सवालों से डरते सत्ताधारी और लाशों के ढेर पर खड़ा हिंदुस्तान

धर्म की राजनीति के दम पर देश बेच-खाने का व्यापार चल रहा है।

Ashutosh Verma
Written By Ashutosh VermaPublished By Monika
Published on: 18 May 2021 10:24 AM GMT (Updated on: 18 May 2021 10:26 AM GMT)
died due to corona infection
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शव को ले जाते डॉक्टर (फोटो : सोशल मीडिया )

धर्म की राजनीति के दम पर देश बेच-खाने का व्यापार चल रहा है। ऑक्सीज़न, बेड, वेंटिलेटर व इलाज के अभाव में कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ हाँफते-हाँफते दम तोड़ रहे हैं। श्मशान व कब्रिस्तानों में जगह पाने के लिए भी दस-दस घंटे की वेटिंग है। देश भर में स्वास्थ्य व्यवस्था के चरमरा जाने से आपातकाल जैसी स्थिति है।

प्रधानमंत्री मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की नीतियाँ हज़ारों लोगों की मौत का कारण बनीं। आम जनता को विकास के हवाहवाई वादों के जाल में बहलाकर इलाज के अभाव में मारने वालों पर मुकदमे होने चाहिए। कोरोनाकाल की तरह ही भाजपाकाल देश के लिए महामारी बन गया है। देश को इस माहामारी से बचाना होगा। आवाज बुलंद करनी होगी, इनके खिलाफ सच को लिखना होगा,लड़ना होगा - देश हित के लिए व उनकी कुंठित विचारधाराओं से। लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत मतदान से इनके घमंड पर चोट करना बहुत जरूरी है। क्योंकि सत्ता में रहते हुए इनके काले सच कभी बेनकाब नहीं हो पाएंगे।

देश में वैक्सीन पॉलिसी हुई फेल

स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री के बड़बोलेपन ने देश को गर्त में धकेल दिया है। जिसका नतीजा रहा कि देश में वैक्सीन पॉलिसी फेल साबित हुई है। वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम का उपहास उड़ाया गया है। जिसका नतीजा आज की वर्तमान भयावह स्थिति है। विदेशों को वैक्सीन सप्लाई पहले कर दी और देश की जनता को केवल भाषण दिया। सरकार ने जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का टारगेट रखा था, यानी 60 करोड़ डोज, लेकिन वैक्सीन की कमी के चलते यह अभियान फेल हो गया। खौफनाक स्थिति के बाद अब जाकर फिर देश के सिर्फ 22.5 फीसदी लोगों को वैक्सीनेट करने का प्लान बनाया गया है। जबकि वैक्सीनेशन को लेकर विस्तृत स्तर पर प्रयास बहुत पहले करना चाहिए था। 1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाने का एलान किया गया है। विशेषज्ञों ने ये पहले जताया था कि 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन जितना जरूरी है, उतना ही 18 वर्ष के ऊपर वालों को भी। पर स्टार प्रचारक ने जनता को राहत न देते हुए पहले व्यापार की सोची, जिसका नतीजा रहा कि सड़कों से लेकर शमशान तक मौत का मंजर अपने पाँव पसार बैठा है।

