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Ayodhya Ram Mandir: श्री अयोध्या जी के आसपास गिद्ध पक्षी की उपस्थिति पर विशेष, वैदिक ज्योतिष में पंच पक्षी का महत्व और शुभ फलदायी स्थिति

Ayodhya Ram Mandir: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंच पक्षी भविष्य फल का अनुमान लगाने के लिए बहुत ही आसान व सटीक है। इसके अंतर्गत समय को पांच भागों में बाट कर प्रत्येक भाग का नाम एक विशेष पक्षी पर रखा गया है। इस सिद्धांत के अनुसार जब कोई कार्य किया जाता है, उस समय जिस पक्षी की जो स्थिति होती है, उसी के अनुसार उसका फल भी मिलता है।

Sanjay Tiwari
Written By Sanjay Tiwari
Published on: 1 Jan 2024 12:12 AM IST
Special on the presence of vulture bird around Shri Ayodhya ji, importance of Panch bird in Vedic astrology and auspicious fruitful situation
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श्री अयोध्या जी के आसपास गिद्ध पक्षी की उपस्थिति पर विशेष, वैदिक ज्योतिष में पंच पक्षी का महत्व और शुभ फलदायी स्थिति: Photo- Social Media

Ayodhya Ram Mandir: ज्योतिष शास्त्र वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है। वैदिक ज्योतिष विज्ञान में पंचपक्षी का बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत है। अनेक ग्रहों, नक्षत्रों, वनस्पतियों, नदियों आदि की तरह ही प्रत्येक अनुष्ठान के कालक्रम में उस अवधि विशेष के लिए पांच पक्षियों का भी ज्योतिषीय निर्धारण किया गया है। दक्षिण भारत की ज्योतिषीय परंपरा में यह सिद्धांत अभी भी बहुत गंभीरता से माना जाता है। विशेष रूप से तमिल शास्त्र इसको बहुत महत्व देते हैं। भारत की प्राचीन चक्रवर्ती राज परंपरा में इस सिद्धांत का बहुत प्रचलन रहा है।

पांच पक्षी

इस पंच पक्षी ज्योतिषीय सिद्धांत के अंतर्गत पाँच पक्षी माने गए हैं, जिनमें गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा तथा मोर शामिल हैं। श्री अयोध्या जी में भगवान श्रीराम के बालक स्वरूप के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को मृगशिरा नक्षत्र में होने जा रहा है। वैदिक ज्योतिष का पंचपक्षी सिद्धांत इसको अत्यंत शुभ मानता है क्योंकि मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले का जीवन और स्वरूप निश्छल और उसी भाव में होता है जिस भाव और आस्था के साथ वह प्राणमय प्राप्त होता है।

भारतीय शास्त्रीय चिंतन के अंतर्गत गिद्ध शुद्धि, पुनर्जन्म, मृत्यु, परिवर्तन, ज्ञान, बुद्धिमत्ता और संसाधनशीलता का प्रतिनिधित्व करता है। गिद्धों के संदर्भ और संस्कृति के आधार पर उनके कई अलग-अलग अर्थ और व्याख्याएं हैं। पश्चिमी समाज अक्सर उन्हें नकारात्मक रूप से देखते हैं, क्योंकि पश्चिम के पास पक्षी शास्त्र का कोई गहन अध्ययन नहीं है।

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पंचपक्षी और भविष्यफल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंच पक्षी भविष्य फल का अनुमान लगाने के लिए बहुत ही आसान व सटीक है। इसके अंतर्गत समय को पांच भागों में बाट कर प्रत्येक भाग का नाम एक विशेष पक्षी पर रखा गया है। इस सिद्धांत के अनुसार जब कोई कार्य किया जाता है, उस समय जिस पक्षी की जो स्थिति होती है, उसी के अनुसार उसका फल भी मिलता है।

पंच पक्षी पद्धति के अनुसार जब आपके शुभ पक्षी का समय चल रहा हो, तो आपको अपने सरल प्रयासों से भी सफलता हासिल हो सकती है। इस पद्धति के अंतर्गत पूरे दिन के 12 घंटे को पाँच बराबर भागों में बाँटा जाता है, तथा प्रत्येक भाग 2 घंटे 24 मिनट का होता है। इन पाँचों पक्षियों का समय पूरे दिन में बारी-बारी से आता है। किसी व्यक्ति के जन्म नक्षत्र तथा चंद्र के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की स्थिति के अनुसार उसका जन्म पक्षी ज्ञात किया जा सकता है।

