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“के बोले माँ ! तूमि अबले ?”

क्यों भाजपा के हाथों से महाराष्ट्र की सत्ता फिसली ? कब अजीत पवार थके मांदे घर वापस लौटे? कैसे माहभर से तरसते उद्धव ठाकरे ने अंततः कुर्सी हथिया ही ली?

Roshni Khan
Published on: 30 Nov 2019 8:24 AM GMT
“के बोले माँ ! तूमि अबले ?”
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लखनऊ: क्यों भाजपा के हाथों से महाराष्ट्र की सत्ता फिसली ? कब अजीत पवार थके मांदे घर वापस लौटे? कैसे माहभर से तरसते उद्धव ठाकरे ने अंततः कुर्सी हथिया ही ली? जवाब में दावे कई राजनेता ठोंकेंगे, क्योंकि सफलता के बाप कई पैदा हो जाते हैं| यदि कहीं देवेन्द्र फड़नवीस बने रहते ? सभी दावेदार किनारा कर लेते| अकेले अर्थात् अमित शाह लगे रहते| वे भी पस्त हो गए| तिकड़म और चालाकी में अद्वितीय मराठा महाबली शरदचंद्र गोविंदराव पवार भी पिछड़ गये|

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अतः अरब सागर तट पर शिव सेना के जाफरानी परचम लहराने का समूचा श्रेय पवार-परिवार की केवल महिलाओं को ही जाता है | सिवाय सांसद सुप्रिया के, वे सभी इस राजनीति से कोसों दूर रहीं, और हैं भी| इन त्रियाओं में करवा चौथ, छठ, नवरात्रि, वरलक्ष्मी व्रत सभी पर्वों पर दिखनेवाले हठ और लगन का पुंजीभूत भाव पेश आया था? सवाल था परिवार की मर्यादा बचाने का | एक साठ साल का ''भटका बच्चा'' कबीले से छूट गया था, तो उसे पकड़ लाने की मुहिम चली थी| इसमें बुआ को, ताई को, चाची को, बहन को, भाभी को, कुल मिलाकर सारे पवार स्त्रियों को दाद देनी पड़ेगी|

अजीत पवार के पिता अनन्तराव कम उम्र में दुनिया छोड़ गए थे| अनाथ बालक को पाला-पोसा प्रतिभा (शरद) चाची ने| उन्हींने अजीत को संदेसा भिजवाया कि ''सरकारें तो आती-जाती रहती हैं, परिवार सदैव निरंतर और संयुक्त ही रहना चाहिए है|'' मगर उनके पति (शरद) अपने प्रिय भतीजे से सप्ताह भर तक बोले नहीं| गुस्सा पुरुष को शायद अधिक आता है| द्रोह पर क्रोध आना स्वाभाविक था|

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सरोज बुआ, रजनी ताई, मीनाबाई सभी मान-मनौवल में लगे रहे| सोशल मीडिया पर बचपन की ग्रुप फोटो डाली गई एक अपील के साथ; ''वापस आओ| भाजपा को तजो|'' और फिर भतीजा अजीत लौट आया| उनका उप-मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र पाते ही फड़नवीस समझ गए कि बहुमत का एकमात्र सहारा छिटक गया| पवार ने राजनीतिक परिपक्वता दिखायी| अमिताभ अनिलचन्द्र शाह भी समझ गये कि भाजपाई नीड़ से अजीत पवार के उड़ जाने से अब मात्र फूस बची है, सूखी हुई| किसी काम की नहीं| नारी शक्ति की जय हो| कुल विधायकों के बस अठारह फीसद पाने वाली सोनिया गाँधी कोई नया पैंतरा न चलें| उन्हें संतुष्ट हो जाना चाहिए| क्योंकि ठाकरे की हिंदुत्ववाली मशहूर पार्टी अब सोनिया सेना कहलाती है|

Roshni Khan

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