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कही अनकहीः ममता ट्रस्ट, राजीव, राजनाथ जी व मेरा सम्मान

बात है कुछ दिन पहले कि जब राजीव मिश्रा जी ने फ़ोन करके कहा कि वह एक कार्यक्रम में हमें सम्मानित करना चाहते हैं, तब चाह कर भी मैं उन्हें मना नहीं कर पाया। क्योंकि मेरा व राजीव का रिश्ता मना करने का है ही नहीं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Vidushi Mishra
Published on: 14 Nov 2021 3:30 PM GMT (Updated on: 17 Nov 2021 2:45 PM GMT)
कही अनकहीः ममता ट्रस्ट, राजीव, राजनाथ जी व मेरा सम्मान
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कुछ दिन पहले जब राजीव मिश्रा जी ने फ़ोन करके कहा कि वह एक कार्यक्रम में हमें सम्मानित करना चाहते हैं, तब चाह कर भी मैं उन्हें मना नहीं कर पाया। क्योंकि मेरा व राजीव का रिश्ता मना करने का है ही नहीं। हम दोनों को केवल एक दूसरे के साथ हाँ करना है। रिश्ता बना चाहे जैसे हो पर आज जिस मुक़ाम पर पहुँचा है, वह हाँ वाला मुक़ाम ही है। ऐसे में राजीव के फ़ोन के बाद यह भी नहीं पूछ पाया कि क्या कार्यक्रम है? कब है? यह ज़रूर बात हुई कि के. विक्रम राव जी को भी सम्मानित किया जाना है।

मैं सोचने लगा कि हमें यह सम्मान क्यों लेना चाहिए? मेरी जगह कोई और पत्रकार सम्मानित हो जाये तो ज़्यादा अच्छा रहेगा। मैं तो हिंदी संस्थान से मधुलिमये पुरस्कार पा चुका हूँ। यश भारती पा चुका हूँ। मैं सोचने लगा कि किस साथी का नाम सुझाऊँ। तीन चार नाम मेरे सामने आये भी। मैं इस पर राजीव से बात करूँ कि बीते 9 तारीख़ को राजीव ने हमें 57 सेकेंड का एक वीडियो व्हाटसएप पर भेजा। वीडियो देखने के बाद मेरे मन में चलने वाले सभी सवालों का जवाब एक साथ मिल गया। मेरा असमंजस ख़त्म हो गया।

वीडियो में एक गाना था-

ऐ मेरी ज़मी

अफ़सोस है कि

जो तेरे लिए सौ दर्द सहे।

महफ़ूज़ रहे तेरी आन सदा

चाहे जान मेरी ये रहे या न रहे।

ए मेरी ज़मी

महबूब मेरी

मेरे नस नस में

तेरा इश्क़ बहे

फीका न पड़े कभी रंग तेरा

जिस्मों से निकलते खून कहे।

इसी के साथ यह भी पता चल गया कि ममता ट्रस्ट का कार्यक्रम है। राजनाथ सिंह जी सम्मान प्रदान करेंगे। ये दोनों मुझे मधुलिमये व यश भारती से कम आकर्षक नहीं लगे। ममता जी से मेरा लगाव यह है कि कई बार राजीव के घर पहुँच जाने पर उनकी चाय व नाश्ते छके थे। जब उनका निधन हुआ तब भी राजीव के उन कठिन क्षणों में उपस्थित रहा।


उस समय उसकी नन्हीं सी बेटी को देखा था। फिर कल यानी तेरह नवंबर को देखा। ममता जी के बाद ममता ट्रस्ट से लगाव के भी अपने कई कारण हैं। यह कि राजीव अपनी पत्नी की यादों को न केवल सहेज कर जीना चाहता है बल्कि उसे कई लोगों के दिल में जीने का अवसर देते नहीं थक रहा है। तभी तो कोरोना काल में बिना किसी चिंता किये लोगों तक राशन पहुँचाया।

