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G20 Summit 2023: भारत की जी-20 अध्यक्षता में श्री अन्न व अन्य प्राचीन, प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में वैश्विक कृषि व पोषण संबंधी उन्नति का मार्ग प्रशस्त
G20 Summit 2023: कृषि कार्य समूह की उपलब्धियां 200 से अधिक प्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयासों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्होंने गत महीनों में देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से लेकर चंडीगढ़ के सुनियोजित शहरी परिदृश्य तक की यात्रा की, फिर पवित्र शहर वाराणसी तक और अंततः मनमोहक मोतियों के शहर, हैदराबाद तक पहुंचे।
G20 Summit 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, भारतीय अध्यक्षता में जी20 का आयोजन समग्र देश को गौरवान्वित कर रहा है। जन-जन को गर्व की अनुभूति है। "अमृतकाल" के युग में प्रवेश करता भारत, विकास और सामाजिक प्रगति की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा के पथ पर आगे बढ़ चुका है। ये पल अविस्मरणीय हैं व देशवासियों के लिए उत्साह का संचार करने वाले हैं। यह सुखद अहसास अपनी सीमाओं से परे तक विस्तृत है, जो वैश्विक विकास के प्रक्षेप पथ के लिए एक मानक स्थापित करता है। इस वृहद आयोजन के दौरान जी20 के कृषि कार्य समूह (एडब्ल्यूजी) की हुई बैठकें भी ऐतिहासिक रही, वहीं जी20 के कृषि मंत्रियों को प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा दिए गए संदेश में यह प्रतिध्वनित हुई: "कृषि में भारत की जी20 प्राथमिकताएं हमारी ‘एक पृथ्वी’ की अवधारणा को पोषित करने, हमारे 'एक परिवार' के भीतर सद्भाव उत्पन्न करने और उज्ज्वल 'एक भविष्य' की आशा देने पर केंद्रित हैं।"
कृषि कार्य समूह की उपलब्धियां 200 से अधिक प्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयासों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्होंने गत महीनों में देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से लेकर चंडीगढ़ के सुनियोजित शहरी परिदृश्य तक की यात्रा की, फिर पवित्र शहर वाराणसी तक और अंततः मनमोहक मोतियों के शहर, हैदराबाद तक पहुंचे।
सतत विकास लक्ष्य-2 (एसडीजी-2) में रेखांकित एक प्रमुख वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य हासिल करने को हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2030 तक शून्य भूख एसडीजी तक पहुंचने में केवल सात वर्ष शेष हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि यह स्थिति वर्ष 2015 से अपरिवर्तित बनी हुई है। कोविड -19 महामारी और जलवायु परिवर्तन के लगातार प्रभाव जैसे कारक वर्ष 2030 में 670 मिलियन लोगों को भूखा बना सकते हैं, ऐसी चुनौती है, लेकिन भारत, अपने जी-20 कृषि कार्य समूह की अध्यक्षता के तहत, इन चुनौतियों का समाधान करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक ऐतिहासिक सहमति बनीं, जिसमें जी-20 के कृषि मंत्रियों ने खाद्य सुरक्षा व पोषण पर डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांतों का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की है।
ये सिद्धांत वैश्विक खाद्य सुरक्षा संकटों के समाधान में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में प्रयासों को सुदृढ़ करने में जी-20 की सामूहिक जिम्मेदारी को प्रदर्शित करते हैं:
• संवेदनशील स्थितियों में देशों और आबादी को मानवीय सहायता की सुविधा प्रदान करना;
• पौष्टिक भोजन की उपलब्धता और पहुंच बढ़ाना और खाद्य सुरक्षा ढांचे को सशक्त करना;
• जलवायु अनुकूल व सतत कृषि और खाद्य प्रणालियों के लिए नीतियां व सहयोग सशक्त करना;
• कृषि और खाद्य मूल्य श्रृंखला में लचीलापन और समावेशिता को मजबूत करना;
• स्वास्थ्य उपागम को बढ़ावा देना;
• नवाचार और डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग में तेजी लाना और
• कृषि में उत्तरदायी सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ाना।
खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करना
भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान की गई प्रत्येक प्रतिबद्धता पर कार्यवाही करने में सबसे आगे रहा है। एक उत्तरदायी वैश्विक खिलाड़ी के रूप में, हमारे देश ने खाद्य संकट और आपात स्थिति का सामना कर रहे देशों को मानवीय खाद्य सहायता में लगातार अपना हाथ आगे बढ़ाया है। यहां तक कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी, भारत ने खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अपने पड़ोसियों और अफ्रीका सहित कई देशों को हजारों मीट्रिक टन गेहूं, चावल, दालों के रूप में खाद्य सहायता प्रदान की।
भारत यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी नागरिक भूखा न सोएं। हमारी 'एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड' पहल लाभार्थियों को देशभर में सब्सिडी के खाद्यान्न निर्बाध प्राप्त करने की अनुमति देती है। वर्ष 2018 में प्रारंभ पोषण अभियान कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। यह कमजोर, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं, शिशुओं, बच्चों और किशोरों को कवर करते हुए जीवनचक्र में पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने का एक अनूठा कार्यक्रम है।
सतत कृषि को बढ़ावा देना
भारत सरकार देश में भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में अल्पकालिक अस्थायी राहत और दीर्घकालिक विकास कार्यों पर समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रही है। सतत कृषि के अपने प्रयास में, हम जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों, सटीक कृषि और जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। कृषि में आपदा व जलवायु सहिष्णुता के लिए हमने अनेक कार्यक्रम कार्यान्वित किए हैं। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का उद्देश्य बाहर से खरीदे गए इनपुट, लागत व कटौती से मुक्ति के लिए खेती की वैकल्पिक प्रणाली को बढ़ावा देना है। इसी प्रकार, परंपरागत कृषि विकास योजना में जैविक उत्पादों के विपणन के लिए राज्यों द्वारा विभिन्न ब्रांड विकसित किए गए हैं। समावेशिता की भावना के साथ, उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने व दुर्गम इलाकों में संपूर्ण मूल्य श्रृंखला विकास का समर्थन करने के लिए वस्तु-विशिष्ट, केंद्रित, प्रमाणित जैविक उत्पादन समूहों को विकसित करने के लिए मिशन लागू किए गए हैं। हमने 1,752 जलवायु-सहिष्णु फसल किस्में विकसित की है व देशभर में प्रत्येक जिले में एक प्रतिनिधि गांव लेकर 151 संवेदनशील जिलों में जलवायु-सहिष्णु गांवों की स्थापना की है, वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों द्वारा दिए गए प्रत्येक प्रीमियम का चार गुना से अधिक दावा प्राप्त हुआ है।
भोजन की हानि और बर्बादी को कम करना
खाद्य सुरक्षा के प्रयासों में, हमें भोजन की हानि व भोजन की बर्बादी जैसे गंभीर मुद्दों का समाधान करना होगा। यहां तक कि हमारे प्राचीन ग्रंथों (तैत्तिरीय उपनिषद्) में भी अन्नीं न परिचक्ष त। तद्व्रतम्
अर्थात- भोजन कभी बर्बाद न करें, क्योंकि यह एक व्रत है, का उल्लेख है। विश्व स्तर पर, अनुमानित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का 14 प्रतिशत भोजन फसल कटाई के दौरान नष्ट हो जाता है व 17 प्रतिशत से अधिक खुदरा व उपभोक्ता स्तर पर बर्बाद हो जाता है, आपूर्ति श्रृंखला में तकनीकी सीमाएं इस समस्या में योगदान करती हैं, अत: उपभोक्ता के दृष्टिकोण से इसके समाधान के लिए भोजन की हानि व बर्बादी से उत्पन्न पारिस्थितिक प्रभाव कम करने के लिए मानव व्यवहार में परिवर्तन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी जी का पर्यावरण के लिए मिशन लाइफ का आह्वान सतत् परिपाटियों को अपनाने और अपशिष्ट को कम करने तथा संसाधनों के संरक्षण के लिए अपने दैनिक जीवन में जागरूक विकल्प तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। सरल जीवन शैली में बदलाव और सचेत उपभोग से उत्पादन प्रणाली पर बोझ डाले बिना भोजन की बर्बादी को कम किया जा सकता है।
छोटी जोत वालों और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना
जी-20 वैश्विक खाद्य उत्पादन में छोटे जोतधारकों के महत्व को पहचानता है। हमारे कृषि परिदृश्य में छोटे-मझौले किसानों की भूमिका से सरकार भली-भांति परिचित है, जिन्हें सशक्त बनाने के लिए हमने 'कृषि सखी' कार्यक्रम शुरू किया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आधुनिक कृषि तकनीकों में प्रशिक्षण व ऋण तक पहुंच प्रदान करता है। हम ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) प्लेटफॉर्म का विस्तार कर रहे हैं ताकि किसानों को उनकी भौगोलिक स्थिति के बावजूद उपज का उचित मूल्य मिल सकें।
