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भारत की स्वर्ण पदक जीत के लिए उचित माहौल बनाना

टोक्यो खेलों के शुरू होने से पहले, नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में हमारी तैयारियों का जायजा लेने के लिए एक व्यापक समीक्षा बैठक की।

Anurag Singh Thakur
Written By Anurag Singh ThakurPublished By Dharmendra Singh
Published on: 19 Aug 2021 2:30 PM GMT (Updated on: 19 Aug 2021 6:43 PM GMT)
Gold Medal
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स्वर्ण पदक (फोटो: सोशल मीडिया)

हमारे प्रधानमंत्री द्वारा नीरज चोपड़ा को चूरमा तथा पीवी सिंधु को आइसक्रीम पेश करना, बजरंग पुनिया के साथ हंसते हुए रवि दहिया को और हंसने के लिए कहना तथा मीराबाई चानू के अनुभव सुनना–इस दृश्य को देखकर प्रत्येक भारतीय के चेहरे पर अवश्य ही मुस्कान आयी होगी। यह बात भी समान रूप से प्रोत्साहित करने वाली थी कि उन्होंने टोक्यो में भाग लेने वाले प्रत्येक एथलीट के साथ समय बिताया। अगले दिन, उन्होंने पैरालंपिक दल के साथ बातचीत की तथा उनकी प्रेरक जीवन यात्रा पर चर्चा की।

