TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Spy Balloon: प्यारे ग़ुब्बारे, जासूसी का नया अवतार

Spy Balloon: अमेरिका व कनाडा ने अपने देश के क्षेत्र में जासूसी कर रहे दो ग़ुब्बारों को बीते हफ़्ते मार गिराया है।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 14 Feb 2023 7:53 AM IST
Spy Balloon
X

Spy Balloon (photo: social media )

Spy Balloon: कभी जासूसी के लिए व्यक्ति का इस्तेमाल किया जाता था। फिर इसकी जगह सेटेलाइटों ने ली। पर सेटेलाइट इतने ऊपर होते हैं कि उनसे जासूसी कराने वाले देश को मनमाफिक लाभ नहीं हो पाता है। नतीजतन, इससे आगे की सोचने की ज़रूरत आन पड़ी। इसी ज़रूरत ने बच्चों के खेलने वाले ग़ुब्बारे को जासूसी के लिए इस्तेमाल करने के चलन को जन्म दिया। इन दिनों निगरानी गुब्बारों को लेकर निशाने पर चीन है। अमेरिका व कनाडा ने अपने देश के क्षेत्र में जासूसी कर रहे दो ग़ुब्बारों को बीते हफ़्ते मार गिराया है। अमेरिका ने जिस ग़ुब्बारे को नष्ट किया है। वह नि: संदेह चीनी था। जबकि कनाडा ने जिस ग़ुबार को नष्ट करने में सफलता पाई है, उसके बारे में निश्चित तौर से नहीं कहा जा पा रहा है कि वह भी चीनी था। हालाँकि संभावना चीनी ग़ुब्बारे की ही व्यक्त की जा रही है। क्योंकि चीनी अधिकारियों ने कहा है कि हाल की घटना के केंद्र में गुब्बारा मौसम की निगरानी करने वाला गुब्बारा था न कि जासूसी वाला गुब्बारा।लेकिन सच्चाई यह है कि अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाएं ही नहीं चीन भी हाई-टेक सर्विलांस गुब्बारे बनाने के लिए तेजी से फंडिंग कर रहा हैं , जो हवा में लगभग 20 किलोमीटर ऊपर संचालित होता है।

अमेरिका की बड़ी योजना

अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन (एफसीसी) के पास दायर दस्तावेजों से पता चलता है कि प्रायोगिक उच्च ऊंचाई वाले गुब्बारों का उपयोग करके अमेरिकी सेना छह मिडवेस्ट राज्यों में व्यापक क्षेत्र निगरानी परीक्षण कर रही है। एक रिपोर्ट में बताया गया था कि केंद्रीय इलिनोइस में समाप्त होने से पहले, 25 मानव रहित सौर-संचालित गुब्बारे ग्रामीण दक्षिण डकोटा से लॉन्च किए गए हैं। जो कई राज्यों के हिस्सों में फैले क्षेत्र के माध्यम से 250 मील की दूरी पर चल रहे हैं।

अमेरिका डिफेंस कम्पनी एयरोस्पेस की ओर से की गई फाइलिंग के अनुसार, 65,000 फीट तक की ऊंचाई पर यात्रा करते हुए, गुब्बारों का उद्देश्य "मादक पदार्थों की तस्करी और होमलैंड सुरक्षा खतरों का पता लगाने के लिए एक सतत निगरानी प्रणाली प्रदान करना" है।गुब्बारे उच्च तकनीक वाले राडार से लैस हैं, जो किसी भी तरह के मौसम में दिन या रात कई अलग-अलग वाहनों को एक साथ ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

सेंसर और रडार

निगरानी गुब्बाएरे में हीलियम और हाइड्रोजन गैस होती हैं जिसकी वजह से ये काफी ऊंचाई पर उड़ पाते हैं। जासूसी गुब्बा रे में रडार, सेंसर्स व हाई-टेक कैमरे समेत कई हाईटेक उपकरण लगाए जाते हैं । ताकि ये फोटो और वीडियो खींच सकें। इन गुब्बारों में एक सोलर पैनल भी लगा होता है, जो उसमें लगे उपकरणों को ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा गुब्बारे में कम्युनिकेशन के उपकरण भी लगे रहते हैं।

बेहतर निगरानी

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, चीन के गिराए गए जासूसी गुब्बानरे में प्रोपेलर भी लगे थे। यानी कमांड मिलने पर यह दिशा बदल सकता था। वैसे गुब्बाोरों का इस्तेमाल ज्यालदातर मौसम निगरानी के लिए किया जाता है। लेकिन, अत्याधुनिक उपकरणों के साथ इनका इस्तेमाल जासूसी के लिए भी किया जाता है।जासूसी गुब्बाेरे कई बार जासूसी विमानों या सैटेलाइट के मुकाबले बेहतर निगरानी कर सकते हैं। ये बहुत ऊंचाई पर उड़ते हैं इसलिए इनको ट्रैक करना मुश्किल होता है।

पहली बार इस्तेमाल

रणनीतिक उद्देश्यों के लिए सर्विलांस गुब्बारों के उपयोग को 18वीं शताब्दी में देखा जा सकता है, बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 20वीं शताब्दी में इसे प्रमुखता मिली। इस पारंपरिक वाहन को अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उन्नत तकनीकों से सुसज्जित किया जा सकता है, जिससे वे खुफिया, निगरानी और टोही गतिविधियों के लिए अत्यधिक कुशल बन जाते हैं। हालांकि, निगरानी गुब्बारों का सबसे बुनियादी लाभ यह है कि वे गुब्बारे हैं - पकड़े जाने पर भी, कम निर्माण और संचालन लागत के कारण होने वाले नुकसान से चीन को परेशानी नहीं हो सकती है। संभवतः, एकत्र किए गए डेटा को पहले ही खुफिया केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है।

