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Sanatan Dharma Kya Hai: एक अनुभव की गई परंपरा का नाम है सनातन
Sanatan Dharma Kya Hai: सनातन का मतलब Eternal होता है। जिसका मतलब हिंदी में शाश्वत होता है। यानी जो हमेशा से था और हमेशा रहेगा
Sanatan Dharma: मैंने बहुत किताबें नहीं पढ़ीं। मेरा ज्ञान परफेक्ट नहीं भी हो सकता। फिर भी मैं अपनी बुद्धि से सनातन के बारे में बताने की कोशिश कर रहा हूं। ये तो सही है कि सनातन का मतलब Eternal होता है। जिसका मतलब हिंदी में शाश्वत होता है। यानी जो हमेशा से था और हमेशा रहेगा।
पहले Non Eternal Religion समझ लें। ऐसा Religion जिसको किसी Son of God ने या किसी देवदूत ने या किसी पैगंबर ने या किसी मसीहा ने हम सब यानी दुनिया को बताया हो। जैसे Jesus Christ या मोहम्मद साहब या कुछ और। इन महामानव ने हमें बताया कि इस मार्ग पर चलना चाहिए। इस मार्ग पर चलना, इन बातों पर विश्वास करना ही तुम्हारा रिलीजन है। और इस मार्ग पर चलने के कारण तुम इस रिलीजन के अनुयाई हो। यही मार्ग श्रेष्ठ है और इसके अलावा दूसरे मार्ग गलत है।
सनातन के बारे में जानिए
अब आप सनातन के बारे में जानिए। सनातन में किसी भी एक व्यक्ति ने रिलीजन का प्रतिपादन नहीं किया। हजारों हजारों वर्षों पूर्व के Scholar (ऋषि परंपरा में पढ़ने वाले शिक्षक और छात्र ) विभिन्न विषयों (इतिहास, भूगोल, खगोल, आध्यात्मिकता, शरीर विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, वास्तुकार और बहुत से विषयों का ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करते थे। उनकी जो Findings होती थी उसे आगे आने वाले Scholars टेस्टिंग करते थे। जो सही मिलता था उसे आगे बढ़ा देते थे। जो गलत लगता था, वो वहीं समाप्त हो जाता था। इसी तरह पीढ़ी दर पीढ़ी और वर्ष दर वर्ष नियमों को पुख्ता करते चलते चले आ रहे हैं।
इन समस्त नियमों को बताने और बनाने वाले कोई एक Scholar नहीं थे। ये तो उन Scholars ने प्रकृति, वातावरण, भूमंडल, ग्रहों, नक्षत्रों, तारों, पृथ्वी, हवा, जल, अग्नि, आकाश, या यूं कहिए अपने सीमित साधनों से असीमित ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास करने पर जो कुछ अध्यात्म Spritual Knowledge की फील्ड मंप प्राप्त किया उस ज्ञान और उस परंपरा को सनातन धर्म कहा।
सभी मानव के लिए है सनातन धर्म
धर्म का अर्थ धारण करना। वो पथ जिसे हमने धारण किया है, जिस पर हम चलते हैं। धर्म मानव के कल्याण के लिए ही प्रतिपादित हुआ है। सभी मानव समान हैं और ये सनातन धर्म सभी मानव के लिए है। जैसे अन्य रिलीजन अपने ईश्वर को GOD, अल्लाह कहते हैं। वैसे सनातन में ईश्वर को भगवान कहते हैं। भगवान पांच अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है। भूमि (पृथ्वी) से भ, गगन (आकाश) से ग, वायु से व, अग्नि से अ और नीर (जल) से न, भ ग व अ न- भगवान।
सनातन यह बताता है कि बिना स्वार्थ के हमें कोई कुछ देता है, या हमारा भला करता है या हमारी मदद करता है- उस व्यक्ति या उस चीज में ईश्वरीय अंश होता है। क्योंकि ये पांच भूमि, गगन, वायु, आकाश, नीर हमारे जीवन के लिए परम आवश्यक हैं। और इनके लिए हमें कुछ देना नहीं पड़ता- ये निस्वार्थ ही हमें प्राप्त हो रहे हैं। इसलिए इन पांचों के सम्मिलित रूप को ही भगवान कहा गया है।
अशोक केसरवानी (लेखक स्तंभकार हैं। ये लेखक के निजी विचार हैं।)