रोजगार को लेकर युवा फंदे से लटक रहे हैं और पलायन से प्रवासी भूखों मर रहे हैं। वर्चस्व की भूख ने एक्सपर्ट्स की सलाह को नजर अंदाज किया। कोरोना त्रासदी ने हमारी सारी व्यवस्थाओं की कलई खोल दी है। देश में विकास की वास्तविकता इस महामारी ने हमको दिखाई है। जिस देश में जनता को सांस बचाने को ऑक्सीजन नहीं मिले उस प्रदेश व देश का मुखिया विकास के दावों की बात कैसे कर सकता है? इनकी सत्ता सुख की महत्वकांक्षा ने आज देश व प्रदेश को कहां लाकर खड़ा कर दिया। अक्टूबर में ही संसदीय समिति ने चेतावनी दी थी- ऑक्सीजन की कमी है, फिर भी सरकार ने कुछ नहीं किया। देश व दुनिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि भारत की स्थिति कोरोनाकाल में भयावह हो सकती है लेकिन ये झूठे राष्ट्रवादी सत्ताधारी गिद्धों ने किसी की एक न सुनी। यहाँ तक की पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को सुझाव देते हुए एक पत्र लिखा, जिसका जवाब तक उन्हें नहीं दिया गया। ऐसे असंवेदनशील शासक देश को केवल नोच कर अडानी-अंबानी के हाथों बेचने को आतुर हैं। कोरोनाकाल की तरह भाजपाकाल भी देश के लिए महामारी है। सत्ता को सवाल चिढ़ा रहे हैं। देश का लोकतंत्र ख़तरे में है। सत्ता की नीतियों का विरोध उनकी कार्यशैली का विरोध दर्ज कराना भाजपाकाल में देशद्रोह है लेकिन लोकतंत्र में विपक्ष व जनता के सवाल सरकार को आईना दिखा रहे हैं। कोरोनाकाल में मदद के लिए आगे आए मसीहों पर सरकार ने प्रशासनिक तलवार तान दी है। इलाज के लिए भटक रहे परिजनों की मदद के लिए आगे आए आम जनता सोशल मीडिया पर अपनी परेशानियां जता रही है, इनकी मदद के लिए आगे आने वालों पर सरकार मुकदमे दर्ज कर रही है। इसका सबसे ताजा उदाहरण जौनपुर के जिला अस्पताल का है, जहां ऑक्सीजन के अभाव में अस्पताल परिसर के बाहर फर्श पर तड़प रहे मरीजों को विक्की ने व्यक्तिगत प्रयास से सिलेंडर उपलब्ध कराया। उसने मरीजों की जान बचाने में मदद की, इसका नतीजा यह रहा कि अगले दिन अस्पताल के सीएमएस ने विक्की के खिलाफ केस दर्ज कर दिया, ऐसे कई उदाहरणों की खेप है। सरकार की इस क्रूर राजनीति के चलते मजबूरन सुप्रीम कोर्ट को आगे आना पड़ा है। कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर जो लोग अपनी परेशानियां जता रहे हैं, उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं होना चाहिए। ऐसे लोगों पर कोर्ट ने मुकदमे दर्ज ना करने का आदेश दिया है। सरकार अपनी असफलता छुपाने के लिए मसीहों के साथ तानाशाही व्यवहार कर रही है। प्रधानमंत्री के पीएम केयर्स फंड पर कोई सवाल नहीं कर सकता, किया तो देशद्रोह के आरोप में तानाशाह आपको सलाखों के पीछे भेज देगा।

यूपी में सब ठीक-ठाक है, बस शमशान पर लाशों की कतार है

यूपी के प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी व अन्य शहरों के अस्पतालों के बाहर मौत का तांडव चल रहा है। पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। जनता इतनी सहमी हुई है कि मानसिक विकारों के भेंट चढ़ती जा रही है लेकिन प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ बोलते हैं कि प्रदेश में सब ठीक-ठाक है। सबको इलाज मिल रहा है। हकीकत यह है कि इलाज व ऑक्सीज़न के अभाव में कोरोना से हो रहीं मौतें व श्मशानों में अंतिम संस्कारों से उठती लपटों की दर्दनाक तस्वीरें चीख-चीख कर हकीकत खुद बयां कर रही हैं। विदशी अखबारों के पहले पन्ने पर श्मशानों की तस्वीरें प्रकाशित हो रही हैं। देश में भी कई स्थानीय मीडिया ने भी इन्हें प्रमुखता से छापा है लेकिन योगी जी की आत्मा में मानों जनता का दुख नहीं सत्ता का मोह घर कर गया है। उन्हें कुछ दिखता नहीं, समझ नहीं आता। ऐसा शासक जनता को और कितना सताएगा आखिर कितना तड़पाएगा। घिन आती है ऐसे शासक पर, ऐसे भावनाहीन मनुष्य पर।

इस झुंझलाहट ने बीजेपी आईटी सेल का काम बढ़ा दिया

कोरोना काल में जनता के सवाल सरकार को आईना दिखा रहे हैं। देश की चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था पर अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्र मीडिया ने सवाल उठाए हैं। इस झुंझलाहट ने बीजेपी आईटी सेल का काम बढ़ा दिया है। एक ओर जहां सड़कों पर इलाज के अभाव में देश का भविष्य दम तोड़ रहा है, वहीं प्रदेश में सब ठीक-ठाक है यह जताने के लिए बीजेपी आईटी सेल दिन-रात सोशल मीडिया पर झूठ का आडंबर फैला रहा है। हालांकि सच क्या है, यह मौजूदा हालात खुद बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर अपनों की मदद के लिए ट्विटर से लेकर अन्य पायदानों पर लाखों की संख्या में मदद की गुहार तैर रही है। जब सत्ता से लोगों का भरोसा उठ जाता है तो अपने दुख से जुड़े विचार सोशल मीडिया पर साझा करता हैं। ऐसे प्रचारों, ऐसी पोस्टों की रीच को कम कर देने से ऐसी पोस्ट को आईटी सेल के माध्यम से डिलीट कर देने से सच छुपेगा नहीं। 134 करोड़ की जनता हमारे लोकतंत्र की ताकत है। इसको धार्मिक उन्माद आदि के फेर में आईटी सेल कितना भी उलझाना चाहे, सच के घर देर है, अंधेर नहीं। सच उजागर होकर रहेगा।

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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