लाख से ज्यादा लोग भागकर पड़ौसी देशों में शरणागत हो गए हैं। भारत के तीन-हजार छात्र अभी भी कुछ शहरों में फंसे हुए हैं।
उन्हें यह चिंता भी है कि भारत लौटने पर उनकी मेडिकल की पढ़ाई का क्या होगा? जो पैसे उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई पर यूक्रेन में अब तक खर्च किए हैं, वे क्या डूबतखाते में चले जाएंगे? भारत में उनकी मेडिकल पढ़ाई का भारी खर्च कौन उठाएगा? भारत सरकार उनकी इस समस्या का भी हल निकालने में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरु करने की बात भी कही है।
रूस उन्हें या तो गिरफ्तार कर लेगा या मार डालेगा
इस कुप्रचार का खंडन रूस और यूक्रेन दोनों ने किया है कि दोनों देशों की सेनाएं भारतीय छात्रों को अपना कवच बना रही हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति झेलेंस्की पूरा खतरा डटकर झेल रहे हैं। वे डटे हुए हैं। झुक नहीं रहे हैं। वाग्बाण भी छोड़ रहे हैं। ऐसा लगता है कि रूस उन्हें या तो गिरफ्तार कर लेगा या मार डालेगा। यूक्रेन को नाटो देश काफी आक्रामक प्रक्षेपास्त्र भी दे रहे हैं लेकिन उन्होंने यूक्रेन को अपने हाल पर छोड़ दिया है।
अमेरिकी सीनेट में उसके कुछ सदस्य भारत के पक्ष में और कुछ विपक्ष में भी बोल रहे हैं। चौगुटे (क्वाड) की बैठक में भी भारत अपने रवैए पर कायम रहा। ऐसा लगता है कि भारत की तटस्थता को रूस और अमेरिका, दोनों ठीक से समझ रहे हैं। कोई तटस्थ राष्ट्र ही अच्छा मध्यस्थ बन सकता है। हमारी सरकार अपने छात्रों को लौटा लाने का तो अच्छा प्रयत्न कर रही है लेकिन इस अवसर पर देश के पक्ष या विपक्ष में कोई अनुभवी और बुद्धिमान नेता होता तो भारत की भूमिका अद्वितीय हो सकती थी।
यह सुखद संयोग है कि यूक्रेन के मसले पर भारत के पक्ष और विपक्ष में सर्वसम्मति है। यूक्रेन-संकट के बाद विश्व राजनीति जो शक्ल लेगी, उसमें भारत की भूमिका क्या होगी, इसकी चिंता हमें अभी से करनी होगी।