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नंबर दो की जगह पाने के लिए समाजवादी पार्टी ने किया चुनावी शंखनाद ?

सपा ने विधानसभा चुनाव के लिए शंखनाद कर दिया है। पूरे उत्साह के साथ जोरदार दावा किया है कि 2022 में फिर उनकी वापसी होगी।

Mrityunjay Dixit
Written By Mrityunjay DixitPublished By Ashiki
Published on: 12 April 2021 5:05 PM IST
akhilesh yadav
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अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए शंखनाद कर दिया है और पूरे उत्साह व जोश के साथ जोरदार दावा किया है कि 2022 में एक बार फिर उनकी वापसी होगी। लेकिन यह क्या इतनी आसानी से संभव होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन फिलहाल सपा नेेता अखिलेष यादव ने पूरी ताकत झोंक दी है। वह दूसरे दलों के नेताओं को सपा में काफी तेजी के साथ शामिल कर रहे हैं। जिसमें कई छोटे दलोें का सपा में समावेश हो चुका है या फिर सपा के साथ चुनावी तालमेल करना चाह रहे हैं।

अखिलेश यादव की नजर बसपा और कांग्रेस के कई धुरंधरों पर भी है तथा प्रतिदिन वह इन दलों के नेताओं को सपा में शामिल कर रहे हैं। अपनी चुनावी तैयारी में समाजवादी पार्टी ने अपना थीम सांग भी जारी कर दिया है और सपा नेता का कहना है कि इस बार सोषल मीडिया में भी जमकर युद्ध होगा। सपा नेता कुछ-कुछ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के चुनावी प्रबंध कौशल की नकल उतारकर ही अपनी तैयारी को अंजाम दे रहे हैं और 2022 के लिए सपना बुन रहे हैं। बहरहाल प्रदेश भाजपा ने भले ही सपा को सपना बुनने वाली पार्टी कहा हो अब वह भी काफी सतर्क हो गयी है। पश्चिमी उप्र में किसानों की महापंचायत से बीजेपी पहले से ही टेंशन में आ गयी है, लेकिन अब वह भी पलटवार करने की तैयारी में जुट गयी है।

समाजवादी नेता आगामी विधानसभा चुनावाों को लेकर दोेतरफा तैयाारी कर रह हैं। सपा अपना उदारवादी हिंदू चेहरा दिखाकर समाज में सभी वर्गों में अपनी पैठ दिखाना चाह रही है लेकिन जब से अखिलेश यादव ने अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए चल रहे समर्पण निधि अभियान के लिए चंदीजीवी शब्द का उपयोग किया है तब से उनकी हिंदू विरोधी छवि और मानकसिकता एक बार फिर उजागर हो गयी है। सपा नेता आजकल प्रतिदिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी सरकार की छवि को बदनाम करने के लिए झूठ पर आधारित बयानबाजी कर रहे हैं।

जिससे प्रदेश सरकार की छवि तो खराब नहीं हो रही अपितु प्रदेष के समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग उनकी बातों को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। समाजवादी पार्टी का मूल आधार मुस्लिम तुष्टिकरण था, है और रहेगा। सपा नेता अखिलेश यादव को वर्ष 2022 में केवल भाजपा से ही नहीं निपटना है अपितु उनका मुकाबला बसपा , कांग्रेस और सहयोगी दलों तथा ओवैसी- राजभर और चाचा षिवपाल के बीच जो छोटे दलों का गठजोड़ होने जा रहा है, उससे भी होने जा रहा है। यही कारण है आजकल सपा नेता अपने आप को मुसलमानोें का हितैषी साबित करने में भी एक बार फिर से जुट गये हैं।

जब आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष व सांसद असदुदीन ओवैसी ने उप्र में विधानसभा चुनाव लडने का ऐलान किया था तभी सपा नेता अखिलेश यादव के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखलायी पड़ रही थी। तब सपा नेता का बयान भी आया था कि ओवैसी की प्रदेश में इंट्री बीजेपी की गहरी साजिश है। सपा को ओवैसी से सीधा नुकसान होने की संभावना बनती दिखलायी पड़ रही है।

वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा भी पूरी तरह से चुनावी मैदान में कूद पड़ी हैं। प्रियंका की प्रदेश में लगातार बढ़ रही सक्रियता से भी अगर मुस्लिम मतोें का विभाजन होता है तो इसका लाभ बीजेपी को ही होगा। किसान महापंचायतोें की आढ़ लेकर यह सभी दल बीजेपी पर बढ़त बनाना चाह रहे हैं। इसमें आम आदमी पार्टी और चंद्रशेखर आजाद भी अपनी भीम आर्मी के साथ चुनावी मैदान में उतरकर सपा की ही समस्या को बढ़ाने वाले है। फिर अभी आगामी विधानसभा चुनावों में पूरा एक साल का समय शेष है तथा इस काल अवधि में कई घटनायें घटित होने का इंतजार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित षाह तथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नडडा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर एक नयी रणनीति पर काम करेंगे और यूपी को फिलहाल इतनी आसानी से बीजेपी छोड़ने वाली नहीं है।

यही कारण है कि समाजवादी नेता अखिलेश यादव बीजेपी सरकार की छवि को बदनाम करने के लिए विकृत मानसिकता का शिकार होकर विकृत बयानबाजी कर रहे हैं। जिस दल में संविधान नाम की कोई चीज नहीं है वह नेता बीजेपी को संविधान का सम्मान करने की दुहाई दे रहे हैं। बीजेपी को रोज सबसे झूठी पार्टी कह कर कोस कर रहे है। जबकि वास्तविकता यह है कि सबसे अधिक झूठ बोलने का काम समाजवादी नेता अखिलेश यादव कर रहे हैं। सपा नेता अपनी सरकार के काले कारनामों को पुूरी तरह से भूल चुके हैं।

