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क्या आपको पता है दुनिया भर के आदमी नसबंदी के नाम से कांप जाते हैं

देश में बेतहाशा बढ़ती आबादी के बीच लगता है कि जनसंख्या नियंत्रण का काम सिर्फ महिलाओं के जिम्मे है। देश में नसबंदी के आंकड़े तो यही बताते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व में मात्र 2.4 प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी करवाते हैं। भारत में पिछले साल 39 लाख 51 हजार 972 महिला-पुरुषों के नसबंदी करवाने का आंकड़ा हैं, जबकि इनमें 78,362 पुरुषों ने ही नसबंदी करवाई।

Rishi
Published on: 21 Feb 2019 10:09 PM IST
क्या आपको पता है दुनिया भर के आदमी नसबंदी के नाम से कांप जाते हैं
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रामकृष्ण वाजपेयी

देश में बेतहाशा बढ़ती आबादी के बीच लगता है कि जनसंख्या नियंत्रण का काम सिर्फ महिलाओं के जिम्मे है। देश में नसबंदी के आंकड़े तो यही बताते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व में मात्र 2.4 प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी करवाते हैं। भारत में पिछले साल 39 लाख 51 हजार 972 महिला-पुरुषों के नसबंदी करवाने का आंकड़ा हैं, जबकि इनमें 78,362 पुरुषों ने ही नसबंदी करवाई।

नसबंदी के आंकड़ों में महाराष्ट्र है पहले नंबर पर

भारत के राज्यों में राजस्थान सातवें नंबर पर, पहले नंबर पर महाराष्ट्र फिर उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा व छत्तीसगढ का नंबर आता है। चाइना में करीब 29 लाख महिला नसबंदी की तुलना में 5 लाख पुरुषों ने नसबंदी करवाई। अमेरिका में 20 लाख में से करीब 10 लाख पुरुषों ने नसबंदी करवाई। इंग्लैंड में नौ लाख महिलाओं के मुकाबले 20 लाख पुरुषों ने नसबंदी करवाई। आस्ट्रेलिया में 12 लाख महिलाओं ने और 11 लाख पुरुषों ने नसबंदी करवाई।

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यूपी में 70 महिलाओं पर एक पुरुष

अपने देश में नसबंदी के मामलों में 36 प्रतिशत सर्जरी महिलाओं की होती है लेकिन पुरुषों की भागीदारी केवल 0.3 प्रतिशत है। बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहां 70 महिलाओं पर एक पुरुष की नसबंदी हो रही है। प्रदेश में अप्रैल 2014 से शुरू हुई पुरुष नसबंदी के आंकड़े बहुत उत्साहजनक नहीं हैं। अप्रैल 2014 से अब तक प्रदेश में 1.32 लाख से अधिक महिलाओं की नसबंदी की गई है, जबकि नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या केवल 4637 है। यानी यह अनुपात 28:1 का है। 2018 में प्रदेश में 11665 महिलाओं के मुकाबले केवल 165 पुरुषों की नसबंदी की गई है तो यह अनुपात भी 70:1 का है।

यूपी सरकार चला रही है 20 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट

आंकड़े बताते हैं कि पुरुष प्रधान समाज में पुरुष नसबंदी को अपनी मर्दानगी से जोड़कर देखते हैं। इसीलिए राज्य सरकार ने प्रदेश में पहली बार पुरुष नसबंदी के लिए लक्ष्य तय किये हैं। कारण है घर-गृहस्थी और परिवार में आधिपत्य रखने वाले पुरुष नसबंदी के नाम पर भागने लगते हैं। फिलहाल आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, अमरोहा, बरेली, फैजाबाद, फीरोजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्धनगर, सहारनपुर, शाहजहांपुर व वाराणसी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पुरुष नसबंदी अभियान चल रहा है। जिसमें मजदूर वर्ग और कामगारों को इसके दायरे में लाने की तैयारी है। फिलहाल एक वर्ष के लिए शुरू किये गए इस पायलट योजना के सकारात्मक परिणाम आने पर इसे भविष्य में अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।

