कौशल देगा ‘आत्मनिर्भर भारत’ को नई पहचान

आज इसी का परिणाम है कि विभिन्न कौशल संस्थानों में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं ने अपने सामर्थ्य एवं कुशलता का परिचय देते हुए नवाचार के क्षेत्र में अनेक नए प्रयोग किए हैं

Roshni Khan
Published on: 15 Jan 2021 8:47 AM GMT
कौशल देगा ‘आत्मनिर्भर भारत’ को नई पहचान
X
'आत्मनिर्भर भारत' पर महेन्द्र नाथ पाण्डेय का लेख (PC: social media)

Mahendra Nath Pandey

Mahendra Nath Pandey

लखनऊ: किसी भी देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में कौशल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। कौशल एक ऐसा साधना है जिसके द्वारा युवाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है और उद्योगों की मांग के अनुसार कुशल कार्यबल तैयार करके स्किल गैप को आसानी से भरा जा सकता है। कौशल सिर्फ़ एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि उसके साथ-साथ समाज और राष्ट्र को भी आगे बढ़ाता है। सही अर्थों में देखा जाए तो भविष्य में कौशल ही वो साधन होगा जो युवा शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने में उसकी मदद करेगा और विश्व पटल पर उसे एक नई पहचान दिलाएगा। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय राज्य सरकारों, प्रशिक्षण भागीदारों और अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।

ये भी पढ़ें:पत्रकारों के सवाल पर तिलमिला उठे नीतीश कुमार, डीजीपी को लगाया फोन, फिर

जो भविष्य में अन्य छात्रों के लिए प्रेरणादायी साबित होंगे

आज इसी का परिणाम है कि विभिन्न कौशल संस्थानों में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं ने अपने सामर्थ्य एवं कुशलता का परिचय देते हुए नवाचार के क्षेत्र में अनेक नए प्रयोग किए हैं जो भविष्य में अन्य छात्रों के लिए प्रेरणादायी साबित होंगे। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय युवाओं को 21वीं सदी के अनुसार नवीन तकनीकी और गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण भी दे रहा है ताकि देश के सर्वांगीण विकास में युवा अपनी भागीदारी निभाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न को नई दिशा प्रदान कर सके।

बल पर भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाया जा सकता है

हमारे युवाओं में वो सामर्थ्य एवं हुनर है जिसके बल पर भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाया जा सकता है और विश्व पटल पर भारत का नाम सुनहरों अक्षरों में अंकित करवा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2030 तक भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी वर्कफोर्स होने की उम्मीद है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की होगी। इस युवा वर्कफोर्स को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा सकता है ताकि रोजगार के नए अवसरों में तेजी से वृद्धि की जा सके।

हम 21वीं सदी के नए भारत की नींव रख सकते हैं

कौशल के द्वारा ही हम 21वीं सदी के नए भारत की नींव रख सकते हैं। कौशल हमें रोजगार के अनेक अवसर प्रदान करता है साथ ही स्व-रोजगार के लिए भी प्रेरित करता है। कौशल में वो शक्ति है जिसके द्वारा हम भारत को नई ऊंचाईयों तक पहुंचा सकते हैं। कौशल के द्वारा युवा अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को प्रासंगिक रहने के लिए, ''स्किल, अपस्किल और रीस्किल'' का मंत्र दिया था। इस मंत्र का उपयोग कर युवा दूसरों से हटकर अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं।

वित्त-वर्ष 2020-21 के दौरान आठ लाख उम्मीद्वारों को प्रशिक्षित करना है

युवाओं को नई-नई तकनीकों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने और जिला स्तर पर आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 'प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0' को अक्टूबर / नवंबर 2020 में कुछ अहम दिशानिर्देशों के साथ लॉन्च किया गया है। इस योजना का लक्ष्य वित्त-वर्ष 2020-21 के दौरान आठ लाख उम्मीद्वारों को प्रशिक्षित करना है। यह मांग और उद्योगों पर आधारित एक ऐसी योजना होगी जो न्यू एज़ स्किल्स पर काम करेगी और जिला स्तर पर युवाओं को सशक्त बनाएगी। इस योजना के अंतर्गत जिला स्तर पर उद्योगों एवं अन्य क्षेत्रों की मांग के आधार पर जॉब रोल्स की पहचान की जाएगी। इसके साथ-साथ डिजिटल प्रौद्योगिकी, डिजिटल विनिर्माण, मांग-संचालित कौशल विकास और उद्योग 4.0 से संबंधित कौशल विकास पर ज्यादा फोकस किया जाएगा।

