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मंत्रियों की बर्खास्तगी से CM अखिलेश का संदेश, विरोधियों के साथ वह नहीं हैं मुलायम

ये सच है कि सपा को इतनी बड़ी पार्टी बनाने में मुलायम और शिवपाल के योगदान को नकारा नहीं जा सकता लेकिन ये भी इतना ही सच है कि सपा का युवा आज पूरी तरह से अखिलेश के साथ खड़ा है। युवा किसी भी पार्टी की जान होते हैं और पार्टी की जान तो अभी अखिलेश के साथ है।

zafar
Published on: 23 Oct 2016 8:04 AM GMT
मंत्रियों की बर्खास्तगी से CM अखिलेश का संदेश, विरोधियों के साथ वह नहीं हैं मुलायम
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vinod kapoor Vinod Kapoor

लखनऊ: देश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे वाली समाजवादी पार्टी ने रविवार 23 अक्तूबर को संभवत: विभाजन की तरफ एक कदम और बढ़ा दिया ।हमेशा एक साथ रहने वाले इस परिवार में पिछले डेढ़ महीने से दो धड़े बन गए थे और दोनों ओर से शह और मात का खेल चल रहा था ।लेकिन पिछले दो दिन से जो राजनीतिक घटनाचक्र चला उसने एक बड़े तूफान का संकेत दे दिया।

दोष का ठीकरा

परिवार में जो कुछ चल रहा है उसकी शुरूआत किसने की ये बात अब बेमानी रह गई है। लेकिन सब कुछ ठीक है इसके संकेत मिलने शुरू हो गये थे।

इस मसले की जड़ में अमर सिंह को रखा गया जो खुद को समाजवादी नहीं बल्कि मुलायमवादी कहते रहे हैं। सीएम अखिलेश यादव भी मानते हैं कि पूरे विवाद की जड़ में अमर सिंह हैं जिन्हें वे कभी अंकल कहा करते थे।

जमीन,किसान ओर मजदूरों की पार्टी कहे जाने वाली समाजवादी पार्टी को अमर सिंह ने अपने सपा में पूर्व के कार्यकाल में कारपोरेट लुक दिया था ।उद्योगपति और फिल्म से जुड़े लोगों को सपा से जोड़ा गया। उद्योगपति अनिल अंबानी सपा से सहयोग से राज्यसभा में पहुंचे तो जयाप्रदा रामपुर से दो बार लोकसभा गईं। संजय दत्त भी आए और नफीसा अली भी सपा के टिकट पर चुनाव लड़नें आईं और हारने के बाद चलीं गईं।

सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी में सबकुछ ठीक करने के लिए सीएम अखिलेश यादव को सार्वजनिक रूप से कई बार लताड़ा भी। संभवत: वो ये भूल गए कि मुंडा अब जवान ही नहीं हो गया बल्कि देश के सबसे बड़े राज्य यूपी का सीएम भी है। सार्वजनिक रूप से नसीहत देते हुए उन्हें कम से कम ये सोचना चाहिए था कि वो सीएम को ऐसा कह रहे हैं। आजकल दो बच्चे बंद कमरे में भी अपने पिता की बात को अनसुना कर देते हैं लेकिन यहां तो पूरी बात सार्वजनिक रूप से की गई।

पिता का दर्द

पिता मुलायम सिंह यादव का दर्द इस बात से झलकता है, 'पता नहीं अखिलेश ऐसा कैसे हो गया अब तो वो मेरे फोन भी नहीं उठाता।' जबकि अखिलेश कहते हैं पिछले साढ़े चार साल पिता की बात मान कर ही सरकार चलाई, जब कहा मंत्री को हटा दिया और जब कहा उसे वापस ले लिया लेकिन अब कुछ लोग पार्टी को बर्बाद करना चाहते हैं जिसे वो होने नहीं देंगे।

ये सच है कि सपा को इतनी बड़ी पार्टी बनाने में मुलायम और शिवपाल के योगदान को नकारा नहीं जा सकता लेकिन ये भी इतना ही सच है कि सपा का युवा आज पूरी तरह से अखिलेश के साथ खड़ा है। युवा किसी भी पार्टी की जान होते हैं और पार्टी की जान तो अभी अखिलेश के साथ है।

मुलायम नहीं हुए अखिलेश

अखिलेश कहते हैं कि पार्टी तोड़ने की बात बिल्कुल गलत है। वो ऐसा कभी नहीं होने देंगे। उन्होंने उन पर कार्रवाई की है जो पार्टी को तोड़ना या बर्बाद करना चाहते हैं। अखिलेश ने जयाप्रदा को फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष पद से हटा कर अमर सिंह को साफ संकेत दे दिया कि वो उन्हें या उनके किसी समर्थक को सहन करने के मूड में नहीं हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव समेत छह मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है ।वो साफ करते हें कि 5 नवम्बर से रथयात्रा शुरू करेंगे और 3 नवम्बर को पार्टी के रजत जयंती समारोह में भी हिस्सा लेंगे।

चाचा शिवपाल को हटा कर सीएम अखिलेश ने ये संदेश भी दिया कि पार्टी को बर्बाद करने वालों के साथ वो भी हैं। चल रहे शह और मात के खेल में कई नाम आए जो सामने तो नहीं थे लेकिन पुष्ठभूमि में उनकी भूमिका को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता। इस खेल में मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का नाम भी आता है। अखिलेश समर्थक युवा विधायक ने तो लिखे पत्र में साफ कह दिया कि मुलायम की दूसरी पत्नी कैकेयी की भूमिका में हैं ओर वो शिवपाल को सामने कर पूरा खेल खेल रही हैं।

बैठक में थे जब कुर्सी गई

अखिलेश की विधायकों की बुलाई बैठक में वो मंत्री भी शामिल हुए जिन्हें बर्खास्त किया गया। मसलन बैठक में आए,कुर्सी पर बैठे लेकिन कुर्सी चली गई।

अब भी दोनों ओर से ये कहा जा रहा है कि मिलजुल के रहेंगे और पार्टी नहीं टूटेगी लेकिन अब तो बात, विचार और सोच में विभाजन की खाई इतनी लंबी हो गई है जिसे पाट पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन दिखाई दे रहा है। क्योंकि शिवपाल और अखिलेश के समर्थक विधायक अब पूरी तरह से दो खेमों में हैं। दोनों के रास्ते अब अलग दिखाई दे रहे हैं।

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