नवाचार और प्रौद्योगिकी अपनाना:
जी-20 उत्पादकता और सततता में वृद्धि के लिए कृषि में नई प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देता है। हम कृषि में बदलाव के लिए प्रौद्योगिकी को तेजी से अपना रहे हैं। फसलों के लिए रिमोट सेंसिंग-आधारित उपज अनुमान के लिए यसटेक, मौसम की जानकारी एकत्र करने के लिए विंड्स और बीमा कंपनियों द्वारा पारदर्शी गणना व दावा निपटान के लिए डिजीक्लेम जैसी कुछ पहलें उल्लेखनीय हैं। बेहतर योजना, रणनीति निर्माण और नीति-निर्माण की सुविधा प्रदान करने वाले एक डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एग्रीस्टैक नामक एक फेडरेटेड आर्किटेक्चर भी विकसित किया जा रहा है। हाल ही में, भारत जलवायु-स्मार्ट कृषि के विकास को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा शुरू किए गए जलवायु के लिए कृषि नवाचार मिशन में शामिल हो गया है। इससे खेती में एआई, आईओटी और रिमोट सेंसिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के विकास व इसे अपनाने को बढ़ावा मिलेगा। हम किसानों को रियल टाइम जानकारी व सेवाओं के साथ सशक्त बनाने हेतु इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार करके ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विषमता को दूर करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
युवाओं के नेतृत्व वाले कृषि स्टार्टअप
आज के युवा भारत की कृषि विकास गाथा में शामिल हो रहे है। एक्सेलेरेटर फंड के समर्थन से, युवा उद्यमी देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि-स्टार्टअप स्थापित कर रहे हैं। सामूहिकता की शक्ति का दोहन करने के लिए सरकार, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कृषि-स्टार्टअप, विशेष रूप से डिजिटल कृषि के क्षेत्र में, मुख्यतः ग्लोबल साउथ में सहयोग का अवसर प्रस्तुत करते हैं। विकसित देशों के पास तकनीकी अवसंरचना है, जबकि भारत की शक्ति विशेषज्ञता में निहित है। जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत के कृषि स्टार्टअप्स के प्रदर्शन ने, विशेष रूप से डिजिटल क्षेत्र में निरंतर भागीदारी के लिए अंतरराष्ट्रीय सराहना के साथ ही समर्थन प्राप्त किया है।
श्री अन्न: सुपर फूड को बढ़ावा देना
श्री अन्न (मिलेट्स) की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है, लेकिन जैसे-जैसे बाजार-विपणन ने हमारी पसंद को प्रभावित किया, भोजन के रूप में उनकी मांग कम हो गई, लेकिन वर्तमान संदर्भ में, खाद्य सुरक्षा उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वैश्विक कृषि के विविधीकरण की आवश्यकता है, जिसमें श्री अन्न जैसी फसलों को शामिल करना होगा, जिनका वर्तमान में कम उपयोग किया जाता है, लेकिन विश्व खाद्य आपूर्ति को अधिक सहिष्णु, सतत्-पौष्टिक बनाने के लिए उच्च उत्पादन, खपत क्षमता रखते हैं। हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया गया। इस गति को और तेज करने के लिए भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत एक क्रांतिकारी पहल मिलेट्स (श्री अन्न) और अन्य प्राचीन अनाज अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि) की शुरूआत की गई है। महर्षि पहल भारत के लिए अपार संभावनाएं रखती है, जो सततता और नवाचार को बढ़ावा देते हुए महत्वपूर्ण पोषण और कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। इसका अंतरराष्ट्रीय सहयोग, विशेष रूप से जलवायु-सह्य फसलों पर, भारत व वैश्विक पोषण, खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि दोनों को लाभ पहुंचाता है। दुनियाभर के जाने-माने वैज्ञानिक और नेता इस पहल में रूचि व्यक्त कर रहे हैं, जो भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और वैश्विक कृषि व पोषण संबंधी मुद्दों के समाधान की प्रतिबद्धता को उजागर करता है। महर्षि की पहल खाद्य सुरक्षा, पोषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच एक सतत् और खाद्य-सुरक्षित भविष्य के लिए प्रयास करते हुए आशा और अभिनव समाधान प्रदान करती है, जिसका वैश्विक स्तर पर भी महत्व रहेगा।