ये दृश्य नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व के एक अलग पक्ष का संकेत देते हैं-एक व्यक्ति, जो खेल के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा है और वह भारत के एथलीटों के लिए कुछ अलग, कुछ अतिरिक्त भी करने के लिए तैयार है। टोक्यो खेलों के शुरू होने से पहले, नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में हमारी तैयारियों का जायजा लेने के लिए एक व्यापक समीक्षा बैठक की।
जिन लोगों ने नरेन्द्र मोदी को करीब से देखा है, वे इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि युवाओं के बीच खेल की संस्कृति का समर्थन करने में नरेन्द्र मोदी व्यक्तिगत स्तर पर रूचि लेते हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने खेल महाकुंभ पहल की शुरूआत की, जिसके जरिये एक ऐसे राज्य में जमीनी स्तर पर खेल-भागीदारी को बढ़ावा मिला, जो ऐतिहासिक रूप से खेल उत्कृष्टता के लिए नहीं जाना जाता है। एक अन्य तरीके से भी नरेन्द्र मोदी ने खेल और खिलाड़ियों का समर्थन किया है और इस आधार पर मेरे तर्क को समर्थन मिलता है कि वे भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें 'खिलाड़ियों का प्रधानमंत्री' कहा जा सकता है!
कुछ दिनों पहले, 2013 का एक वीडियो वायरल हुआ था। उस वीडियो में, नरेन्द्र मोदी पुणे में कॉलेज के छात्रों के एक समूह को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने अफसोस जताया कि भारत में एक बड़ी और प्रतिभाशाली आबादी रहती है तथा देश में खेल उत्कृष्टता का इतिहास भी है, लेकिन एक ओलंपिक के बाद अगले ओलंपिक के बीतने के बाद भी हम अपने पदकों की संख्या को बढ़ाने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारत जैसा देश ओलंपिक की सफलता से वंचित रहे। उनका कहना है कि मुद्दा खिलाड़ियों का नहीं, बल्कि उचित सहायक माहौल बनाने में हमारी अक्षमता का है। खेल को उचित समर्थन व गरिमा मिलनी चाहिए। महिला और पुरुष हॉकी टीम का कहना है कि हार के बाद प्रधानमंत्री के फोन कॉल ने उनका मनोबल बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2019 में जब नीरज चोपड़ा को गंभीर चोट लगी, तो पीएम मोदी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, जिसे व्यापक रूप से सराहा गया था।
यदि हम बात खेलकूद की करें, तो प्रधानमंत्री ने यह भलीभांति समझ लिया है कि असली समस्‍या क्‍या है। प्रधानमंत्री का स्‍पष्‍ट मानना है कि लोग खेलों में रुचि तो बहुत दिखाते हैं, लेकिन जब इसे अभिभावकों द्वारा प्रोत्साहन देने और इसमें बच्‍चों के भाग लेने की बात आती है, तो भारी अंतर देखने को मिलता है। प्रधानमंत्री ने ओलंपिक पदक विजेताओं से मुलाकात के बाद कहा, 'खेलकूद में हाल ही में मिली अद्भुत सफलताओं को देखकर मुझे पक्‍का विश्वास है कि खेलकूद के प्रति माता-पिता के नजरिए में व्‍यापक बदलाव आएगा।' इस टिप्पणी में सच्‍चाई और उम्‍मीदें दोनों ही थीं। जब बच्‍चों के माता-पिता भारत द्वारा जीते गए पदकों की संख्या को बढ़ते हुए देखते हैं, तो वे भी बढ़े हुए हौसले के साथ मन में यह संकल्‍प लेते हैं कि वे खेलकूद के प्रति अपने बच्‍चों की रुचि को निश्चित रूप से बढ़ावा देंगे। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब वे यह देखते हैं कि सरकार के सभी प्रतिष्‍ठान और कॉरपोरेट सेक्‍टर हमारे खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं तो उन्हें एहसास होता है कि खेल भी एक आकर्षक और सम्मानजनक करियर बन सकता है।
खेलकूद में भारत की मिली शानदार सफलता को हम विभिन्न तरीकों से और आगे बढ़ा सकते हैं। इनमें से एक तरीका यह है कि हमारे राज्यों से यह कहा जाए कि वे 'एक राज्य - एक खेल' दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करें; सभी राज्‍य अपने-अपने क्षेत्र में बड़ी संख्‍या में उपलब्ध प्रतिभाओं, बच्‍चों की स्‍वाभाविक रुचि, जलवायु और उपलब्ध बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के आधार पर किसी एक विशेष खेल या कुछ खेलों को बढ़ावा (दूसरों खेलों की अनदेखी न करते हुए) देने के लिए उन्‍हें प्राथमिकता दे सकते हैं। इससे न केवल एक केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा, बल्कि संबंधित राज्य में उपलब्‍ध संसाधनों का इष्टतम उपयोग भी हो पाएगा।
इसके अलावा, हमें इस मुहिम में कॉरपोरेट इंडिया को भी अवश्‍य शामिल करना होगा, ताकि 'वन स्पोर्ट - वन कॉरपोरेट' नजरिया अपनाया जा सके। पूरी दुनिया में उभरती प्रतिभाओं को आवश्‍यक समर्थन देने, लीग बनाने, प्रशंसकों को तरह-तरह का अद्भुत अनुभव कराने, और खिलाड़ियों की वित्तीय स्थिति बेहतर करने के लिए विपणन के साथ-साथ प्रचार-प्रसार करने में कंपनियां ही सबसे आगे होती हैं। पिछले कई वर्षों से क्रिकेट के साथ कंपनियों के जुड़ाव की सफलता की गाथाएं इसकी मिसाल हैं। इसके अलावा, खेलों के प्रायोजन की कमान एफएमसीजी ब्रांडों के बजाय अब नए फिनटेक यूनिकॉर्न संभालने लगे हैं। यह खिलाड़ियों, कंपनियों और स्‍वयं खेल सभी के लिए फायदे का सौदा हो सकता है।
देश में विभिन्‍न खेलों और प्रतिभाओं को इनसे जोड़ने को बढ़ावा देने का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति का निर्माण करना है। इसके लिए स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न खेलों के कैलेंडर का विस्तार करना अनिवार्य है। भारत में प्रत्येक खेल में 'क्षेत्रीय लीग' की नितांत आवश्यकता है जिससे युवा एथलीटों को विभिन्न स्तरों पर पूरे वर्ष के दौरान अपने कौशल को सुधारने का अवसर मिलेगा, स्‍वस्‍थ प्रतिस्पर्धी भावना उत्‍पन्‍न होगी और इसके साथ ही देश भर में खेलकूद के समग्र परिेवेश और बुनियादी ढांचांगत सुविधाओं का व्‍यापक विस्‍तार होगा। मेरा यह भी स्‍पष्‍ट मानना है कि हमारी विश्वविद्यालय प्रणाली को ओलंपिक खेलों में उत्कृष्टता के लिए एक अद्भुत स्रोत में परिवर्तित किया जा सकता है। ये उपाय आगे चलकर रुचि और भागीदारी के बीच की खाई को पाटेंगे।
एक चीज जिसने भारतीय खेलों की मदद की है, वह है - गुणवत्ता और वैश्विक मानकों पर जोर। पारंपरिक रास्ता नौकरशाही से जुड़ा और थकाऊ था। मोदी सरकार में यह सब बदल गया है। यहां प्रधानमंत्री भी सीधे खिलाड़ियों से जानकारी लेना पसंद करते हैं। टोक्यो 2020 में भाग लेने वाले दल से मुलाकात के दौरान, उन्होंने खिलाड़ियों से खेलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के तरीकों के बारे में अपने विचार साझा करते रहने को कहा। मीराबाई हों या मैरी कॉम, प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित किया कि चोटों के दौरान उन्हें सबसे अच्छा इलाज मिले।
आधुनिक तकनीक का उदय (विडंबना के रूप में) भारतीय खेलों को प्रभावित करने वाले कई अन्य मुद्दों में से एक है। नरेन्द्र मोदी ने इस मुद्दे को अपनी पुस्तक 'एग्जाम वॉरियर्स' में और अपने 'परीक्षा पे चर्चा' से जुड़े टाउनहॉल कार्यक्रमों के दौरान भी रेखांकित किया है। उन्होंने खेल के मैदान (प्लेयिंग फील्ड) और खेल के केन्द्र (प्ले स्टेशन) को समान महत्व देने की बात कही। मोदी ने आधुनिक तकनीक के आगमन को खारिज नहीं किया है। उन्होंने एक स्वस्थ संतुलन बनाने का आह्वान किया है, जहां खेल के मानवीय तत्व- सामूहिकता (टीम वर्क) और एकजुटता - को बनाए रखा जाए। इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी ऐसी प्रक्रियाओं का समावेश किया गया है, जो खेल से जुड़ी शिक्षा को एक आकर्षक विकल्प बनायेंगे। आने वाले सालों में मणिपुर को भारत का पहला खेल विश्वविद्यालय मिलेगा, जोकि एथलीटों के लिए वरदान साबित होगा और विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में खेलों की समृद्ध विरासत का दोहन करेगा।
टोक्यो 2020 कई मायनों में भारत के लिए पहला ओलंपिक साबित हुआ। हमने एथलेटिक्स में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता, हॉकी टीम ने चमत्कारिक प्रदर्शन किया और डिस्कस थ्रो, गोल्फ, तलवारबाजी आदि जैसे अन्य खेलों में भी सफलता मिली। टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना, खेलो इंडिया एवं फिट इंडिया अभियान ने और अधिक बड़ी सफलता की नींव रखी है। नये भारत में सफलता पाने की ललक है, खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने के हमारे खेल जगत के प्रयासों को सरकार और प्रधानमंत्री का पूरा समर्थन है।
(लेखक: सूचना एवं प्रसारण और युवा कार्य एवं खेल मंत्री)


Dharmendra Singh

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