शीतयुद्ध के समय भी सोवियत संघ और चीन की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए अमेरिका ने सैकड़ों गुब्बारे लॉन्च किए थे।

भारत पर असर

एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक चीन से संचालित जासूसी गुब्बारों ने जापान, भारत, वियतनाम, ताइवान और फिलीपींस सहित कई देशों और क्षेत्रों में सैन्य संपत्ति के बारे में जानकारी एकत्र की है। जनवरी 2022 में, पोर्ट ब्लेयर में भारतीय सशस्त्र बलों के अंडमान निकोबार कमान के ऊपर एक हवाई पोत देखा गया था। इस प्रकार की घटनाएं भारत के लिए शुभ संकेत नहीं हैं, विशेष रूप से अमेरिका में हाल की घटनाओं को देखते हुए। यहां तक कि अगर ऐसा गुब्बारा निहत्था है, तो यह महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के बारे में संवेदनशील डेटा एकत्र कर सकता है - जैसे सीमा पर, द्वीपों में या मुख्य भूमि पर कहीं भी सशस्त्र बलों की आवाजाही - और हवाई निगरानी उपकरणों का पता लगाने की भारत की क्षमता की जांच कर सकता है।

गुब्बारा एक लचीला बैग है । जिसे हीलियम, हाइड्रोजन, नाइट्रस ऑक्साइड, ऑक्सीजन और हवा आदि से फुलाया जा सकता है। विशेष कार्यों के लिए, गुब्बारों को धुएं, तरल पैनी, दानेदार मीडिया- जैसे रेत, आटा या चावल या प्रकाश स्रोतों से भरा जा सकता है। आधुनिक समय के गुब्बारे रबर,लेटेक्स, पॉलीक्लोरोप्रीन या नॉयलान कपड़े जैसी सामग्रियों से बनाए जाते हैं , और कई अलग-अलग रंगों में आ सकते हैं। कुछ शुरुआती गुब्बारे सूखे जानवरों के मूत्राशय से बने होते थे , जैसे कि सूअर का मूत्राशय। कुछ गुब्बारों का उपयोग सजावटी उद्देश्यों या मनोरंजक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जबकि अन्य का उपयोग व्यावहारिक उद्देश्यों जैसे मौसम विज्ञान, चिकित्सा उपचार, सैन्य रक्षा या परिवहन के लिए किया जाता है। कम घनत्व और कम लागत सहित एक गुब्बारे के गुणों ने अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला को जन्म दिया है।

18 वीं शताब्दी तक, लोग गर्म हवा के साथ कपड़े या कैनवास के गुब्बारे फुला रहे थे और इसे ऊपर भेज रहे थे , मॉन्टगॉल्फियर भाइयों ने 1782 में पहले जानवरों के साथ प्रयोग करने के लिए इतनी दूर जा रहे थे। 1800 के दशक में निगरानी गुब्बारे उपयोग में आए। फ्रांस ने 1859 में फ्रेंको-ऑस्ट्रियाई युद्ध में निगरानी के लिए गुब्बारों का इस्तेमाल किया. 1861 से 1865 के बीच अमेरिकी नागरिक युद्ध के दौरान जल्द ही गुब्बारों का फिर से इस्तेमाल किया। पहला हाइड्रोजन से भरा गैस का गुब्बारा 1790 के दशक में उड़ाया गया था। एक सदी बाद पहले हाइड्रोजन से भरे मौसम के गुब्बारे फ्रांस में लॉन्च किए गए थे । रबर के गुब्बारे का आविष्कार माइकल फैराडे ने 1824 में विभिन्न गैसों के प्रयोगों के दौरान किया था। उन्होंने प्रयोगशाला में उपयोग के लिए उनका आविष्कार किया। 1825 तक इसी तरह के गुब्बारे थॉमस हैनकॉक द्वारा बेचे जा रहे थे , लेकिन फैराडे की तरह वे नरम रबर के दो हलकों के रूप में अलग हो गए। 1847 में पहली बार लेटेक्स गुब्बारे का निर्माण किया गया था, जो हेविया ब्रासिलिएन्सिस रबर के पेड़ों से निकाले गए वल्केनाइज्ड रबर लेटेक्स से बनाया गया था। यह व्यापक रूप से पहला आधुनिक गुब्बारा माना जाता है, जो तापमान और सही खेलने की चीजों से अप्रभावित रहता है।20 वीं सदी की शुरुआत तक अमेरिका में आधुनिक, पूर्व-संयोजन वाले गुब्बारे बेचे जा रहे थे।अब जब ग़ुब्बारे निगरानी के लिए काम आने लगे हैं तो इनकी माँग न केवल बढ़ी है बल्कि इनमें कई तरह के अन्य संयंत्र लगाकर काम किया जा रहे हैं।पर कल तक आकर्षण व मनोरंजन का सबब रहे ये रंगीन ग़ुब्बारे प्यारे भय की वजह भी बन रहे हैं। ग़ुब्बारों के लिहाज़ से पता नहीं यह ग़ुब्बारों को सार्थक बना रहा है। या फिर निरर्थक ।

( लेखक पत्रकार हैं। दैनिक पूर्वोदय से साभार।)



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story