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बिहार में 0.1 फीसदी पुरुष कराते हैं नसबंदी

बिहार का भी यही हाल है यहां के पुरुष भी नसबंदी कराने से परहेज करते हैं। समाज में व्याप्त गलतफहमियों के कारण पुरूष नसबंदी, महिला बंध्याकरण की तुलना में काफी कम है। एक आंकड़े के मुताबिक बिहार के मात्र 0.1 प्रतिशत पुरूष ही नसबंदी कराते हैं। बिहार में हर वर्ष करीब तीन हजार पुरूष ही नसबंदी कराते हैं जबकि महिला बंध्याकरण का आंकड़ा सरकारी क्षेत्र में ही करीब पांच लाख से ज्यादा है। आंकड़ों से साबित होता है कि बिहार में पुरूष नसबंदी की स्थिति बहुत उत्साहवर्धक नहीं है। इसके पीछे जागरूकता की कमी, पितृसत्तामक समाज की संरचना और पुरूष नसबंदी को लेकर समाज में फैली गलतफहमी हैं।

राजस्थान में चुरू के पुरुष हैं सच्चे मर्द

बात राजस्थान की करें तो आपको ये जानकर हैरत होगी कि चुरू जिला पुरुष नसबंदी के आंकड़ों में देशभर में चर्चित हैं। पिछले कई सालों के आंकड़ों में प्रदेशभर में सबसे ज्यादा पुरुष नसबंदी करवाने में भी चूरू का नाम सबसे ऊपर है। देश में भी चुरू टॉप 15 में शामिल है। वर्ष 2017 की नसबंदी के आंकड़ों की रिपोर्ट का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि प्रदेश के कई जिलों में तो सालभर में एक से 15 पुरुषों ने ही नसबंदी करवाई, जबकि अकेले चुरू जिले में यह आंकड़ा 716 का है। इसका सबसे खास कारण ये है कि यहां पुरुषों की नसबंदी बगैर चीरफाड़ के महज एक छोटी सी सर्जरी से हो जाती है।

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मध्य प्रदेश के पुरुष भी फिसड्डी

इसी तरह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में दो लाख 90 हजार नसबंदी आपरेशनों में पुरुषों की संख्या मात्र 21 सौ है। यानी बाकी सब महिलाएं हैं।

सरकार जुटी है पुरुषों की भ्रांति मिटाने में

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पिछले दिनों संसद में कहा था 'हमारे यहां पुरुष नसबंदी नहीं कराना चाहते हैं। हमने इस बात को महसूस किया है और हम इस दिशा में जागरुकता लाने के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं। पुरुषों का इसमें विशेष योगदान हो, जागरुकता बढ़े, इसके लिए विशेष प्रयास हैं। साथ ही हम 360 डिग्री मीडिया अभियान भी चला रहे हैं'। मंत्री के अनुसार, 'हमने ऐसी विशेष विज्ञापन फिल्म भी बनाई हैं, जिसमें पुरुषों पर विशेष रूप से फोकस है कि हम उन्हें विशेष रूप से प्रोत्साहित करें कि वे भी परिवार नियोजन की तरफ अपना योगदान दें'।

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इसलिए महिलाओं की हो जाती है नसबंदी

महिलाओं की नसबंदी का आंकड़ा बढ़ने का एक और कारण भी है वह है प्रसव के दौरान आपरेशन टेबल पर ही नसबंदी हो जाना। जबकि पुरुषों के पास बहाने हैं कि पुरुषत्व में कमी आ जाएगी। मेहनत का काम नहीं कर पाएंगे। यह निराधार धारणा पढ़े लिखे लोगों में भी है। डाक्टरों के मुताबिक महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की नसबंदी ज्यादा आसान है इसमें इंफेक्शन का डर भी नहीं है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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