वैक्सीन के प्रति जागरूक किया। जाड़ों में गरीब लोगों तक कंबल पहुँचाया। ऐसे काम वह ममता जी के नहीं रहने के कुछ बाद से ही करता आ रहा है। राजीव भी जुनूनी है। एक वीडियो भेज कर रूका नहीं। दस, ग्यारह व बारह तारीख़ों में भी लगातार कार्यक्रम के बारे में नई नई जानकारी वाला वीडियो व्हाटसएप पर भेजता रहा।

राजनाथ जी ने कलराज जी को भी नहीं बताया

राजनाथ जी को लेकर मेरे मन में विशेष आकर्षण है। उनकी कई बातों ने हमें उनका क़ायल बना दिया है। मसलन, वह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सूचना विभाग को कहा कि किसी भी विज्ञापन व होर्डिंग पर उनकी फ़ोटो नहीं लगेगी। उस समय उनका यह फ़ैसला गले नहीं उतरा। पर बाद में जब सोचा तब लगा कि इस तरह का फ़ैसला कोई बड़ी आध्यात्मिक आत्मा ही कर सकती है।


शायद बहुत कम लोगों को यह पता हो कि जब कल्याण सिंह जी मुख्यमंत्री पद से हटने वाले थे तो राजनाथ सिंह जी ने मुख्यमंत्री पद के लिए कलराज मिश्र जी का नाम अटल बिहारी वाजपेयी जी से फ़ाइनल करा लिया था। हालाँकि यह बात केवल राजनाथ जी व रमापति जी को पता थी। राजनाथ जी ने कलराज जी को भी नहीं बताया था।

हालाँकि जब उन्हें दिल्ली बुलाया गया तब वह कलराज जी को जहाज़ से लेकर गये। पर अंतिम समय में राम प्रकाश गुप्ता जी का नाम आ गया। राजनाथ जी भाग्य व भगवान पर बहुत भरोसा करने वालों में हैं।

प्रशांत शर्मा की किताब -'जीवन एक सरिता'

जिस तेरह तारीख़ को राजीव जी का कार्यक्रम था, उसी दिन ही नहीं उसी समय मेरे को ब्रदर( साढ़ू) प्रशांत शर्मा की किताब -'जीवन एक सरिता' का उत्तराखंड महोत्सव में विमोचन साहित्यकार आर.के. नाग जी को करना था। पर मैंने प्रशांत जी से राजीव को अधिमान देना ज़रूरी समझा। कारण वही ममता ट्रस्ट व राजनाथ जी। प्रशांत जी समझदार हैं। उन्होंने हमें अनुमति दे दी।


कहा मैं थोड़ी देर उनके कार्यक्रम में शिरकत करके जा सकता हूँ। हमने पता कर लिया था कि राजीव का कार्यक्रम चार बजे से शुरू होना है। राजीव ने जिस साथी को मेरे मार्गदर्शन के लिए लगाया था उन्होंने फ़ोन पर निर्देश दिया था कि साढ़े तीन बजे तक हमें सीएमएस ऑडिटोरियम में पहुँच जाना है। हमने प्रवीन सिंह को सारथी बना लिया था।

ख़ैर ठीक साढ़े तीन बजे मैं कार्यक्रम स्थल पर पहुँच ही गया। कार्यक्रम की व्यवस्था, अतिथियों का चयन, सम्मानित किये जाने वाले लोगों को देख मैं फूला नहीं समा रहा था। हमें राजीव की इस दक्षता का अंदाज ही नहीं था। राजनाथ जी ने भी भावना व भाव में अपनी बात कही।

बहुत दिनों बाद किसी सियासत दां को ग़ैर राजनीतिक बातें करता सुन रहा था। राजीव ने सम्मान के लिए जिनका चुनाव किया था सब हमसे हर मामले में बड़े थे। उनके साथ सूची में अपना नाम पाना कम सौभाग्य नहीं था। इस तरह हमने राजीव के चलते कई सौभाग्य एक साथ जिये।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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