स्थानीय स्तर पर स्किल्स की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 के अंतर्गत जिला स्तर पर 'जिला कौशल समितियों' (डीएससी) का गठन किया जाएगा। जिला कौशल समितियाँ उद्योगों की मांग के अनुसार स्थानीय स्तर पर स्किल्स की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इसके साथ डीएससी विभिन्न स्थानों पर कौशल मेलों का भी आयोजन करेंगी जिसमें युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और पाठ्यक्रमों के बारे में अवगत कराया जाएगा। इसके अलावा, डीएससी सभी उम्मीदवारों को प्लेसमेंट, स्वरोजगार और शिक्षुता के समान अवसर प्रदान करने में भी अपनी भागीदारी निभाएगी। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय का उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों में जिला स्तर पर जिला कौशल समितियों को मजबूत एवं सशक्त बनाना है ताकि युवाओं की मांग के अनुसार उन्हें कुशल बनाया जा सके।

स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को प्रमाणित किया जाएगा

पीएमकेवीवाई 3.0 योजना के अंतर्गत संकल्प प्रोजेक्ट के द्वारा स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को प्रमाणित किया जाएगा और बड़े स्तर पर उन्हें स्थाई आजीविका के अवसर प्रदान किए जाएंगे। पीएमकेवीवाई 3.0 योजना में राज्य कौशल विकास मिशन (एसएसडीएस) की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ऐसे कई राज्य हैं जहाँ एसएसडीएस के द्वारा कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए जिला समितियाँ बनाई है ताकि अधिक से अधिक उम्मीदवारों का कौशल विकास किया जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में 'स्किल इंडिया मिशन' की शुरूआत की थी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में 'स्किल इंडिया मिशन' की शुरूआत की थी। इस मिशन का उद्देश्य युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के स्थाई अवसर प्रदान करना था। आज इस मिशन के द्वारा प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक युवाओं का कौशल विकास किया जा रहा है। इसके अलावा, हमारी फ्लैगशिप योजना 'प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना' के द्वारा युवाओं को नवीन तकनीकों पर आधारित कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

पीएमकेवीवाई के अंतर्गत अब तक एक करोड़ से अधिक युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जा चुका है और लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय निरंतर प्रशिक्षण भागीदारों के साथ मिलकर काम रहा है। आज देश भर में 700 से अधिक जिलों में 26,000 से अधिक प्रशिक्षण केन्द्रों का एक मजबूत नेटवर्क स्थापित किया गया है। जहाँ पर युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

एक अनुमान के मुताबित भारत में 487 मिलियन श्रमिक हैं

एक अनुमान के मुताबित भारत में 487 मिलियन श्रमिक हैं। आज भी हमारे देश में ऐसे श्रमिकों की संख्या अधिक है जो अपने काम में निपुण तो होते हैं लेकिन प्रमाणित नहीं होते हैं। इसीलिए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ‘स्किल इंडिया मिशन’ के अंतर्गत संकल्प प्रोजेक्ट के द्वारा ऐसे श्रमिकों को प्रमाणित कर रहा है ताकि उन्हें भविष्य में बेहतर रोजगार के अवसर मिल सके। इसके साथ भविष्य के कौशल निर्माण के लिए भी श्रमिकों को तैयार किया जा रहा है ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

बाजार में उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने में उनकी मदद करता है

हमारी महत्वपूर्ण पहलों में से एक आरपीएल (रिकगनाइजेशन ऑफ़ प्रायर लर्निंग) के द्वारा भी श्रमिकों के हुनर को एक अलग पहचान मिल रही है। हाल ही में एनएसडीसी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, आरपीएल प्रमाणीकरण के बाद लगभग 47% लोगों ने स्वीकार किया है कि उनकी आय में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जिन उम्मीदवारों ने आरपीएल में प्रशिक्षण प्राप्त किया है उनमें से 59% उम्मीदवार ने स्वीकार किया है कि आरपीएल उनके कौशल को सशक्त बनाता है और बाजार में उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने में उनकी मदद करता है।

ये भी पढ़ें:वार्ता रहेगी बेनतीजा, तय है ट्रैक्टर रैली- एक तरफ जवान, दूसरी तरफ किसान

कौशल विकास और उद्मयशीलता मंत्रालय का उद्देश्य जिला स्तर पर अधिक से अधिक उम्मीदवारों को पीएमकेवीवाई 3.0 योजना के साथ जोड़ना है ताकि युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के स्थाई अवसर प्रदान किए जा सके। देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए हम संकल्पबद्ध है। हम एक ऐसे नए भारत के निर्माण की ओर अग्रसर हैं जिसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नाम से पहचाना जाएगा।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story