सपा नेता को उनकी सरकार के काले कारनामे याद करने का समय आ गया है। समाजवादी नेता अयोध्या के लिए कहते हैं कि 2022 में सपा सरकार बनने पर अयोध्या नगर निगम में टैक्स समाप्त कर दिया जायेगा। उनकी सरकार ऐसा काम करेगी जिससे अयोध्या में 365 दिन दिवाली मनाई जाये। जिन किसानों की भूमि अधिग्रहीत की जा रही है उन्हें सर्किल रेट से छह गुना मुआवजा देने की बात कह रहे है। यह वही सपा नेता हैं जिनके पिता मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में रामभक्तों के साथ खून की होली खेली खेली थी। यह लोग क्या अयोध्या का विकास करेंगे ?

सपा नेता चित्रकूट धाम भी घूमकर आ गये हैं। वहां पर उन्होंने सभी मंदिरों के दर्शन किये और परिक्रमा की भी करी। उन्होंने वहां के संतों से चित्रकूट के लिए ओर क्या किया जाना है पर भी पूछा। इस प्रकार वह अपनीे उदारवादी हिंदू नेता की छवि को भी जनमानस के बीच दिखाकर जनता के बीच जाना चाह रहे है। लेकिन वह जिस प्रकार से समर्पण निधि अभियान को चंदाजीवी कहकर उसका अपमान कर रहे हैं उससे उनकी छवि बाबरजीवी के ही रूप में उभरकर सामने आ रही है। सपा को मन से यह बात अच्छी नहीं लग रही कि सुप्रीम कोर्ट के आदेष के बाद अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है।

वह मुसलमानो के बीच अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए हिंदू समाज का भी अपमान कर बैठतें है जिसके कारण उनकी छवि सर्वमान्य नेता केे रूप में नहीं बन पा रही है। बहू अपर्णा यादव ने जब समर्पण निधि में अभियान में 11 लाख की धनराषि दी तो वह काफी असहज हो गये हैं। अब वह कह रहे हैं कि बीजेपी ने आपदा में भी अवसर ढूंढ लिया है। सपा नेता अखिलेश यादव आतजंक फैलाने के लिए काम कर रही पीएफआई का विरोध नहीं करते इसके विपरीत वह सीएए के विरोध में हिंसा करने वालों का साथ देते हैं और वादा कर रहे हैं कि जब सपा सरकार आयेगी तब वह सभी को आजाद करा लेगी। यह सब बातें वह मुसलमानों के एक बड़े वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ही कह रहे हैं।

यह बात बिल्कुल सही है कि इस समय समाजवादी नेता केवल अभी से ही सपने बुनने लग गये हैं। समाजवादी दल की राह अगले चुनावों में इतनी आसान भी नहीं रह गयी है। सपा नेता हिंदू विरोधी वेब सीरीज तांडव का भी समर्थन कर रहे थे। सपा नेता हिंदू समाज को अपमानित करने के लिए अवसरों की तलाश में रहते हैं। वर्ष 2020 में सपा ने कोरोना से लेकर प्रदेश की कनून व्यवस्था को लेकर प्रतिदिन भाजपा व प्रदेश सरकार पर हमला बोला लेकिन जमीन पर उसका कोई असर नहीं दिखा। विधानसभा उपचुनावों में समाजवादी पार्टी बड़ी मुश्किल से जौनपुर की मल्हनी सीट सुरक्षित रख पायी। अभी विधानपरिषद के चुनावों में भी वह कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पायी थी। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि समाजवादी पार्टी अपनी जीत का जो ऐलान कर ही है वह केवल अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए और चुनावी मैदान में नंबर दो की जगह पर बने रहने के लिए कर रही है।

समाजवादी पार्टी के पास भाजपा सरकार पर आरोप लगाने के लिये कोई तर्क और तथ्य नहीं रह गये हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को जो विरासत मिली उसका हाल बहुत ही बुरा था इसके विपरीत प्रदेश सरकार ने कोरोना काल में हालातों का बहुत ही अच्छे ढंग से काबू में किया और यूपी सरकार के काम की तारीफ विष्व स्वास्थ्य संगठन भी कर रहा है। प्रदेश के बड़े अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही हो रही है तथा उनके आर्थिक साम्राज्य पर भी कड़े प्रहार किये जा रहे हैं।

कई बड़े माफिया कार्यवाही से बचने के लिए दूसरे राज्यों में भाग रहे हैं। योगी सरकार ने एंटी भू माफिया टास्क फोर्स बनाकर 67 हजार से अधिक भूमि को भू माफिया से मुक्त कराया है। सपा मुखिया आरोप लगाते हैं कि प्रदेश में अपराध बढ रहे हैं यह पूरी तरह से झूठ पर आधारित है। प्रदेश के अधिकांश माफियाओं व बढ़े अपराधियों का सबंध सपा बसपा और कांग्रेस के नेताओें से ही निकल रहा है। मुख्तार अंसारी जैसे लोगों का साथ कौन दे रहा है यह भी प्रदेश की जनता अच्छी तरह से देख रही है। इसलिए यदि एक बार फिर यह कहा जाये कि समाजवादी पार्टी ने आगमी 2022 के लिए जो शंखनाद किया है वह नंबर दो की जगह को बरकरार रखने के लिए ही किया है।



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Ashiki

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