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पंचमहाभूत

ज्योतिष शास्त्र में पंचमहाभूत का सिद्धांत ही मान्य है। प्रत्येक शरीर इन्हीं पंचमहाभूतों से मिलकर बना हुआ है तथा मृत्यु के बाद इसी पंचतत्व में विलीन हो जाता है। हम में से अधिकांश लोग पंच महाभूत के विषय में भली-भांति जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन्हीं की तरह पंचपक्षी सिद्धांत भी मौजूद है। इन्हें दक्षिण भारत के ज्योतिषियों ने बहुत गहराई से समझा है। पंच पक्षी सिद्धांत के अंतर्गत मनुष्य जीवन की विभिन्न क्रियाएं जैसे खाना, पीना, चलना, बोलना, देखना ये सब एक विशिष्ट पक्षी के साथ देखा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी खास नक्षत्र के अंतर्गत होता है, और यही नक्षत्र उस विशिष्ट पक्षी का निर्धारण भी करते हैं। इसी आधार पर मनुष्य की विभिन्न क्रिया संचालित होती है। नक्षत्र और पक्षी के बीच का यही संबंध आपके व्यक्तित्व, स्वभाव तथा शक्तियों को निर्धारित करने के साथ-साथ ये भी बताता है कि व्यक्ति सौभाग्यशाली रहेगा या नहीं।

कैसे ज्ञात करें जन्म पक्षी

जन्म पक्षी व्यक्ति के जन्म नक्षत्र व चंद्र के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की स्थिति के अनुसार ज्ञात किया जाता है। उदाहरण के लिए समझ लीजिए कि पहले पांच नक्षत्रों में से किसी एक में जन्म हो, तथा चंद्र पक्ष में हो, तो व्यक्ति का जन्म पक्षी गिद्ध होता है। इसके अलावा अगर इन्हीं पांच नक्षत्रों में से किसी एक में जन्म हो तथा कृष्ण पक्ष का चंद्र हो, तो जन्म पक्षी मोर होता है। ठीक इसी प्रकार यदि व्यक्ति का जन्म ज्येष्ठा नक्षत्र और कृष्ण पक्ष में हुआ, तो उसका जन्म पक्षी मुर्गा होता है और यदि जन्म ज्येष्ठा नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में हुआ तो व्यक्ति का जन्म पक्षी उल्लू होता है। इसी तरह से सभी 27 नक्षत्रों को कुल पांच से छः नक्षत्रों के समूह में बांटा गया है। कोई ज्ञानी वैदिक ज्योतिष का विद्वान किसी की भी कुंडली के आधार पर संबंधित व्यक्ति का पक्षी बता सकता है।

जन्म पक्षी पद्धति का उपयोग कैसे करें

यह जग विदित है कि समय को अपने अनुसार बदलना संभव नहीं है, इसलिए स्वयं को समय के अनुसार बदलना चाहिए। इसमें पंच पक्षी आपकी सहायता कर सकता है अर्थात समय की शुभता पंच पक्षी के अनुसार जानने के बाद अपने दैनिक या साप्ताहिक कार्यो की रूपरेखा बनानी चाहिए। ऐसा करने से आपको अपने कार्यो में सफलता प्राप्त करने में अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पंच पक्षी की पांच क्रियाएं

पंच पक्षी में पांचों पक्षियों अर्थात गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा तथा मोर को दिन भर में पांच क्रियाएं दी गयी है। ये पाँचों क्रियाओं के क्रम जिस रूप में आते हैं वे निम्नवत बन रहे हैं_

1. भोजन

2. रमण

3. शासन

4. शयन या विश्राम

5.अवसान या दैहिक अस्तित्वहीनता

शुभता का ध्यान रखते हुए क्रियाओं का क्रम इस प्रकार से बन रहा है_

1. शासन

2. भोजन

3. रमण

4. शयन

5. अस्तित्वहीनता अथवा निर्देह

पंच पक्षी के उपपक्षी का क्रम

जिस प्रकार महादशा के अंदर ग्रह की अंतर्दशा होती है, एक ग्रह की महादशा होती है, अन्य ग्रहों की अंतर्दशा उसमें भाग लेती हैं। इसी तरह पक्षी के साथ उपपक्षी का विचार किया जाता है।

