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27 सितंबर (जन्म जयंती) पर विशेष-राम मंदिर के पीछे के मज़बूत स्तंभ रहे अशोक जी

अशोक सिंघल ने देश, समाज, हिंदू संस्कृति और संस्कार के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। उन्होने श्री रामजन्मभूमि की मुक्ति तथा उस पर श्री राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलनों की झड़ी लगा दी।

Mrityunjay Dixit
Written By Mrityunjay Dixit
Published on: 26 Sept 2023 8:42 PM IST
Ashok Singhal In Ram Mandir Temple Movement
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Ashok Singhal In Ram Mandir Temple Movement

27 सितम्बर, 1926 को जन्मे राष्ट्रवादी विचारधारा के वाहक, श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के माध्यम से बहुसंख्यक हिंदू समाज को स्वाभिमान से खड़ा करने वाले विश्व हिंदू परिषद के संस्थापक अशोक सिंघल नेअपना जीवन हिंदू समाज के लिए खपा दिया। अशोक जी के व्यक्तित्व व उनके ओजस्वी विचारों का ही परिणाम है कि आज हिंदू समाज में सामाजिक समरसता का भाव दिखलायी पड़ रहा है। संत समाज व विभिन्न अखाड़ा परिषदों को एक मंच पर लाने का दुष्कर कार्य अशोक जी से ही संभव हो सका। यह उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है कि आज देश का बहुसंख्यक समाज अपने आप को गर्व से हिंदू कहना चाहता है।

अशोक सिंघल ने देश, समाज, हिंदू संस्कृति और संस्कार के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। उन्होने श्री रामजन्मभूमि की मुक्ति तथा उस पर श्री राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलनों की झड़ी लगा दी। जनसभाओं व कार्यक्रमों में अशोक जी के ओजस्वी भाषणों को सुनने के लिए भारी भीड़ जमा होती थी । जब यह भीड़ घरों की ओर प्रस्थान करती थी, तो उसमें एक नयापन व ताजगी की उमंग होती थी ।अशोक जी में सभी को साथ लेकर चलने की अभूतपूर्व कला थी। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण और उसके प्रति संपूर्ण हिंदू समाज को जागरूक करने में खपा दिया। जिसके परिणाम स्वरूप आज अयोध्या में भव्य एवं दिव्य श्री राम मंदिर का निमांएा तीव्र गति से पूर्णता की ओर अग्रसर हो रहा है।

1984 में अशोक जी ने श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का श्रीगणेश किया, यह आन्दोलन विभिन्न चरणों को पार करते हुए 31 अक्टूबर और 2 नवम्बर 1990 तक पहुंचा । जब मुलायम सिंह यादव ने शांतिपूर्वक राम धुन गाते हुए पैदल चलते रामभक्तों पर गोलियां चलवा दीं और सैकड़ों की संख्या में निहत्थे रामभक्तों को मौत के घाट उतर दिया। घटना से आहत सिंघल जी ने 6 दिसंबर, 1992 को पुनः कारसेवा का आह्वान किया। इस बार जो हुआ वो हिन्दू संस्कृति के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिख गया। कारसेवकों ने बाबरी भूमि को समतल कर अस्थायी राम मंदिर का निर्माण कर दिया । बाद में माननीय सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने भी नौ नवंबर 2019 को एक स्वर से उसी स्थान को श्री राम जन्मभूमि स्वीकार किया। यही स्वर्गीय अशोक जी एक सपना था । जिसे नौ नवंबर 2019 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले से पूरा कर दिया।

संघ कार्य करते हुए अशोक सिंघल ने अपने आपको देश के एक सच्चे साधक के रूप में विकसित किया और 1942 में संघ के स्वयंसेवक बने। संघ के सर संघचालक श्री गुरुजी ने 1964 में जाने- माने संत महात्माओं के साथ मिलकर विश्व हिंदू परिषद की स्थापना की। 1966 में विश्व हिंदू परिषद में अशोक जी का पदार्पण हुआ। अदभुत योजक शक्ति,संगठन कुशलता, निर्भीकता, अडिग व्यक्तित्व और सबको साथ लेकर चलने की अशोक जी की विराटता का ही परिणाम है कि आज पूरे विश्व में सबसे प्रखर हिंदू संगठन के रूप में विश्व हिंदू परिषद का नाम लिया जा रहा है।

यह उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है कि आज पाकिस्तान, बांग्लादेश और विश्व के अन्य देशों में यदि कोई हिंदू विरोधी या भारत विरोधी घटना घटित होती है तो वह प्रकाश में आती है। वे जहां भारत में अपनी संस्कृति व सभ्यता की रक्षा करने के लिए संघर्षरत रहते थे वे वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के प्रति किये जा रहे अत्याचारों के खिलाफ भी पूरे जोर शोर से आवाज उठाते थे। जम्मू- कश्मीर के हिंदुओं की समस्या के प्रति वे निरंतर गंभीर रहते तथा उनके दुखों को दूर करने का प्रयास भी करते थे।

अशोक सिंघल ने अपने आंदोलनों के दौरान गंगा नदी की अविरलता के लिए व गौ हत्या के खिलाफ भी पुरजोर आवाज उठाई थी। इतना ही नहीं वे अपनी संस्थाओं के माध्यम से कन्याओं के विवाह आदि संस्कार भी संपन्न करवाते थे और 42 अनाथालय के माध्यम से 2000 से अधिक बच्चों को आश्रय दिया जाता था, जो अनवरत जारी है। गौरक्षा हेतु जन जागरण के द्वारा 10 लाख से अधिक गोवंश की सुरक्षा की गयी।

हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता के कार्यक्रम भी अशोक जी की प्रेरणा से चलाये गये। दलित बस्तियों में विहिप के सेवा कार्य व पर्व आदि अभी भी उन्हीं की प्रेरणा से अनवरत जारी हैं। अशोक जी के प्रयासों से ही विहिप के काम में धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत परावर्तन आदि अनेक नये आयाम जुड़े। यह उन्हीं का प्रयास है कि आज अमेरिका, इंग्लैंड, सूरीनाम, कनाडा, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया , श्रीलंका आदि 80 देशों में विहिप का संपर्क है।देशभर में 53532 समितियां कार्यरत हैं।अशोक जी का हिंदू समाज के लिए अप्रतिम योगदान है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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