पक्षी के उपपक्षियों का क्रम

उपपक्षी के निर्धारण का क्रम दिन तथा रात्रि के समय अलग-अलग होता है। प्रत्येक पक्षी का क्रम अपने अनुसार होता है। प्रथम उपपक्षी वह स्वयं होता है, उसके बाद बाकी के चार पक्षी का निर्धारण दिन तथा रात के समय अलग-अलग किया जाता है।

उपपक्षी का दिन के समय का निर्धारण:

1. गिद्ध-

गिद्ध, मुर्गा, उल्लू, मोर, कौआ।

2. उल्लू-

उल्लू, मोर, कौआ, गिद्ध, मुर्गा।

3. कौआ-

कौआ, गिद्ध, मुर्गा, उल्लू, मोर।

4. मुर्गा-

मुर्गा, उल्लू, मोर, कौआ, गिद्ध।

5. मोर-

मोर, कौआ, गिद्ध, मुर्गा, उल्लू।

उपपक्षी का निर्धारण रात्रि के समय

1.गिद्ध-

गिद्ध, मोर, मुर्गा, कौआ, उल्लू।

2. उल्लू-

उल्लू, गिद्ध, मोर, मुर्गा, कौआ।

3. कौआ-

कौआ, उल्लू, गिद्ध, मोर, मुर्गा।

4. मुर्गा-

मुर्गा, कौआ, उल्लू, गिद्ध, मोर।

5. मोर-

मोर, मुर्गा, कौआ, उल्लू, गिद्ध।

जन्म नक्षत्र का पक्षी संबंध

1. गिद्ध

अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी तथा मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति गिद्ध पक्षी के प्रभाव में होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने जन्म के आखिरी चरण तक अपने बचपने को जीते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन को सरलता से व्यतीत करने का स्वभाव रखते है। यह बाल स्वरूप जितना ही निश्छल होता है उतना ही कल्याणकारी भी होता है।

2. उल्लू

आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा नक्षत्रों में जन्म लेने वाले व्यक्ति उल्लू के प्रभाव में होंगे। ये सभी व्यक्ति अत्याधिक आत्मविश्वासी होते हैं, जिसके कारण इनके जीवन के उद्देश्य भी बड़े होंगे। ऐसे लोग परिश्रम करने में संकोच नहीं करते हैं। इन व्यक्तियों को केवल अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है।

3. कौआ

उत्तरफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति तथा विशाखा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति कौआ के प्रभाव में होंगे। ये सभी व्यक्ति भौतिकवादी होंगे तथा इन्हें भौतिक वस्तुओं से अत्यधिक प्रेम होगा।

4. मुर्गा

अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा तथा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति का संबंध मुर्गा से होता है। ऐसे व्यक्ति बिना तालमेल किये, बिना विश्लेषण किये, किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचते हैं।

5. मोर

श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वभाद्र पद, उत्तरभाद्र पद, रेवती में जन्म लेने वाले व्यक्ति का संबंध मोर से होता है। ऐसे व्यक्ति लोगों से अधिक घुलमिल नहीं पाते, इनमें आत्मविश्वास की अत्यंत कमी होती है। किसी के समक्ष अपने विचार रखने में आपको संकोच हो सकता है। प्रकृति से जुड़े रहना आपको पसंद होगा।

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अयोध्या की चक्रवर्ती परंपरा की पुनर्स्थापना का शुभ संकेत

पंच-पक्षी के आधारभूत सिद्धांत के अनुसार जब सभी प्रभावकारी तत्व अपने उच्चावस्था में होते हैं तो उस समय हम अपने लक्ष्य की दिशा में सरलता से बढ पाते है। इसी तरह जब शुभ पक्षी का समय चल रहा हो तो सरल प्रयास भी सफलता दिला देते हैं। श्री अयोध्या जी के निकटवर्ती क्षेत्र में पंचपक्षियों की प्रचुर उपस्थिति अत्यंत शुभ संकेत है। यह अयोध्या की चक्रवर्ती परंपरा को पुनः प्रतिस्थापित होने का संकेत है।

।।जयसियाराम।।

Shashi kant gautam

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